शिक्षा मनोविज्ञान / EDUCATIONAL PSYCHOLOGY

स्मृति के नियम | विचार- साहचर्य का सिद्धान्त | विचार- साहचर्य के नियम

स्मृति के नियम | विचार- साहचर्य का सिद्धान्त | विचार- साहचर्य के नियम
स्मृति के नियम | विचार- साहचर्य का सिद्धान्त | विचार- साहचर्य के नियम

स्मृति के नियमों का उल्लेख करते हुए विचार-साहचर्य के सिद्धान्त का स्पष्टीकरण कीजिए ।

स्मृति के नियम (Laws of Memory)

बी० एन० झा का मत है- “स्मृति के नियम वे दशाएँ हैं, जो अनुभव के पुनःस्मरण में सहायता देती हैं।” “Laws of memory are conditions which facilitate revival of past experience.” – Jha

झा (Jha) के इस कथन का अभिप्राय है कि हम स्मृति के नियमों को स्मरण में सहायता देने वाले नियम कह सकते हैं। झा (Jha) के अनुसार, ये नियम 3 हैं; यथा-

1. निरन्तरता का नियम (Law of Perseveration)- इस नियम के अनुसार, सीखने की प्रक्रिया में जो अनुभव विशेष रूप से स्पष्ट होते हैं, वे हमारे मस्तिष्क में कुछ समय तक निरन्तर आते रहते हैं। अतः हमें उनको स्मरण रखने के लिए किसी प्रकार का प्रयत्न नहीं करना पड़ता है। उदाहरणार्थ, किसी मधुर संगीत को सुनने या किसी दर्दनाक घटना को देखने के बाद हम लाख प्रयत्न करने पर भी उसको भूल नहीं पाते हैं। कालिन्स व ड्रेवर के शब्दों में “निरन्तरता का नियम तात्कालिक स्मृति में महत्वपूर्ण कार्य करता है।”

“Perseveration would seem to play an important part in what is known as immediate” – Collins & Drever : Psychology & Practical Life memory.”

2. आदत का नियम (Law of Habit)- इस नियम के अनुसार, जब हम किसी विचार को बार-बार दोहराते हैं, तब हमारे मस्तिष्क में उसकी छाप इतनी गहरी हो जाती है कि हम में बिना विचारे उसको व्यक्त करने की आदत पड़ जाती है। उदाहरणार्थ, बहुत से लोगों को अद्धे, पौने, ढइये आदि के पहाड़े रटे रहते हैं। इनको बोलते समय उनको अपनी विचार-शक्ति का प्रयोग नहीं करना पड़ता है। बी० एन० झा (B. N. Jha) के शब्दों में- “इस नियम को लागू करने के लिए केवल मौखिक पुनरावृत्ति बहुत काफी है। इसका सम्वन्ध यांत्रिक स्मृति (Rote Memory) से है।”

3. परस्पर सम्बन्ध का नियम (Law of Association) – इस नियम को ‘साहचर्य का नियम’ भी कहते हैं। इस नियम के अनुसार, जब हम एक अनुभव को दूसरे अनुभव से सम्बन्धित कर देते हैं, तब उनमें से किसी एक का स्मरण से होने पर हमें दूसरे का स्वयं ही स्मरण हो जाता है; उदाहरणार्थ, जो बालक गाँधी जी के जीवन से परिचित हैं, उनको सत्याग्रह के सिद्धान्तों अथवा ‘भारत छोड़ो आन्दोलन से सरलतापूर्वक परिचित कराया जा सकता है। गाँधी जी के जीवन से इन घटनाओं का सम्बन्ध होने के कारण बालकों को एक घटना का स्मरण होने पर दूसरी घटना अपने आप याद आ जाती है। स्टर्ट तथा ओकडन (Sturt & Oakden) के अनुसार- “एक तथ्य और दूसरे तथ्यों में जितने अधिक सम्बन्ध स्थापित किए जाते हैं उतनी ही अधिक सरलता से उस तथ्य का स्मरण होता है।”

विचार- साहचर्य का सिद्धान्त (Principle of Association of Ideas)

‘विचार- साहचर्य’ का सिद्धान्त अति प्रसिद्ध है। इसका अर्थ है-दो या अधिक विचारों का इस प्रकार सम्बन्ध कि उनमें से एक की याद आने पर दूसरे की स्वयं याद आना। उदाहरणार्थ, दूध गिर जाने पर बालक रोता है। वह पहले कभी दूध गिरा चुका है, जिसकी वजह से उस पर डाँट पड़ चुकी है और वह रो चुका है। अतः जब दुबारा दूध गिराता है, तब उसे डाँट पड़ने की अपने-आप याद आ जाती है और वह रोने लगता है। इस सिद्धान्त का स्पष्टीकरण करते हुए भाटिया ने लिखा है- “विचार – साहचर्य एक प्रसिद्ध सिद्धान्त है, जिसके अनुसार एक विचार किसी दूसरे विचार या विचारों का, जिनका हम पहले अनुभव कर चुके हैं, स्मरण दिलाता है।”

“The association of ideas is a well-known principle by which one idea call up another or others that have been previously experienced.” – Bhatia

विचार- साहचर्य के नियम (Laws of Association of Ideas)

‘विचार-साहचर्य’ के नियमों को निम्नलिखित दो भागों में विभाजित किया जा सकता है-

  1. मुख्य नियम (Primary Laws)- समीपता, समानता, असमानता और रुचि के नियम ।
  2. गौण नियम (Secondary Laws) – प्राथमिकता, पुनरावृत्ति, नवीनता, स्पष्टता और मनोभाव के नियम ।

