विनिमय पत्र की परिभाषा दीजिए। विनिमय पत्र के पक्षों को अपने दायित्व से मुक्ति किस प्रकार मिलती हैं?
विनिमय पत्र की परिभाषा – “विनिमय पत्र एक लिखित लेख पत्र है जिसमें लेखक अपने हस्ताक्षर करके किसी निश्चित व्यक्ति को यह शर्त रहित आदेश देता है कि वह किसी निश्चित व्यक्ति को या उसके आदेशानुसार अथवा उसके वाहक को उसमें लिखित नियम धनराशि का भुगतान करे।”
पक्षकारों की दायित्व से मुक्ति
दायित्व से मुक्ति का अर्थ- विनिमय-साध्य लेख-पत्रों के सम्बन्ध में ‘मुक्ति’ शब्द के दो अर्थ है- (अ) लेख पत्र का मुक्त होना, तथा (ब) लेख-पत्र के पक्षकारों का दायित्व से मुक्त होना।
लेख- पत्र की मुक्ति तो उस समय कही जाती है, जबकि इसके अन्तर्गत समस्त अधिकार समाप्त हो जाते हैं और विनिमय-साध्य लेख-पत्र भी नहीं रहता। यहाँ तक कि यथाविधिधारी को भी इसके अन्तर्गत कोई भी अधिकार प्राप्त नहीं होता। इसके विपरीत, लेख-पत्र के एक या एक से अधिक पक्षकारों का दायित्व से मुक्त होना उस समय कहा जाता है कि जबकि वह तो अपने दायित्व से मुक्त हो जाता है किन्तु अन्य पक्षकार लेख-पत्र के अन्तर्गत उत्तरदायी बने रहते हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी विनिमय-पत्र को उसकी भुगतान तिथि पर प्रस्तुत नहीं किया जाय, तो पृष्ठांकनकर्ता अपने दायित्व से मुक्त हो जाते हैं किन्तु स्वीकर्ता उत्तरदायी बना रहता है।
दायित्व से मुक्त होने की विधि- किसी लेख-पत्र का आहर्ता, स्वीकर्ता, अथवा पृष्ठांकनकर्ता निम्नलिखित परिस्थितियों में अपने दायित्व से मुक्त हो जाते हैं-
(1) विलोपन द्वारा अथवा निरस्त करने से- यदि धारण किसी लेखक, स्वीकर्ता अथवा पृष्ठांकनकर्ता का नाम उसे मुक्त करने के उद्देश्य से काट देता है, तो ऐसा आहर्ता अथवा पृष्ठांकनकर्ता धारक के प्रति अथवा उसके अधीन अन्य भुगतान पाने वाले पक्षकारों के प्रति भुगतान करने के दायित्व से मुक्त हो जाता है। (धारा 82(अ)
इस सम्बन्ध में यह बात उल्लेखनीय है कि यदि किसी लेख-पत्र में किसी पक्षकार का नाम गलती से कट जाता है, तो वह पक्षकार अपने दायित्व से मुक्त नहीं होता है।
(2) छुटकारे द्वारा यदि किसी लेख- पत्र का धारक विलोपन के अतिरिक्त अन्य किसी रीति से उसके लेखक, स्वीकर्ता अथवा पृष्ठाकनकर्ता को छुटकारा दे देता है तब इस प्रकार से मुक्त पक्षकार, धारक तथा धारक के अधीन, ऐसे छुटकारे की सूचना के पश्चात् अधिकार पाने वाले अन्य पक्षकारों के प्रति भुगतान करने के दायित्व से मुक्त हो जाता है। (धारा 33 (ब)
(3) भुगतान द्वारा- यदि परिपक्वता पर धारक अथवा उसके एजेण्ट को लेख-पत्र का भुगतान कर दिया जाय, तो समस्त पक्षकार अपने दायित्व से मुक्त हो जाते हैं। यदि लेख-पत्र वाहक को देय है अथवा उसका रिक्त पृष्ठांकन किया जा चुका है और उसका लेखक, स्वीकर्ता अथवा पृष्ठांकनकर्ता भुगतान कर देता है, तो समस्त पक्षकार दायित्व से मुक्त हो जाते हैं। (धारा 82 (स)
(4) सन्नियम के प्रचलन द्वारा- कभी-कभी किसी सन्नियम के प्रचलन के द्वारा भी पक्षकार अपने भुगतान के दायित्व से मुक्त हो जाते हैं। जैसे ऋणी दिवालिया अधिनियम के द्वारा दिवालिया घोषित होने पर, अपने भुगतान से मुक्त हो जाता है
(5) आहाय अथवा देनदार को 48 घण्टे से अधिक का समय देकर – यदि विनिमय-पत्र धारक, आहार्यों को सार्वजनिक छुट्टियों को छोड़कर 48 घण्टे से अधिक का समय उसकी स्वीकृति के लिए दे देता है, तो समस्त पूर्व-पक्षकार जो इसके लिए अपनी अनुमति नहीं देते, तो धारक के प्रति अपने दायित्व से मुक्त हो जाते हैं। (धारा 83)
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