आप राजनीति विज्ञान के लिए एक क्षेत्र पर्यटन का संचालन कैसे करेंगे, समझाइये।
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क्षेत्र पर्यटन का संचालन
क्षेत्र पर्यटन की सफलता क्षेत्र पर्यटन के कुशल संचालन पर निर्भर करती है। अतः क्षेत्र पर्यटनों का संचालन करते समय शिक्षक को बड़ी सावधानी रखनी चाहिए। उसे क्षेत्र पर्यटन से सम्बन्धित एक पूर्व योजना बना लेनी चाहिए। इस योजना के अन्तर्गत उसे तीन बातों को ध्यान में रखना चाहिए:
- क्षेत्र पर्यटन के आरम्भ होने से पूर्व के कार्य,
- क्षेत्र पर्यटन के समय के कार्य ।
- क्षेत्र पर्यटन के पश्चात् के कार्य।
(1) क्षेत्र पर्यटन के आरम्भ होने से पूर्व के कार्य,
क्षेत्र का प्रारम्भ करने से पहले सम्बन्धित शिक्षक को निम्नांकित कार्य पूरे कर लेने चाहिए:
- क्षेत्र पर्यटन के उद्देश्यों का निर्धारण कर लिया जाय एवं इन उद्देश्यों को सम्बन्धित छात्रों को स्पष्ट कर दिया जाए।
- उसी प्रकार के ज्ञानार्जन के लिए क्षेत्र पर्यटनों की व्यवस्था की जाए, जो कक्ष-कक्षा प्रदान नहीं किए जा सकें।
- पर्यटन से सम्बन्धित सभी प्रशासकीय अकिकारियों की स्वीकृति प्राप्त कर ली जाए। इस कार्य हेतु पत्र-व्यवहार भी किया जा सकता है।
- समय-बजट पहले बना कर समय की व्यवस्था की जाए। इस प्रकार आर्थिक बजट बना कर आवश्यक अर्थ की व्यवस्था की जाए।
- सम्बन्धित छात्रों के अभिभावकों का सहयोग एवं स्वीकृति प्राप्त की जाए।
- आवागमन के साधनों को व्यवस्था कर ली जाए।
- छात्रों को प्रारम्भिक तैयारी के सम्बन्ध में आवश्यक निर्देश दे दिए जाए। उन्हें जिस प्रकार के तथा कितने कपड़े ले जाने हैं, कितने दिन की व्यवस्था करनी है, कितना जेब खर्च ले जाना है आदि।
- पर्यटन के अनुभव छात्रों को पर्यटन से वापिस आकर लिखने हैं, ऐसा निर्देश छात्रों को पहले ही दे दिया जाए।
( 2 ) क्षेत्र पर्यटन के समय के कार्य
पर्यटन के समय सम्बन्धित अध्यापकों को निम्नांकित कार्य करने चाहिए:
- पर्यटन क्षेत्र के अधिकारियों का पूर्णरूपेण सहयोग प्राप्त किया जाए।
- छात्रों की प्रत्येक उत्सुकता को शान्त किया जाए।
- देखा जाए कि छात्र पर्यटन क्षेत्र से सम्बन्धित किसी वस्तु को क्षति न पहुंचायें और न ही कोई ऐसा कार्य करें जिससे उन्हें कोई शारीरिक चोट लगे।
- समय-समय पर छात्रों को गिनती करते रहें।
- पर्यटन के समय छात्रों को विभिन्न टोलियों में विभक्त कर दिया जाए और प्रत्येक टोली का एक अध्यक्ष बना दिया जाए।
( 3 ) क्षेत्र पर्यटन के पश्चात् के कार्य ।
- पर्यटन के पश्चात् अध्यापक को प्रत्येक टोली से अपने-अपने अनुभव लिखने को कहा जाए।
- इन लिखित अनुभवों को सम्पूर्ण कक्षा के सम्मुख पढ़कर सुनवाया जाए।
- इसके उपरान्त विचार-विमर्श के द्वारा विभिन्न शंकाओं का समाधान किया जाए।
- पर्यटन की सफलताओं, असफलताओं एवं कठिनाइयों के सम्बन्ध में विचार विमर्श किया जाए और भविष्य के लिए निष्कर्ष निकाले जायें। इन निष्कर्षों को भविष्य के लिए सुरक्षित रखा जाए।
- सम्बन्धित व्यक्तियों को धन्यवाद के पत्र प्रेषित किये जायें।
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