शिक्षण विधियाँ / METHODS OF TEACHING TOPICS

गणित शिक्षण की निगमन विधि के गुण एंव दोष | Merits and Demerits of deductive method of teaching mathematics in Hindi

गणित शिक्षण की निगमन विधि  के गुण एंव दोष | Merits and Demerits of deductive method of teaching mathematics in Hindi
गणित शिक्षण की निगमन विधि के गुण एंव दोष | Merits and Demerits of deductive method of teaching mathematics in Hindi

गणित शिक्षण की निगमन विधि

यह विधि आगमन विधि के विपरीत है। इस विधि में पहले परिभाषा, सूत्र एवं निर्देश आदि को बता दिया जाता है और फिर प्रयोग निरीक्षण आदि की सहायता से उसे सत्य सिद्ध किया जाता है। इस विधि में सामान्य से विशेष की ओर सूत्र का अनुसरण किया जाता है। निगमन विधि में शिक्षक छात्रों को सामान्य नियम या सूत्र स्वयं बता देते हैं और उस सूत्र के द्वारा नियम का प्रयोग कर विशेष समस्या को हल करने के लिये कहते हैं। उदाहरण के लिये, छात्रों को यह पहले ही बता दिया जाये कि समानुपात में बाह्य राशियों का गुणनफल मध्य राशियों के गुणनफल के बराबर होता है और इस नियम से सम्बन्धित प्रयोग किये जायें तो यह निगमन विधि है।

साधारण ब्याज के सूत्र की स्थापना करना :

साधारण ब्याज =  मूलधन x दर x समय / 100

प्रश्न 1— 2000 रु० का 4% वार्षिक ब्याज की दर से 3 वर्ष का साधारण ब्याज निकालो।

हल :

साधारण ब्याज = मूलधन x दर x समय / 100

2000 x 4 x 3 / 100

24000 / 100 = 240 रु०

अतः 2000 रु० का 4% वार्षिक ब्याज की दर से 3 वर्ष का साधारण ब्याज = 240 रु०

सूत्र : (A+ B)² = A² + 2AB + B²

प्रश्न 2—  (2a + 3b)²  का मान ज्ञात करो।

हल :

सूत्र ज्ञात है : (A + B)² = A² + 2AB + B² से

(2a + 3b)² = (2a)² + 2 × (2a) × (3b) + (3b)²

= 4a² + 12ab + 9b²

अतः (5a + 3b)² = 4a² + 12ab + 9b²

प्रश्न : (5a – 3b)² का मान ज्ञात करो।

हल : सूत्र : (A – B)² = A² – 2AB + B² से

(5a – 3b)² = (5a)² – 2 × (5a) × (3b) + (3b)²

= 25a² – 30ab + 9b²

अतः (5a – 3b)² = 25a² – 30ab + 9b²

इस सूत्र के आधार पर प्रश्न हल करवायें तो यह निगमन विधि हुई। रेखागणित शिक्षण में यदि अध्यापक पहले यह बता दें कि त्रिभुज के तीनों अन्तः कोणों का योग 180 अंश या समकोण होता है तथा उसके बाद इसे सिद्ध करें तो यह निगमन विधि है-

निगमन विधि के गुण

1. यह विधि गणित शिक्षण के कार्य को अत्यन्त सरल बना देती है। एंव छात्रों से नियम ज्ञात कराने में कोई समस्या उत्पन्न नहीं होती।

2. यह विधि सामान्य नियम या सिद्धान्त या सूत्र की सत्यता की जाँच के हेतु अत्यन्त लाभदायक सिद्ध होती है।

3. अंकगणित एवं बीजगणित शिक्षण में निगमन विधि विशेष रूप से सहायक सिद्ध होती है। इस विधि द्वारा छात्र अत्यन्त शीघ्रता एवं सफलतापूर्वक ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं।

4. निगमन तर्क अन्तिम एवं अकाट्य होता है। यह तर्क वास्तव में गणितीय ढंग का होता है एवं इसमें किसी प्रकार का सन्देह नहीं किया जा सकता।

निगपन विधि के दोष

1. निगमन विधि के अन्तर्गत छात्र सामान्य नियमों और सूत्रों की खोज स्वयं नहीं करते, बल्कि उनका स्मरण रखते हैं। कभी-कभी भूल जाने पर उन्हें पुनः स्मरण कराना होता है। अतः यह विधि अमनोवैज्ञानिक है।

2. यह विधि छात्रों को रटने की आदत डालती है। छात्र सामान्य नियमों, सिद्धान्तों या सूत्रों को बिना समझे हुए ही कण्ठस्थ करने का प्रयास करते हैं, जो कि गणित जैसे विषय के लिए अत्यन्त हानिकारक है।

3. यह विधि छात्रों को जो ज्ञान देती है, वह अस्थायी और अस्पष्ट होता है, क्योंकि वह उस ज्ञान को स्वयं के प्रयास से नहीं प्राप्त करते हैं।

