लघु कक्षाओं में छोटी आयु के बच्चे होते हैं और इन कक्षाओं के बालकों का मानसिक विकास भी सीमित होता है। इस स्तर के बालकों की रुचि खेलने-कूदने में अधिक रहती है, तथा कहानी सुनने के बड़े जिज्ञासु होते हैं। कभी-कभी तो एक दो कहानी सुनकर भी सन्तुष्ट नहीं होते हैं। कारण यह है कि कहानियाँ उनकी जिज्ञासा तथा मूल प्रवृत्ति को सन्तुष्ट करती हैं। भूगोल में भी अनेक कहानियाँ कही जा सकती हैं और भूगोल शिक्षण सरलता से किया जा सकता। प्राइमरी एवं जूनियर हाई स्कूल स्तरों में इस विधि को अपनाया गया है। प्राइमरी स्तर पर यह विधि विशेष रूप से उपयुक्त मानी गई है।
भौगोलिक कहानियाँ इतिहास तथा भाषा की कहानियों से भिन्न होती हैं। इन कहानियों में न तो ऐतिहासिक कहानियों के समान मानव के सम्पूर्ण जीवन की रूपरेखा होती है और न भाषा की कहानियों के समान काल्पनिक पात्र, कथावस्तु तथा शैली पर ही विशेष ध्यान दिया जाता है। भौगोलिक कहानियाँ तो केवल मानव और उसके भौगोलिक वातावरण के सम्बन्ध को स्पष्ट करती है।
भौगोलिक कहानियाँ अधोलिखित विषयों से सम्बन्धित हो सकती हैं-
1. अपने देश के विभिन्न राज्यों में रहने वाले बालकों की कहानियाँ, जैसे—पंजाबी, मद्रासी, बंगाली एवं काश्मीरी बालक इत्यादि।
2. अन्वेषकों की कहानियाँ, जैसे-कोलम्बस, वास्कोडिगामा, मैगेलन आदि ।
5. वैज्ञानिक अनुसंधानों एवं आविष्कारों द्वारा प्राकृतिक शक्तियों पर विजय से सम्बन्धित कहानियाँ, जैसे-बाँध बनाना, नहरें बनाना, नदी घाटी योजनायें, जंगलों का साफ करना आदि।
6. संसार के विभिन्न भागों में रहने वाले लोगों के रहन-सहन तथा जीवन के विषय में, जैसे-एस्किमो, बदू, खिरगीज, जापानी, रूसी इत्यादि।
7. साहसी यात्रियों की कहानियाँ, जैसे-तेनसिंह व हिलेरी की एवरेस्ट पर चढ़ाई एवं अन्तरिक्ष यात्रियों की कहानियाँ।
भौगोलिक कहानी की विशेषताएँ
1. भौगोलिक वातावरण किसी प्रदेश के निवासियों के भोजन, वस्त्र, मकान, रहन-सहन एवं सामाजिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित करता है, इस तथ्य को कहानी के माध्यम से स्पष्ट करें।
2. कहानी की सफलता शब्द चित्रों पर निर्भर करती है। अध्यापक कहानी कहते समय अगर अपने शब्दों के माध्यम से उस प्रदेश का सही चित्र विद्यार्थियों के सम्मुख खींच सका और विद्यार्थी उस प्रदेश में अपने आप को बैठा हुआ समझे तो कहानी में रोचकता एवं यथार्थता आ जाती है, तभी किसी प्रदेश का भौगोलिक चित्रण उचित रूप से स्पष्ट समझा जायेगा।
3. भूगोल अध्यापक को कहानी की रचना स्वयं करनी चाहिये ताकि वह बालकों के विभिन्न भौगोलिक वातावरण का चित्रण आसानी से कर सके।
4. भौगोलिक कहानी भौगोलिक तथ्यों से युक्त होनी चाहिये ।
5. कहानी की भाषा सरल, स्पष्ट एवं बालकों के मानसिक विकास के अनुकूल होनी चाहिये।
6. कहानी जिज्ञासा को जाग्रत करने वाली एवं कौतूहल पूर्ण होनी चाहिये।
भूगोल शिक्षण की सफलता उसके कहानी कहने के ढंग पर निर्भर होती है। भूगोल पढ़ाने वाला शिक्षक एक कुशल कहानीकार होना चाहिये। कहानी को दो अथवा तीन अन्वितियों में विभाजित कर लेना चाहिये। प्रत्येक अन्विति की समाप्ति पर अध्यापक प्रश्न पूछता है, जिससे भौगोलिक तथ्य स्पष्ट हो जाय। कहानी की समाप्ति पर पुनरावृत्ति के प्रश्न पूछने चाहिये, जिससे कहानी में आये हुए सभी भौगोलिक तथ्य स्पष्ट हो जायें। कहानियों को सुनाते समय चित्र, मानचित्र, मॉडल आदि सहायक सामग्री की मदद लेनी चाहिये।
गुण (Merit) —
इस विधि में वास्तविक तथ्यों को प्रस्तुत किया जाता है, कल्पनाओं को नहीं।
यह विधि रोचक एवं मनोरंजक है।
यह विधि मनोवैज्ञानिक विधि है, क्योंकि यह बालकों के मानसिक विकास के अनुकूल है।
इस विधि से स्थानीय भूगोल की बातों को समझाकर संसार का ज्ञान दिया जा सकता
यह विधि बालकों की उत्सुकता एवं जिज्ञासा को शान्त करती है।
दोष (Demerit)-
यह विधि प्राथमिक कक्षाओं के लिये उपयुक्त है, उच्च माध्यमिक कक्षाओं में इस विधि को नहीं अपनाया जा सकता है, क्योंकि इस स्तर पर भूगोल का शिक्षण अधिक व्याख्यात्मक हो जाता है।
Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com
इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..