1. समीपता का नियम (Law of Contiguity) – जब दो वस्तुएँ या घटनाएँ एक-दूसरे के समीप होती हैं, तब उनमें सम्बन्ध स्थापित हो जाता है। अतः उनमें से एक का स्मरण होने पर दूसरे का अपने आप स्मरण हो जाता है। ‘समीपता दो प्रकार की होती है— ‘स्थान की समीपता’ (Spatial Contiguity) और ‘समय की समीपता’ (Temporal Contiguity)। अल्मारी में घड़ी और पर्स दोनों रखे रहते हैं। हमें घड़ी को देखकर पर्स की स्वयं याद आ जाती है। इसका कारण है स्थान की समीपता। चार बजे घण्टे की आवाज सुनकर बालकों को घर जाने की याद आ जाती है। इसका कारण है—समय की समीपता ।

2. असमानता का नियम (Law of Contrast)- जब दो वस्तुएँ एक-दूसरे के असमान, विपरीत या विरोधी होती हैं, तब वे एक-दूसरे से सम्बन्धित हो जाती हैं। अतः उनमें से एक अपनी विरोधी वस्तु की याद दिला देती है। हमें दुःख के दिनों में सुख के दिनों की और काया के रोगी होने पर निरोगी काया का स्मरण होता है। कश्यप एवं पुरी (Kashyapa के & Purce) के अनुसार- “असमानता का नियम यह बताता है कि विरोधी वस्तुएँ एक-दूसरे से सम्बन्धित हो जाती हैं, जिससे उनमें से एक अपने से विपरीत वस्तु की याद दिलाती है।”

3. प्राथमिकता का नियम (Law of Primary) – जो अनुभव हम पहले प्राप्त करते हैं, वह हमारे मस्तिष्क में बहुत समय तक रहता है। अतः हम उसे सरलता से स्मरण कर लेते हैं। इसलिए कहा गया है कि प्रथम प्रभाव अन्त तक रहता है। (First Impression is the last impression)। यदि हम पहली भेंट में किसी व्यक्ति की योग्यता से प्रभावित हो जाते हैं, तो हमारे मस्तिष्क में उसकी योग्यता का स्मरण बहुत कुछ स्थायी हो जाता है

4. नवीनता का नियम (Law of Recency) – जो अनुभव जितना अधिक नवीन होता है, उतनी ही अधिक सरलता से उसका स्मरण किया जाता है। यही कारण है कि छात्र परीक्षा भवन में प्रवेश करने के समय तक कुछ-न-कुछ पढ़ते रहते हैं।

5. मनोभाव का नियम (Law of Mood) – व्यक्ति के मन में जिस समय जैसे भाव या विचार होते हैं, वैसे ही अनुभवों का वह स्मरण करता है। दुःखी मनुष्य केवल दुःख और कष्ट की बातों का ही स्मरण कर सकता है। भाटिया के अनुसार — “जब हम प्रसन्न होते हैं, तब हमें सुख एवं आनन्द की बातों का स्मरण होता है और जब हम दुःखी दशा में होते हैं, तब हमारे विचारों में उदासीनता होती है।”

6. समानता का नियम (Law of Similarity) – ड्रमंड एवं मेलोन (Drummond & Mellone) के अनुसार “समानता का नियम यह है कि यदि कोई वर्तमान वास्तविक अनुभव पुराने अनुभव के समान होता है, तो वह पुराने अनुभव का स्मरण करा देता है।” समानता अनेक बातों में हो सकती है, जैसे—अर्थ, दशा, ध्वनि, रंग, आकृति आदि। हमें भगतसिंह के क्रान्तिकारी कार्यों का वर्णन पढ़कर चन्द्रशेखर आजाद के क्रान्तिकारी कार्यों का स्मरण हो जाता है (अर्थ की समानता) । हमें अपने मित्र के भाई को देखकर अपने मित्र की याद आ जाती है (आकृति की समानता) । दिल्ली का लाल किला देखते समय हमें आगरा के लाल किले का स्मरण हो जाता है (रंग की समानता) । अपने मित्र को मोतीझरा रोग में प्रस्त देखकर हमें अपने मोतीझरा की याद आ जाती है (दशा की समानता) ।

7. रुचि का नियम (Law of Interest ) – जिन बातों में हमें जितनी अधिक रुचि होती है, उतनी ही अधिक सरलता से हमें उनका स्मरण होता है। जिस बालक को गाँधी जी में रुचि है, उसे उनके जीवन की लगभग सभी घटनाएँ स्मरण होती हैं। वैलेन्टीन (Valentine) के अनुसार- “रुचि यह निश्चित करने में एक निर्णायक कारक है कि जिस बात को हम देखते या सुनते हैं, वह हमें बाद में स्मरण रह सकती है या नहीं।”

8. पुनरावृत्ति का नियम (Law of Frequency) – वैलेन्टीन (Valentine) के अनुसार-“दो बातों या विचारों का जितनी अधिक बार साथ-साथ अनुभव किया जाता है, उतना ही अधिक घनिष्ठ सम्बन्ध उनमें स्थापित हो जाता है।” घास हरी होती है और हम बहुधा उसे देखते हैं। अतः जब हमसे कोई हरे रंग की किसी वस्तु के बारे में बात करता है, तब हमें स्वाभाविक रूप से घास की याद आ जाती है।

9. स्पष्टता का नियम (Law of Vivedness) – बी० एन० झा (B. N. Jha) के अनुसार- “विचार जितता अधिक स्पष्ट होता है, उतना ही अधिक सरलता से उसका पुनःस्मरण होता है।” बालक जिस को जितने अधिक स्पष्ट रूप से समझ जाता है, उतनी ही अधिक देर तक वह उसे स्मरण रहता है।

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About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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