आगमन तथा निगमन विधि में तुलना

आगमन विधि (Inductive Method)

निगमन विधि (Deductive Method)

1. इस विधि द्वारा ज्ञान छात्र का अपना होता है तथा बालक की शिक्षा और विकास की दृष्टि से उपयोगी है। उदाहरणों के निरीक्षण के आधार पर विद्यार्थी को नियमीकरण, सामान्यीकरण, सूत्र निर्धारण का अभ्यास स्वयं हो जाता है।

1. इसमें तथ्य छात्र को बता दिये जाते हैं। उन्हीं के आधार पर वह आगे बढ़ता है। वह तर्कशक्ति की अपेक्षा दक्षता का विकास करती है।

2. नियम विद्यार्थी स्वयं व्युत्पन्न करता है। अतः उन्हें वह भूलता नहीं। यदि भूल भी जाये तो आसानी से पुनरुत्पादन कर सकता है। 2. नियम विद्यार्थी को रटने पड़ते हैं। इसमें स्मरण शक्ति महत्त्वपूर्ण होती है। यदि छात्र तथ्य को भूल जाए तो कोई चारा नहीं ।
3. यह मनोवैज्ञानिक विधि है। इसे छात्र अत्यन्त रुचि से करते हैं तथा अपने परिणाम स्वयं निकालते हैं। 3. यह विधि अप्रत्यक्ष है। छात्रों को नियम पहले ही बता दिये जाते हैं और उन्हें उन नियमों व सूत्रों के आधार पर ही समस्यायें हल करनी होती हैं।
4. यह विधि नितान्त मौलिक व रचनात्मक है। 4. यह समस्या समाधान पर बल देती है।
5. यह विधि छात्र-केन्द्रित है। अध्यापक केवल सहायता करता है। 5. यह विधि अध्यापक-केन्द्रित है। छात्र की भूमिका गौण हो जाती है।
6. इसमें छात्र विशेष से सामान्य’ की ओर व ‘स्थूल से सूक्ष्म’ की ओर बढ़ता है। 6. यह विधि ‘सामान्य से विशेष की ओर तथा सूक्ष्म से स्थूल’ की ओर बढ़ती है।
7. यह विधि छोटी कक्षाओं के लिए अधिक उपयोगी है, क्योंकि पाठ्यक्रम कम होता है और छात्र सीखने की आरम्भिक अवस्था में होता है। 7. बड़ी कक्षाओं में प्रत्येक तथ्य के आगमन करने का समय नहीं होता। दीर्घ पाठ्यक्रम के कारण निगमन विधि ज्यादा उपयोगी होती है।
8. यह विधि छात्र में खोज और अन्वेषण को बढ़ावा देती है। जीवन के प्रति चाहे अप्रत्यक्ष रूप से हो, स्वस्थ दृष्टिकोण का विकास होता है। 8. आत्म-अन्वेषण की कोई सम्भावना नहीं। छात्र को पराश्रित रहना सिखाती है।
9. यह छात्र को प्रत्येक समस्या का हल करने के लिए तैयार करती है चाहे छात्र उसके सम्बन्ध में पहले से अवगत न हो। 9. यदि सूत्र ज्ञात न हो तो छात्र असहाय हो जाता है।
10. मन्द-बुद्धि व औसत छात्र के लिए बहुत उपयोगी है। उनमें गणित के प्रति स्वस्थ दृष्टिकोण का विकास होता है। 10. बुद्धिमान छात्रों के लिए अधिक लाभदायक है। इस विधि के कारण कई बार औसत व मन्द-बुद्धि छात्र में गणित के प्रति एक भय पैदा हो जाता है।
11. इस विधि में श्रम और समय की अत्यधिक आवश्यकता होती है। 11. इस विधि में समय की बचत होती है।
12. यह लम्बी विधि है और प्रायः इसके द्वारा पाठ्यक्रम पूरा करना असम्भव होता है। 12. तीव्र गति के कारण पाठ्यक्रम समय पर पूरा किया जा सकता है और पुनरावृत्ति के लिये भी समय रहता है
13. यह विधि छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करती है और आत्म-विश्वास बढ़ाती है। 13. यह मौलिकता की अपेक्षा अनुकरण पर बल देती है।
14. इस विधि से छात्र की जिज्ञासाओं की पूर्ति हो जाती है। सीखी गई वस्तु उसकी अपनी हो जाती है। उसको ‘क्यों’ और ‘कैसे’ का हल स्वतः मिल जाता है। सूक्ष्म निरीक्षण शक्ति का विकास होता है। 14. पूर्व ज्ञान काम में नहीं आता। सीखने की प्रक्रिया अधिकतर स्मरण शक्ति पर निर्भर है।
15. छात्र तथ्यों के बारे में विस्तार से जान लेता है। विषय उसके लिये हौवा नहीं रह जाता। 15. अधिकांश सूत्रों के उद्गम और उत्पत्ति के विषय में छात्र कभी नहीं जान पाता ।

IMPORTANT LINK

Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com

About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment