विचार-विमर्श विधि की विशेषताएँ लिखिए।
विचार-विमर्श विधि की विशेषताएं
इस शिक्षण विधि की निम्न विशेषताएं हैं-
1. सक्रियता – विद्यार्थी हमेशा सक्रिय है इस प्रक्रिया के अन्तर्गत। यह अध्यापक का कर्त्तव्य है कि वह उनकी क्रियाओं में निर्देशन प्रदान करें और साथ ही निरीक्षण भी करें।
2. सुसज्जित वार्तालाप – एक अच्छा विचार-विमर्श सुसज्जित वार्तालाप होता है, जिसमें प्रत्येक प्रतियोगी सहनशील, सचेत, वीर और अच्छे स्वभाव का है। क्रियाओं का अन्तर बहुत बड़ा हो गया है। जिनको विद्यार्थियों और अध्यापकों के द्वारा वर्णित किया जाता है
3. उद्देश्य लक्ष्य प्राप्त करना – एक प्रभावशाली विचार-विमर्श का लक्ष्य ज्ञान सम्बन्धी उद्देश्यों को प्राप्त करना है।
4. रणनीति – एक विचार-विमर्श विधि निम्नलिखित सिद्धान्तों पर आधारित – होती है- (अ) सक्रिय प्रतियोगी का सिद्धान्त (ब) कार्य के लिए स्वतन्त्रता का सिद्धान्त (स) प्रतियोगी का प्रश्न पूछने के द्वारा समान अवसर देने का सिद्धान्त
5. सम्बन्धों का विचारशील तथ्य – इस अध्ययन के अन्तर्गत एक विषय या समस्या में सम्मिलित सम्बन्धों का विचारशील तथ्य के रूप में वर्णन किया जाता है। यह इन सम्बन्धों के विश्लेषण, मूल्यांकन, तुलना और निष्कर्ष से सम्बन्धित है।
6. तथ्यों का प्रबन्ध और वर्णन- विचार-विमर्श में किये गये तथ्यों का प्रबन्ध, वर्णन तथा रूपरेखा बनाकर तैयार किये जाते हैं।
7. विचारों का आदान-प्रदान- खोज के द्वारा विचारों का आदान-प्रदान इसके तथ्यपूर्ण आधार के लिए विचार-विमर्श में रखे जाते हैं, जिसमें अध्ययन और तैयारी, विषय सामग्री का चयन और प्रबन्ध, आदान-प्रदान वाले विचार तथा अध्ययन प्रक्रियाएं सम्मिलित होती हैं। विचारों का आदान-प्रदान विद्यार्थियों को विचारशील सोच में मूल्यवान प्रशिक्षण देता है।
8. सहयोगात्मक प्रतियोगिता- इस विधि में प्रतियोगी सहयोगात्मक प्रतियोगिता की प्रक्रिया में भाग लेते हैं।
9. समस्याओं का समाधान यह विद्यार्थियों को एक समस्या के समाधान के प्रति उनकी विचार प्रक्रिया को सही करके प्रोत्साहित करता है।
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