जलवायु पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
जलवायु:- भारत की जलवायु पर उसकी उष्ण एवं समशीतोष्ण अक्षांशों में स्थिति, विस्तार, हिमालय तथा अन्य पर्वतों की दिशा और धरातल की बनावट का बहुत प्रभाव पड़ता है। देश के आधे से अधिक भाग कर्क रेखा के उत्तर में है। दक्षिणी भाग तीनों ओर से समुद्र जल से घिरा है। समुद्र की निकटता और पठारी भूमि होने के कारण वहां अधिक गर्मी नहीं पड़ती है। जलवायु सम है हालांकि यह भाग भूमध्य रेखा के निकट है। उपर्युक्त कारणों से हमारे देश के अलग-अलग भागों में गर्मी और वर्षा की मात्रा कम या अधिक होती है। भारत की जलवायु पर मौसमी हवाओं का प्रभाव भी बहुत है इसलिये यहां की जलवायु को मौसमी या मानसूनी जलवायु कहते है। मौसम या ऋतुओं के अनुसार मानसून हवाओं की दिशा बदलती रहती हैं।
वर्षा ‘ऋतु’ में मौसमी हवायें दक्षिण – पश्चिम दिशा से अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से स्थल की ओर चलती है। वर्षा का वितरण इन हवाओं कीं दिशा एवं पर्वतों की दिशा के अनुसार होता है। सबसे अधिक वर्षा पश्चिमी तट तथा देश के पूर्वी भाग में होती है। इसके विपरीत गुजरात के उत्तरी, राजस्थान के पश्चिमी भाग में वर्षा सबसे कम होती है। देश के शेष भागों में कहीं सामान्य तथा कहीं सन्तोषजनक वर्षा होती है।
शीत ऋतु में यही मानसूनी हवायें उत्तर-पूर्व से दक्षिण- पश्चिम की ओर, स्थल से समुद्र की ओर चलती है। स्थल से चलने के कारण सूखी होती है। बंगाल की खाड़ी से गुजरने पर इनमें जलवाष्प की मात्रा बढ़ जाती है। और ये तमिलनाडु के पूर्वी तट पर वर्षा करती है। इन दिनों उत्तरी भारत में तेज ठण्ड पड़ती है। उत्तर के मैदान में हल्की वर्षा भी होती है। ओले के रूप में भी वर्षा हो जाती है।
गर्मी की ऋतु में पूरे भारत में धूल भरी आंधियां चलती है। दोपहर को गर्म व सूखी हवायें चलती है। जिन्हें लू कहते है। दक्षिणी भारत समुद्र के निकट होने से अधिक गर्म नहीं रहता है।
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