स्वीकृति के लिए प्रस्तुति से आप क्या समझते हैं? स्वीकृति सम्बन्धी नियमों की व्याख्या कीजिए और इनके प्रकार बताइए।
स्वीकृति के लिए प्रस्तुति – विनिमय विपत्र को ही स्वीकृति के लिए प्रस्तुत किया जाता है। दर्शनी बिल (Sight bill) को स्वीकृति करने के लिए प्रस्तुत करना आवश्यक है, क्योंकि ऐसा करने से भुगतान के लिए दायित्व (Due) तिथि निर्धारित हो जाती है। यदि बिल में भुगतान के पहले उसी स्वीकृति के लिए करना आवश्यक हो अथवा नहीं प्रत्येक दशा में स्वीकृत होना ठीक होता है। क्योंकि स्वीकृति लेने से लेनदार की साख प्राप्त हो जाती है तथा स्वीकृत बिल के ऊपर प्रतिभू के रूप में दायी हो जाता है।
प्रस्तुति का समय – विनिमय-पत्र पर स्वीकृति प्राप्त करने हेतु उसे व्यापार के दिन तथा घंटों में प्रस्तुत करना चाहिए।
स्वीकृति सम्बन्धी निमय और इनके प्रकार
निम्नलिखित नियम है-
(1) प्रस्तुति का स्थान – यदि विनिमय पत्र में प्रस्तुति का स्थान निर्दिष्ट कर दिया गया हो तो प्रस्तुति उस निर्दिष्ट स्थान पर की जानी चाहिए यदि स्थान निर्दिष्ट न किया गया हो, तो प्रस्तुति आहार्थी के निवास स्थान पर की जानी चाहिए। (धारा 61)
(2) बिल जो स्वीकृति के लिए प्रस्तुत नहीं किये जा सकते- ऐसे बिलों को जो कि मांगने पर देय अथवा तिथि से एक निश्चित समय के बाद देय है अथवा जो एक नियत तिथि पर देय है स्वीकृति के लिए प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है।
(3) प्रस्तुति आवश्यक होने पर भी निम्नलिखित परिस्थितियों में क्षम्य है-
- जब देनदार कल्पित व्यक्ति हो
- यदि यथोचित तलाशी के बाद भी देनदार न मिलता हो
- जब देनदार अनुबन्ध करने के अयोग्य हो
- जब देनदार दिवालिया हो गया हो या मर गया हो और
- जब प्रस्तुति को किसी अन्य कारण से अस्वीकार कर दिया हो।
(4) कौन स्वीकृति दे सकते हैं-
- आहार्थी (देनदार) अथवा उसका अधिकृत एजेन्ट
- आहार्थी की मृत्यु की दशा में उसके वैधानिक प्रतिनिधि
- आहार्थी के दिवालिया दो जाने पर उसके राजकीय प्रापक (धारा 75)
- आवश्यकता की दशा में आहार्थी (धारा 33 )
- प्रतिष्य हेतु स्वीकर्ता (धारा 34)
- यदि एक से अधिक आहार्थी हो तो सभी आहार्थी, लेकिन ये सभी आहाय आपस में सरदार अथवा एक दूसरे के एजेन्ट नहीं होने चाहिए।
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