गति एवं उसके प्रकारों को कक्षा में कैसे स्पष्ट करेंगे?
हमारी पृथ्वी सौर परिवार की एक महत्वपूर्ण सदस्य है। पृथ्वी के अलावा सौर परिवार के सभी सदस्य बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरूण, वरूण और यम है। सौर परिवार के ग्रह में पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है जहां जल और जीवन है। पृथ्वी ही हमारी सभ्यता और संस्कृति की अभिवृत्ति है। हमारी यह पृथ्वी अपने स्थान पर स्थिर नहीं है। यह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है। इसके साथ ही यह अपनी कल्पित धुरी पर हमेशा पश्चिम से पूर्व की तरफ घूमती रहती है। सूर्य का चक्कर लगाने तथा लट्टू की तरह अपने अक्ष पर घूमने को इसकी गतियां कहा जाता है। पृथ्वी की इस तरह दो गतियां हैं- (1) दैनिक गति – जिसे परिभ्रमण कहते हैं और (2) वार्षिक गति जिसे परिक्रमण कहा जाता है।
1. दैनिक गति – पृथ्वी अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है और 24 घंटे में एक चक्कर लगा लेती है। इसे पृथ्वी की दैनिक गति या परिभ्रमण कहते हैं। पृथ्वी की धुरी का उत्तरी सिरा उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी सिरा दक्षिण ध्रुव कहलाता है। चूंकि पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है। इसलिए पृथ्वी पर हमें सूर्य रोजाना पूर्व निकलकर आकाश में ऊपर जाकर फिर नीचे की ओर आकर, पश्चिम में डूबता हुआ दिखाई पड़ता है। हमेशा घूमते रहने के कारण पृथ्वी दोनों ध्रुवों पर चपटी तथा भूमध्य रेखा के पास उभरी हुई है। पृथ्वी की ध्रुवों के पास गति शून्य है। यहां से जैसे-जैसे बढ़ती. जाती है। भूमध्य रेखा पर इसकी घूमने की परिभ्रमण गति अधिकतम 1,671 किलोमीटर प्रति घंटे है।
2. वार्षिक गति- पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमने के साथ-साथ सूर्य की भी परिक्रमा करती है। इसे पृथ्वी की वार्षिक गति कहते हैं। पृथ्वी को एक परिक्रमा करने में 365 दिन 5 घंटे, 48 मिनट का समय लगता है। पृथ्वी की परिक्रमा का मार्ग निश्चित है। इस मार्ग को कक्ष कहते हैं। यह दीर्घ अण्डाकार है। सूर्य इस कक्ष के ठीक केन्द्र में नहीं, वरन् एक ओर कुछ हटकर स्थित दिखता है, जिसके परिणामस्वरूप परिक्रमा करते समय सूर्य से पृथ्वी की दूरी हमेशा बराबर नहीं रहती। जून के महीने में पृथ्वी की दूरी सूर्य से सबसे अधिक अर्थात् 15 करोड़ 21 लाख किलोमीटर होती है। जबकि दिसम्बर के महीने में इसकी सूर्य से दूरी सबसे कम अर्थात् 14 करोड़ 70 लाख किलोमीटर ही होती है।
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