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ऑनलाइन पत्रिका किसे कहते है? इसके लाभ एंव सीमाएँ

ऑनलाइन पत्रिका किसे कहते है? इसके लाभ एंव सीमाएँ
ऑनलाइन पत्रिका किसे कहते है? इसके लाभ एंव सीमाएँ

ऑनलाइन पत्रिका

जनसामान्य के लिए कम्प्यूटर के नेटवर्क पर बुलेटिन बोर्ड के माध्यम से, इन्टरनेट पर प्रकाशित होने वाली पत्रिका ऑन लाइन पत्रिका कहलाती है।

(An online magazine is published on the world wide web and is called web magazine) छोटी पत्रिकाओं के लिए ई-जाइन शब्द का प्रयोग किया जाता है। ऑन-लाइन पत्रिका मुद्रित संचार माध्यम में भी परिवर्तित की जा सकती है। 1990 में इसका प्रारम्भ हुआ। यह पहले से छप रही पत्रिकाओं के स्थान पर अन्तः क्रियात्मक एवं सूचनात्मक परिवर्तन लाने वाली पत्रिका के रूप में प्रारम्भ हुई।

भारत में उपलब्ध ई-पत्रिकाओं में कुछ पत्रिकाओं के नाम अग्रांकित है- इंडिया टुड़े, विजनेस टुड़े, कैम्पेन इंडिया, चंपक, चंदामामा, कांग्रेस संदेश, क्रिकेट टुड़े, डाउन टू अर्थ, फ्रन्टलाइन, आउटलुक बिजनेस, प्लेनेट अर्थ, प्रतियोगिता दर्पण, प्रवासी भारतीय, योग संदेश।

ऑन-लाइन पत्रिका के लाभ

  1. यह पत्रिका मुद्रित पत्रिका की तुलना में कम कीमत की होती है।
  2. परम्परागत पत्रिका की तुलना में अद्यतन होती है।
  3. इसका क्षेत्र विस्तृत होता है।
  4. इस पत्रिका द्वारा समस्त अनुभवों को सरलता विशेष तकनीकों के बिना बाँटा जा सकता है।
  5. इस पत्रिका की पैंठ प्रत्येक स्थान पर किसी भी समय हो सकती है।
  6. डाउनलोड करने के पश्चात् कभी भी, किसी भी समय पढ़ सकते हैं।
  7. आकर्षक रंगों में दृश्य माध्यम के रूप में स्पष्ट पठनीय होती है।
  8. अन्तः क्रियात्मक एवं उच्च स्तरीय विषय वस्तु का संयोजन होता है।
  9. सरलता से ई-मेल, एच.टी.एम.एल. द्वारा मित्रों संबंधियों को भेजी जा सकती हैं।
  10. भूमण्डलीकरण की प्रक्रिया में सम्पूर्ण विश्व से जोड़ने का कार्य करती है।
  11. इस पत्रिका से ऑन-लाईन सहभागिता भी बढ़ती है।

ऑनलाईन पत्रिकाओं की सीमाएँ –

  1. ये पत्रिकाएँ, छपने वाली पत्रिकाओं की तुलना में सरलता से बनने के लिए प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ाती है।
  2. जो व्यक्ति हाथ में ले कर पत्रिका पढ़ना चाहते है उन्हें इसमें भौतिक स्वरूप का अभाव खलता है।
  3. यह पत्रिका का व्यावसायिक पत्रिका न लगकर कुछ व्यक्तियों द्वारा ऑन लाईन प्रकाशन का स्वरूप ले लेती है।
  4. इन पत्रिकाओं प्रचार-प्रसार न होने के कारण लागत-लाभ की स्थिति में अन्तराल होता है।
  5. ये पत्रिकाएँ सामाजिक संवेदनशील मुद्दों पर महत्वहीन हो जाती है।

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About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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