Contents
उपभोक्ता संरक्षण क्या है? उपभोक्ता के सामान्य अधिकार बताइए।
उपभोक्ता संरक्षण का अर्थ- उपभोक्ता के आधारभूत अधिकारों और हितों को समुचित सुरक्षा प्रदान करना उन्हें शोषण से बचाना तथा उपभोक्ता चेतना, उपभोक्ता शिक्षा, साथ हो वैधानिक अधिनियम के माध्यम से उपभोक्ताओं को स्वच्छ वातावरण का अधिकार प्रदान करना ही उपभोक्ता संरक्षण या उपभोक्तावाद कहलाता है।
फिलिप कोटलर के अनुसार, “उपभोक्तावाद विक्रेताओं के सम्बन्ध में क्रेताओं के अधिकार व शक्तियों को बढ़ाने वाला एक सामाजिक आन्दोलन है।”
उपभोक्तावाद में उपभोक्ता वर्ग के हितों की रक्षा होती है। उपभोक्ता के सामने समस्या होने के कारण उपभोक्तावाद का जन्म होता है। अन्य आन्दोलन जैसे-स्वतन्त्रता आन्दोलन, नागरिक अधिकार आन्दोलन आदि की भाँति उपभोक्तावाद भी एक आन्दोलन है।
उपभोक्ता के सामान्य अधिकार-
उपभोक्ता के सामान्य अधिकार निम्नलिखित-
1. उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार- सरकारी तथा गैर सरकारी प्रचार माध्यमों के द्वारा उपभोक्ताओं की मिलावटी वस्तुओं की पहचान के बारे में, कम नाप-तौल की पहचान के बारे में शिकायत दर्ज की विधि जैसी शिक्षा प्राप्त करने का मौलिक अधिकार है।
2. सुरक्षा का अधिकार- उपभोक्ता के पास यह भी अधिकार है कि सरकार के द्वारा उन्हें उन वस्तुओं की सुरक्षा की गारण्टी प्रदान की जाय जो मिलावटी हो या उपभोक्त के लिए खतरनाक हो, जिससे उसके स्वास्थ्य या जीवन को खतरा हो।
3. स्वस्थ वातावरण का अधिकार- उपभोक्ता को यह भी अधिकार है कि उसे जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण से बचाया जाय। इसके लिए विभिन्न अधिनियम भी बनाये गये हैं।
4. शिकायत की सुनवाई का अधिकार- किसी भी उपभोक्ता को यह भी अधिकार प्रदान किया गया है कि वस्तओं और सेवा में कमी या धोखाधड़ी के मामलों में यह उपभोक्ताओं संरक्षण मंचों में शिकायत दर्ज करके न्याय की माँग कर सकता है।
5. वस्तुओं के चयन का अधिकार- कोई भी उपभोक्ता अपनी आवश्यकता और इच्छा के अनुसार वस्तुओं और सेवाओं का चुनाव कर सकता है। उसे किसी भी वस्तु या सेवा को खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।
6. सूचनाएँ प्राप्त करने का अधिकार- किसी भी उपभोक्ता के पास वस्तुओं और सेवाओं को प्रदान करने वाले व्यापारियों, व्यक्तियों, सरकारी और गैर-सरकारी विभागों से वस्तु की किस्म, स्तर, मूल्य तथा उपयोग करने की विधि के बारे में सभी सूचनाएँ प्राप्त करने का अधिकार है।
7. प्रलेखों, प्रपत्रों या पुस्तकों को माँगने का अधिकार – उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की 10 (1) (c) के अन्तर्गत जिला मंच आवश्यकता पड़ने पर इस अधिनियम के किसी भी उद्देश्य को पूरा करने के लिए सम्बन्धित पुस्तकों, लेखों, प्रलेखों या दस्तावेजों की माँग कर सकता है।
8. सुनवाई को स्थगित करना- जिला मंच के द्वारा सिर्फ एक बार उचित तथ्यों के आधार पर सुनवाई को स्थगित किया जा सकता है। लेकिन स्थगन की तिथि के बाद की तिथि पर शिकायत के सम्बन्ध में सुनवाई का होना आवश्यक है।
IMPORTANT LINK
- दिवालिया का अर्थ एवं परिभाषा | दिवालियापन की परिस्थितियाँ | दिवाला-कार्यवाही | भारत में दिवालिया सम्बन्धी अधिनियम | दिवाला अधिनियमों के गुण एवं दोष
- साझेदार के दिवालिया होने का क्या आशय है?
- साझेदारी फर्म को विघटन से क्या आशय है? What is meant by dissolution of partnership firm?
- साझेदार की मृत्यु का क्या अर्थ है? मृतक साझेदार के उत्तराधिकारी को कुल देय रकम की गणना, भुगतान, लेखांकन तथा लेखांकन समस्याएँ
- मृतक साझेदार के उत्तराधिकारियों को देय राशि के सम्बन्ध में क्या वैधानिक व्यवस्था है?
- साझारी के प्रवेश के समय नया लाभ विभाजन ज्ञात करने की तकनीक
- किराया क्रय पद्धति के लाभ तथा हानियां
- लेखांकन क्या है? लेखांकन की मुख्य विशेषताएँ एवं उद्देश्य क्या है ?
- पुस्तपालन ‘या’ बहीखाता का अर्थ एवं परिभाषाएँ | पुस्तपालन की विशेषताएँ | पुस्तपालन (बहीखाता) एवं लेखांकन में अन्तर
- लेखांकन की प्रकृति एवं लेखांकन के क्षेत्र | लेखांकन कला है या विज्ञान या दोनों?
- लेखांकन सूचनाएं किन व्यक्तियों के लिए उपयोगी होती हैं?
- लेखांकन की विभिन्न शाखाएँ | different branches of accounting in Hindi
- लेखांकन सिद्धान्तों की सीमाएँ | Limitations of Accounting Principles
- लेखांकन समीकरण क्या है?
- लेखांकन सिद्धान्त का अर्थ एवं परिभाषा | लेखांकन सिद्धान्तों की विशेषताएँ
- लेखांकन सिद्धान्त क्या है? लेखांकन के आधारभूत सिद्धान्त
- लेखांकन के प्रकार | types of accounting in Hindi
- Contribution of Regional Rural Banks and Co-operative Banks in the Growth of Backward Areas
- problems of Regional Rural Banks | Suggestions for Improve RRBs
- Importance or Advantages of Bank
Disclaimer