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अंकीय पुस्तकालय (डिजिटल लाइब्रेरी) से क्या अभिप्राय है? डिजिटल लाइब्रेरी के लाभ

अंकीय पुस्तकालय (डिजिटल लाइब्रेरी) से क्या अभिप्राय है? डिजिटल लाइब्रेरी के लाभ
अंकीय पुस्तकालय (डिजिटल लाइब्रेरी) से क्या अभिप्राय है? डिजिटल लाइब्रेरी के लाभ

अंकीय पुस्तकालय (डिजिटल लाइब्रेरी) से क्या अभिप्राय है? यह परम्परागत पुस्तकालय की अवधारणा से किस प्रकार भिन्न है? अथवा डिजिटल लाइब्रेरी के महत्व पर प्रकाश डालिए।

अंकीय पुस्तकालय (डिजिटल लाइब्रेरी) से आशय:- विकिपीडिया के अनुसार अंकीय पुस्तकालय ऐसा पुस्तकालय है जिसमें प्रिण्ट या माइक्रोफार्म के विपरीत कम्प्यूटर के माध्यम से अभिगम्य पठनीय प्रारूपों से संसाधनों का महत्वपूर्ण मात्र उपलब्ध होता है। अंकीय वर्ण्यविषय स्थानीय रूप से उपलब्ध हो सकता है या कम्प्यूटर नेटवर्क के माध्यम से दूर से अधिगम किया जा सकता है।

पुस्तकालयों में अंकीकरण की प्रक्रिया निम्नलिखित सेवाओं के साथ आरम्भ हुई थी।

  • प्रथम:- क्रमादेश सूची (Catalogiving) बनाने में।
  • द्वितीय:- आवधिक सूचियों और संक्षेपीकरण में ।
  • तृतीय:- पत्र-पत्रिकाओं और विशाल सन्दर्भ कार्य में और
  • चतुर्थ:- पुस्तक प्रकाशन में

विश्व के कुल विशालतम डिजिटल लाइब्रेरी के उदाहरणों में से एक है- इंटरनेट आकाइवज, प्रोजेक्ट गुटेनबर्ग, इबिस्लिओ इत्यादि ।

डिजिटल लाइब्रेरी के लाभ:- वीकिपीडिया शब्दकोष ने परम्परागत पुस्तकालयों तुलना में डिजिटल पुस्तकालयों के निम्नलिखित लाभों का संक्षेप में विवरण दिया की है।

लाभ/महत्व का आधार

परम्परागत पुस्तकालय अंकीय पुस्तकालय (डिजिटल लाइब्रेरी)
1. भण्डारण स्थान परम्परागत पुस्तकालय में किताबों, पत्र-पत्रिकाओं एवं अन्य अध्ययन सामग्री के लिए एक निश्चित और सीमित स्थान होता है। अंकीय पुस्तकालय में स्थान संबंधी कोई समस्या नहीं होती है क्योंकि बहुत कम स्थान या पात्र कुछ में हजारों पुस्तकों को डिजिटल रूप में रखा जा सकता है।
2. लागत परम्परागत पुस्तकालय के रख- रखाव व संचालन के लिए बहुत अधिक लागत आती है क्योंकि इसके लिए स्टाफ़, पुस्तक, अनुरक्षण, शुल्क, किराया इत्यादि के कारण यह काफी खर्चीला और लागत भरा होता है। डिजिटल लाइब्रेरी की लागत परम्परागत पुस्तकालय की तुलना में बहुत कम होती है क्योंकि इसके लिए स्टाफ या अन्य तरह के व्यय शामिल नहीं होते है।
3. नवाचार परम्परागत पुस्तकालय की अवधारणा में विजय को लेकर नवाचार नही होता है इस कारण ज्ञान का अपडेट नहीं हो पाता है। यदि कभी होता भी है तो यह अल्प होता है। प्रौद्योगिकी में नव परिवेश को तत्काल अपनाया जाता है ताकि उपभोक्ताओं को इलैक्ट्रॉनिक और आडियो पुस्तकों में नवीन तकनीक का सहारा लेकर सुधार और नवाचार किया जा सकता है संचार के नए प्रकारों जैसे ब्लाग और ई शेयरिंग को अपनाया जाता है।
4. भौतिक सीमा पुरातन पुस्तकालय की अवधारणा में पुस्तकालय की एक भौतिक सीमा होती है। अंकीय पुस्तकालय की भौतिक सीमा नहीं होती है क्योंकि उपभोक्ता को शारीरिक रूप से पुस्तकालय जाने की आवश्यकता नहीं होती है यह इन्टरनेट के माध्यम से विश्वभर में व्यापक रूप से फैला हुआ है।

5. अधिगम

पुरातन पुस्तकालय की अवधारणा में अधिगम सीमित होता है। अंकीय पुस्तकालय में अधिगम की प्रक्रिया बहुत व्यापक होती है क्योंकि एक स्त्रोत कई उपभोक्ताओं द्वारा एक ही समय में प्रयुक्त किया जा सकता है।
6. उपलब्धता परम्परागत पुस्तकालय का एक निश्चित समय होता है जिसमें एक निश्चित समय के बाद उसे बन्द करना पड़ता है इस कारण परम्परागत पुस्तकालय के ज्ञान की उपलब्धता समय बद्ध और निश्चित होती है। अंकीय पुस्तकालय 24×7 खुला रहता है इसका अध्ययन किसी भी समय किया जा सकता है। इसके लिए व्यक्ति को किसी खास समय अथवा दिन का इन्तजार नहीं करना पड़ता है।
7. उपागम परम्परागत पुस्तकालय का उपागम समय साध्य होता है उस कारण उसके अध्ययन के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। डिजिटल लाइब्रेरी अधिक व्यवस्थित और संधारित होती है उसमें समय की बचत होती है क्योंकि सम्बद्ध वर्ण्यविषय को आसानी से ढूँढा जा सकता है।
8. सूचना को ढूंढना परम्परागत पुस्तकालय में सूचनाओं को ज्ञात करने में बहुत अधिक समय खराब होता है साथ ही यह बहुत ऊबाऊ व श्रम साध्य होता है। उपभोक्ता किसी भी खोज शब्द या सम्पूर्ण संग्रह के वाक्यांश प्रयोग करके आसानी से विषय की पकड़ कर सकता है।
9. सुरक्षण और संरक्षण परम्परागत पुस्तकालय में संधारित पुस्तकों पत्रिकाओं का सुरक्षण व संरक्षण करना बड़ा ही दुष्कर, खर्चीला और श्रम साध्य होता है। डिजिटल लाइब्रेरी में सुरक्षण एवं संरक्षण की उतनी आवश्यकता नहीं होती जितनी परम्परागत पुस्तकालय में होती है। मूल प्रति की गुणवत्ता में किसी प्रकार की क्षति किये।
10. नेटवर्किंग परम्परागत पुस्तकालय में किसी भी प्रकार की नेटवर्किंग नहीं होती है। डिजिटल पुस्तकालय विश्व के प्रायः सभी विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों से आपस में जुड़े हुए होते हैं।
11. कागज की बचत परम्परागत पुस्तकालय में पुस्तकों को तैयार करने में बहुत अधिक कागज की आवश्यकता होती है। डिजिटल लाइब्रेरी में एक बार में किसी पुस्तक के ऑन लाइन होने के बाद किसी भी तरह की कागज की आवश्यकता नहीं होती है।

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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