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राष्ट्रीय आयोग से आप क्या समझते हैं? राष्ट्रीय आयोग द्वारा शिकायतों के निपटारे की प्रक्रिया

भारत में उपभोक्तावाद की वर्तमान स्थिति अथवा भारत में उपभोक्ता संरक्षण हेतु किये गये प्रयास
भारत में उपभोक्तावाद की वर्तमान स्थिति अथवा भारत में उपभोक्ता संरक्षण हेतु किये गये प्रयास
राष्ट्रीय आयोग से आप क्या समझते हैं? राष्ट्रीय आयोग द्वारा शिकायतों के निपटारे की प्रक्रिया बताइए।

राष्ट्रीय आयोग- राष्ट्रीय आयोग की स्थापना केन्द्रीय सरकार द्वारा अधिसूचना जारी कर की जा सकती है। इस आयोग का पूरा नाम राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाह निवारण संस्था है। यह उपभोक्ता विवादों का निपटारा करने वाली राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोच्च संख्या है। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की सलाह से केन्द्रीय सरकार किसी ऐसे व्यक्ति को जो उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश हो या रह चुके हो इस आयोग का अध्यक्ष नियुक्त कर सकती है। इसके चार अन्य सदस्य जो योग्यता सत्यनिष्ठा और ख्याति प्राप्त व्यक्ति हो और उन्हें अर्थशास्त्र, वाणिज्य, लेखाशास्त्र, जनसम्पर्क तथा प्रशासन का ज्ञान हो अथवा अनुभव प्राप्त हो। इनकी आयु कम से कम 35 वर्ष और शैक्षिक योग्यता स्नातक होनी चाहिए। इसमें 50% सदस्य ऐसे हो जिनकी न्यायिक पृष्ठभूमि हो।

राष्ट्रीय आयोग के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 5 वर्ष तक या 70 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) हो सकता है।

राष्ट्रीय आयोग द्वारा शिकायतों के निपटारे की प्रक्रिया-

केन्द्रीय सरकार ने शिकायतों के निपटारे के सम्बन्ध में निम्नलिखित नियम बनाए है जिनका कि आयोग पालन करेगा-

1. शिकायत की विधि- राष्ट्रीय आयोग के समक्ष शिकायत करने की विधि निम्न है-

(1) शिकायत कर्ता या उसके एजेन्ट द्वारा शिकायत दर्ज की जा सकती है।

(2) शिकायत व्यक्तिगत रूप से या पंजीकृत डाक द्वारा प्रस्तुत की जा सकती है।

(3) शिकायत में शिकायतकर्ता का नाम पता विवरण विरोधी पक्ष का नाम पता तथा विवरण शिकायत से सम्बन्धित तथ्य शिकायत उत्पन्न होने का स्थान समय दिन आदि आरोपों की पुष्टि के लिए साक्ष्य तथा अपेक्षित राहत का दावा होना चाहिए।

2. सुनवाई की तिथि- प्रत्येक पक्षकार या उसके एजेन्ट को आयोग के सक्षम निश्चित की गयी तिथि पर उपस्थिति होना होगा। अनुपस्थिति की दशा में राष्ट्रीय आयोग गुण-दोषों के आधार पर या तो शिकायत को निरस्त कर देगा या निर्णय देगा।

3. निर्णय स्थगन – आवश्यकता होने पर आयोग शिकायत की सुनवाई को स्थगित कर सकता है। राष्ट्रीय आयोग सुनवाई की तिथि से तीन महीने के अन्दर अपना निर्णय दे देगा। यदि किसी मामले में विशेष जाँच की आवश्यकता है तो वह अपना निर्णय 5 माह के अन्दर देगा।

4. आदेश- आयोग सुनवाई की कार्यवाही पूरी हो जाने पर अधिनियम की धारा 14 (1) में वर्णित एक या एक से अधिक कार्यों को करने के आदेश दे सकता है यह आदेश निम्नलिखित कार्यों के करने के सम्बन्ध में हो सकता है।

  1. माल में प्रयोगशाला द्वारा इंगित दोष करने के लिए।
  2. उस माल के स्थान पर नया दोषमुक्त माल देने के लिए।
  3. चुकाये गये मूल्य को लौटाने के लिए।
  4. मंच द्वारा निर्धारित राशि लौटाने के लिए।
  5. सेवाओं से दोष दूर करने के लिए।

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Anjali Yadav

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