लेखांकन सूचनाएं किन व्यक्तियों के लिए उपयोगी होती हैं? बताइये। अथवा लेखांकन सूचनाओं का क्या महत्व है?
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लेखांकन सूचनाओं के उपयोगकर्ता
लेखांकन सूचनाओं के निम्नलिखित आन्तरिक और बाह्य उपयोगकर्ता हैं-
1. आन्तरिक उपयोगकर्ता
(1) व्यापार का स्वामी- व्यापार का स्वामी अनिश्चितता के वातावरण में जोखिम उठाकर व्यापार में पूंजी लगाता है। उसे यह जानने का अधिकार है कि व्यवसाय से कितना लाभ हुआ है और व्यापार की आर्थिक स्थिति क्या है? उसे यह जानकारी लेखांकन से मिलती हैं।
(2) प्रबन्धक- व्यापार की व्यावसायिक क्रियाओं के संचालन का दायित्व प्रबन्धक पर है। प्रबन्धक लेखांकन सूचनाओं के द्वारा यह जानकारी प्राप्त करता है कि व्यावसाय की आर्थिक स्थिति क्या है। यह इसी आधार पर व्यावसायिक कार्यकलापों का मूल्यांकन करता है और भविष्य की योजना बनाता है।
(3) लेनदार- उधार माल बेचने वाले या उधार सेवाएं प्रदान करने वाले लेनदार कहलाते हैं। उन्हें वित्तीय विवरण व्यवसाय की उधार क्षमता और शोधन क्षमता की जानकारी देता है। वे इसी आधार पर यह निर्णय लेते हैं कि व्यवसाय को कितना उधार दिया जा सकता है।
(4) ऋणदाता – व्यवसाय में स्वामित्व पूंजी तथा उधार की पूंजी विनियोजित रहती है। उधार की पूंजी बैंक और विनियोक्ताओं से मिलती हैं। ये ऋणदाता वित्तीय विवरण से यह जानकारी लेते हैं कि उनका धन किस सीमा तक सुरक्षित है और भविष्य में कितना ऋण दिया जा सकता है।
(5) कर्मचारी- व्यापार में कार्यरत कर्मचारियों को यह जानने का अधिकार है कि व्यापार की आर्थिक स्थिति क्या है और उनका हित कहां तक सुरक्षित है। उन्हें यह जानकारी लेखांकन सूचनाओं (वित्तीय विवरण) से प्राप्त होती है। वे इसी आधार पर अपनी मजदूरी, वेतन, बोनस तथा अन्य सुविधाओं में वृद्धि की मांग करते हैं।
2. बाह्य उपयोगकर्ता
(1) भावी निवेशक- व्यापार से सम्भावित ऋणदाता भावी निवेशक होते हैं। ये निवेशक लेखांकन से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर व्यापार को ऋण देने का निर्णय लेते हैं।
(2) कर प्राधिकारी- कर प्राधिकारी व्यापार का कर निर्धारण वित्तीय विवरणों के आधार पर करते हैं। इस कारण वे लेखांकन की सूचनाओं को जानना चाहते हैं।
(3) वित्तीय विश्लेषक/वित्तीय- सलाहकार व्यवसाय समय-समय पर अपने वित्तीय कार्यों की क्षमता का आकलन वित्तीय विश्लेषक / वित्तीय सलाहकार से करवाता है। वित्तीय विवरणों के आधार पर उसे यह सलाह मिलती है।
( 4 ) सरकार सरकार लेखांकन सूचनाओं के आधार पर व्यवसाय की प्रगति की जानकारी प्राप्त करती है और उत्पादन कर, बिक्री कर आदि का वर्तमान प्राप्ति और भविष्य की प्राप्ति का अनुमान लगाती है।
(5) अनुसन्धानकर्ता- किसी व्यवसाय/उद्योग के वित्तीय और आर्थिक पक्ष पर अनुसन्धान करने के लिए अनुसन्धानकर्ता को वित्तीय विवरणों और लेखांकन सूचनाओं की आवश्यकता होती है। वह इन सूचनाओं के आधार पर व्यावसायिक क्रियाओं का विश्लेषण करता है।
