आधुनिक शिक्षण विधियों में प्रोजेक्ट विधि को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया जाता है। प्रोजेक्ट का अर्थ है-“एक समस्या मूलक कार्य को उसकी स्वाभाविक परिस्थितियों के अन्तर्गत पूरा करना।” (A Project is a problematic act carried to completion in its natural setting.)
प्रोजेक्ट विधि में छात्र स्वयं किसी उद्देश्य को लेकर योजना बनाते हैं। इस उद्देश्य की प्राप्ति ही उनके लिए एक समस्या होती है। छात्र इस योजना को स्वयं ही पूरा करते हैं। शिक्षक छात्रों का मार्गदर्शन करता है और समय-समय पर आने वाली कठिनाइयों को पूरा करता है। यह विधि छात्रों की क्रियाओं अधिक महत्त्व देती है। छात्रों को कार्य करने की पर्याप्त स्वतन्त्रता रहती है।
प्रोजेक्ट विधि में कक्षा अनेक समूहों में बाँट दी जाती है। प्रत्येक समूह अपनी रुचि का काम ले लेता है जैसे-अध्ययन करना, चित्र बनाना, नक्शे बनाना, मॉडल, बनाना आदि। ये प्रोजेक्ट सामूहिक एवं व्यक्तिगत दोनों प्रकार के हो सकते हैं। सम्पूर्ण पाठ्यक्रम में ऐसे कुछ प्रोजेक्ट सोच लेने चाहियें, जिन पर कक्षा से काम कराना हो, जैसे-कारखाने, बन्दरगाह आदि के चित्र स्टेशन, मकान, स्कूल आदि के मॉडल बनवाना, संग्रहालय चलाना, भ्रमण द्वारा भौगोलिक ज्ञान का संग्रह करना।
इस विधि की सफलता शिक्षक की योग्यता एवं उसकी युक्तिपूर्ण तथा छात्रों के सहयोग पर निर्भर करती है। प्रोजेक्ट कक्षा के बौद्धिक स्तर के अनुकूल बनाने चाहियें।
लघु कक्षाओं के छात्रों को निम्न प्रकार के प्रोजेक्ट दिये जा सकते हैं-
घर व पाठशाला के रेखाचित्र व मॉडल बनवाना।
दैनिक मौसम का निरीक्षण कर उसका अभिलेख रखना ।
दुकान चलाना।
भौगोलिक महत्त्व की वस्तुओं का संग्रहालय तैयार करना
चित्र एकत्रित करना।
स्थानीय प्रदेश में पाई जाने वाली मिट्टी के प्रकारों का निवरण तैयार करना।
स्थानीय प्रदेश के अन्य मानचित्र बनाना।
स्कूल में बगीचा लगाना।
भौगोलिक भ्रमण ।
उच्च कक्षाओं के लिये निम्न प्रोजेक्ट उपयुक्त होंगे-
स्कूल में कृषि की योजना।
किसी नदी की घाटी का मॉडल चिकनी मिट्टी से बनवाना ।
स्थानीय प्रदेश के विभिन्न प्रकार के मानचित्र तैयार करना ।
सब्जी एवं फलों आदि के बगीचे लगवाये जायें।
किसी भौगोलिक भ्रमण के ऊपर लेख लिखवाना।
भौगोलिक महत्व की समस्याओं, जैसे विश्व-बन्धुत्व की भावना के लिए भूगोल शिक्षण के महत्त्व पर भाषण की व्यवस्था करना।
भौगोलिक पर्यटन व भ्रमण को उत्साहित करना।
विभिन्न प्रदेशों में रहने वाले लोगों के जीवन का अभिनय करना, जैसे-एस्किमो, बहू, नागा, भील आदि।
गुण
छात्रों में आत्म-निर्भरता एवं उत्तरदायित्व की भावना का विकास होता है।
छात्रों की रचनात्मक शक्ति का विकास होता है।
यह विधि छात्रों की क्रियाशीलता पर जोर देती है।
सामाजिक गुणों का विकास होता है।
दोष
प्रोजेक्ट को पूर्ण करना महंगा पड़ता है।
छात्रों को नियमित रूप से विषय की शिक्षा नहीं मिल पाती है।
इस प्रणाली में शिक्षक का स्थान गौण है।
इन दोषों के होते हुये भी यह एक अच्छी पद्धति है। अगर प्रोजेक्ट ठीक से चुने जायें तथा शिक्षक उत्साह एवं लगन से कार्य करें तो इस प्रणाली द्वारा बहुत ही प्रभावशाली ढंग से शिक्षा दी जा सकती है।
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