शिक्षण विधियाँ / METHODS OF TEACHING TOPICS

आर० सी० ई० एम० उपागम | R.C. E. M. Approach in Hindi

आर० सी० ई० एम० उपागम | R.C. E. M. Approach in Hindi
आर० सी० ई० एम० उपागम | R.C. E. M. Approach in Hindi

आर० सी० ई० एम० उपागम का अर्थ समझाइये। पाठ-योजना के इस उपागम के विभिन्न पदों का वर्णन करो।

आर० सी० ई० एम० उपागम (R.C. E. M. Approach)

आर० सी० ई० एम० उपागम का विकास क्षेत्रीय शिक्षा महाविद्यालय मैसूर ने किया है। इस उपागम का विकास भारतीय शिक्षा-शास्त्रियों ने किया है। यह उपागम पाठ-योजना की दूसरी पद्धतियों से श्रेष्ठता लिये हुये है। इस उपागम में ब्लूम द्वारा वर्गीकृत शैक्षिक उद्देश्यों को संशोधन सहित अपनाया गया है। इस उपागम में 17 मानसिक योग्यताओं का प्रयोग किया गया है। ज्ञानात्मक पक्ष के छ: पदों की बजाए इस उपागम में चार पदों का प्रयोग किया गया है। ये पद अग्रलिखित हैं-

  1. ज्ञान (Knowledge)
  2. सृजनात्मक (Creativity)
  3. प्रयोग (Application)
  4. बोध (Comprehension)।

इस उपागम की कुछ प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं-

  1. यह उपागम प्रणाली (System Approach) उपागम पर आधारित है।
  2. इस उपागम में मूल्यांकन तथा विश्लेषण को सृजनात्मक उद्देश्य के अन्तर्गत सम्मिलित किया गया है।
  3. इस उपागम में सत्रह मानसिक योग्यताओं का प्रयोग किया जाता है।
  4. इस उपागम में ज्ञानात्मक पक्ष के छः पदों के स्थान पर चार पदों का प्रयोग किया जाता
  5. इस उपागम के अन्तर्गत शैक्षिक उद्देश्यों का निर्धारण मापी जा सकने वाली मानसिक योग्यताओं के रूप में अच्छी प्रकार किया गया है।
  6. इस उपागम का विकास भारतीय परिस्थितियों के अनुसार किया गया है।
  7. आर० सी० ई० एम० उपागम में सम्प्रेषण (Communication) अन्तःक्रिया के माध्यम से शिक्षण सहायक सामग्री, व्यूह-रचनाओं, परिस्थितियों आदि का मूल्यांकन करने की उचित व्यवस्था है।

आर० सी० ई० एम० उपागम के पद (Steps of R. C. E. M. Approach)

इस उपागम पर आधारित पाठ-योजना की संरचना (Structure) के तीन प्रमुख पद होते हैं, जो कि निम्नलिखित-

(i) अदा (Input) – आर० सी० ई० एम० उपागम में अदा को अपेक्षित व्यवहार परिणाम (Expected Behaviour Outcomes) का नाम दिया गया है। पाठ के शैक्षिक उद्देश्यों का उचित प्रकार से निर्धारण एवं स्पष्टीकरण इस पद के अन्तर्गत किया जाता है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये विद्यार्थियों के प्रविष्ट व्यवहारों की ओर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। इन उद्देश्यों को लिखने के लिये ब्लूम महोदय के छः वर्गों की अपेक्षा चार वर्गों का प्रयोग किया गया है। ये वर्ग इस प्रकार है—ज्ञान (Knowledge), बोध (Comprehension), प्रयोग (Application) और सृजनात्मकता (Creativity)। उद्देश्यों में इन वर्गों का प्रयोग करते हुए उद्देश्य लिखने के लिये सत्रह मानसिक योग्यताओं के प्रयोग के पश्चात् इन्हें व्यावहारिक शब्दावली में परिवर्तित किया जाता है। इन उद्देश्यों को व्यावहारिक शब्दावली में परिवर्तित करने के लिये कार्यपरक क्रियाओं (Action Verbs) का प्रयोग किया जाता है।

(ii) प्रक्रिया (Process) – इस पद को आर० सी० ई० एम० उपागम में सम्प्रेषण व्यूह-रचना (Communication Strategy) के नाम से भी जाना जाता है। यह पद ब्लूम के मूल्यांकन उपागम के अधिगम- अनुभव’ तथा हरबार्ट उपागम के ‘प्रस्तुतीकरण’ के पदों के समान है। इस पद के अन्तर्गत कक्षा में सम्प्रेषण प्रक्रिया (Communication Process) या अन्तक्रिया होती है। इस पद में उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये विभिन्न व्यूह-रचनाओं, विधियों, सहायक सामग्रियों आदि का उल्लेख किया जाता है तथा इसी पद के माध्यम से विद्यार्थियों को आवश्यक अधिगम-अनुभव प्रदान किये जाते हैं।

(iii) प्रदा (Output) – आर० सी० ई० एम० उपागम में इस पद को ‘वास्तविक अधिगम परिणाम’ (Real Learning Outcomes) के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रकार इस पद का सम्बन्ध पाठ के मूल्यांकन से होता है। व्यवहार में परिवर्तन होना ही ‘वास्तत्रिक अधिगम परिणाम कहलाता है। वास्तविक अधिगम परिणाम को मापने के लिये विभिन्न प्रकार की मापन प्रविधियाँ होती हैं, जो कि अपेक्षित व्यवहार परिवर्तन पर आधारित होती हैं। आमतौर पर अध्यापक मौखिक या लिखित प्रश्नों के द्वारा ही वास्तविक अधिगम परिणामों का मापन करता है।

इस प्रकार ऊपर लिखे गये तथ्यों के आधार पर आर० सी० ई० एम० उपागम भारतीय परिस्थितियों में अत्यधिक उपयोगी सिद्ध हो सकता है। शैक्षिक उद्देश्यों के वर्गीकरण का उपयोग न तो हरबार्ट उपागम में होता है और न ही मूल्यांकन उपागम में, परन्तु इस उपागम में ब्लूम के वर्गीकरण का उपयोग किया गया है। ब्लूम के वर्गों को कम करके केवल चार वर्गों का उपयोग इस उपागम में किया गया है। दूसरे उपागमों में मानसिक योग्यताओं का उल्लेख नहीं है, परन्तु इस उपागम में सत्रह मानसिक योग्यताओं का उपयोग किया गया है। हरबार्ट उपागम में केवल ज्ञानात्मक पक्ष से सम्बन्धित उद्देश्यों की पूर्ति होती है, जबकि आर० सी० ई० एम० उपागम में बोष तथा चिन्तन स्तर (Comprehension and Reflective Levels) से सम्बन्धित उद्देश्यों की भी पूर्ति होती है। हरबार्ट उपागम की तरह मूल्यांकन उपागम में भी मानसिक योग्यताओं का ध्यान नहीं रखा गया।

इस उपागम में विद्यार्थियों के प्रविष्ट व्यवहारों पर बल दिया गया है। अतः आर० सी० ई० एम० उपागम में विद्यार्थियों की रुचियों, अभिरुचियों तथा योग्यताओं का ध्यान भी रखा गया है। दूसरे उपागमों में इस प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं है। इस प्रकार उपरोक्त तथ्यों के आधार पर आर० सी० ई० एम० उपागम को दूसरे उपागमों से सर्वोत्तम कहा जा सकता है।

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Anjali Yadav

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