(6) स्थानीय समुदाय- स्थानीय व्यापार का स्थानीय समुदाय पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। स्थानीय व्यापार स्थानीय लोगों को रोजगार तथा सेवाएं देकर उनकी आर्थिक स्थिति में वृद्धि करते हैं वहां औद्योगिक प्रदूषण बढ़ाकर उनके स्वास्थ्य पर अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव भी डालते हैं। स्थानीय समुदाय लेखांकन सूचनाओं से इस बात की जानकारी चाहते हैं कि स्थानीय व्यापार उनके जीवन पर किस ढंग से प्रभाव डाल रहा है।
लेखांकन सूचनाओं (आंकड़ों) का उपयोग/महत्व / कार्य
लेखांकन सूचनाओं (आंकड़ों) की उपयोगिता महत्व/कार्य निम्नलिखित हैं-
(1) व्यापारिक उपलब्धियों का मापन करना- लेखांकन सूचनाएं व्यापार की वित्तीय उपलब्धियों को स्पष्ट करने में सहयोग देती हैं। इन सूचनाओं में उल्लेखित विवरण यह विश्लेषित कर देते हैं कि व्यापार की आर्थिक गतिविधियों की प्रवृत्ति क्या है।
(2) व्यापारिक निर्णय लेने में सहायता देना- लेखांकन सूचनाएं सम्बद्ध पक्षों को व्यापारिक निर्णय लेने में विशेष भूमिका निभाती है। इन सूचनाओं के आधार पर व्यापार का स्वामी व्यापार के अनावश्यक व्ययों को नियन्त्रित करता है, अपनी त्रुटिपूर्ण व्यापारिक नीति में सुधार करता है और व्यावसायिक विचलनों को दूर करता है।
(3) भविष्यकालीन नियोजन में सहायक- लेखांकन सूचनाएं वर्तमान वित्तीय स्थिति का विश्लेषण देने के साथ-साथ भविष्यकालीन नियोजन में भी सहायता देती है। ये सूचनाएं भविष्य के उत्पादन, विक्रय, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष व्यय, आय और लाभ तथा भविष्यकालीन पूंजी के अनुमान में उपयोगी सिद्ध होती है। इन सूचनाओं के आधार पर भविष्य की नीतियां बनाई जाती हैं।
(4) सुधारक कार्यवाहियों में सहायक- लेखांकन सूचनाओं से विचलनों की जानकारी हो जाती है। इससे भविष्य में सुधारक नीतियों को बनाने में सहायता मिलती है।
(5) तुलनात्मक अध्ययन में सहायक- लेखांकन वर्ष के बजट की तुलना वित्तीय विवरणों और लेखांकन सूचनाओं से करने पर यह ज्ञात हो जाता है कि व्यापार के विकास की प्रगति किस ओर है। इनका तुलनात्मक अध्ययन भविष्य के लिए उपयोगी होता है।
(6) वैधानिक आवश्यकाताओं की पूर्ति में सहायक- लेखांकन सूचनाएं यह स्पष्ट कर देती है कि व्यापार ने अपनी वैधानिक आवश्यकताओं की पूरा किया है या नहीं। ये सूचनाएं यह बताती हैं कि भारतीय साझेदारी अधिनियम, भारतीय कम्पनी अधिनियम, आय कर अधिनियम के अधीन किस सीमा तक व्यापार ने अपने दायित्वों को निभाया है।
( 7 ) नियन्त्रण में सहायक लेखांकन सूचनाएं यह बताती हैं कि किए जा रहे व्यय किस सीमा तक उचित या अनुचित हैं, व्यापारिक कार्य पूर्वनिर्धारित योजनाओं के अनुसार चल रहे हैं या नहीं, स्थायी और चालू सम्पत्तियों के मूल्यांकन की विधि नियमानुसार है या नहीं। इन्हें जानने के बाद व्यापार इनमें प्राप्त कमियों पर नियन्त्रण करने की योजना बनाता है।
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