पाठ्यपुस्तक की विशेषताएँ
पाठ्यपुस्तक कैसी होनी चाहिए? यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसका निर्माण किसके लिए हो रहा है? पाठ्य पुस्तकों का निर्माण स्पष्टत छात्रों के लिए होता है। इसलिए इसमें निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए-
- विषय-वस्तु, विषय की आधुनिक उपयोगी विधियों की आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाली होनी चाहिए।
- विषय-वस्तु इस प्रकार व्यवस्थित हो कि पाठों की तारतम्यता व अन्तर्सम्बन्धता बनी रहे।
- छोटे बच्चों के लिए चित्रात्मक शैली का प्रयोग किया जाना चाहिए तथा वाक्य भी अधिक लम्बे-लम्बे न होकर छोटे-छोटे होने चाहिए।
- पुस्तक में भाषा की शुद्धता का ध्यान रखा जाना चाहिए। कभी-कभी जरा सी अशुद्धता से अर्थ का अनर्थ हो जाता है। विद्यार्थियों में भी प्रारम्भ से ही गलत ज्ञान होने से से भविष्य में भी समस्याएँ होती हैं।
- अध्यापक व छात्रों के लिए पाठ के अनुसार उचित सुझाव व निर्देश दिए जाने चाहिए।
- पाठ के अन्त में अभ्यास एवं पुनरावृत्ति के लिए प्रश्न, आवश्यक समस्याएँ, नवीन समस्याएँ व प्रदत्त कार्य के साथ ही पाठ का प्रारम्भ परिचय व अन्त सारांश से होना चाहिए जिसमें मुख्य मुख्य बातें दोहराई गई हों।
- विषय-वस्तु विद्यार्थियों को स्व क्रिया के लिए प्रेरित करने वाली होनी चाहिए।
- उद्देश्यों की पूर्ति करने वाली हो ।
- पाठ्यक्रम के अनुसार हो।
- पुस्तक का लेखक योग्य व अनुभवी हो ।
- जिस कक्षा के लिए लिखी गई हो उसके स्तरानुसार हो ।
- अध्यापकों के व्यक्तिगत अनुभव व तथ्यों की यथार्थता पर जोर दिया जाना चाहिए।
- विषय वस्तु छात्रों के दैनिक जीवन की आवश्यकताओं, उनके प्राकृतिक सामाजिक पर्यावरण तथा रुचि से सम्बन्धित होनी चाहिए।
- पाठ्यवस्तु सरल व रुचिकर शैली में लिखी होनी चाहिए, यह मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों के आधार पर तार्किक तथा सुव्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत की गई हो, इसकी शैली में विशालता, पूर्णता तथा स्थूलता होनी चाहिए।
- पाठ्य-वस्तु की भाषा विद्यार्थियों में जिज्ञासा व निरीक्षणात्मक शक्तियों को जागृत करने वाली होनी चाहिए।
IMPORTANT LINK
- राजनीति विज्ञान का अन्य समाज विज्ञानों से सम्बन्ध एवं उनका प्रभाव
- असमानता के विषय में रूसो के विचार | Rousseau’s views on inequality in Hindi
- सामाजीकृत अभिव्यक्ति विधि की परिभाषा एवं प्रक्रिया
- राज्य के विषय में कौटिल्य के विचार | Kautilya’s thoughts about the state
- मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषाएँ | मूल्यांकन की विशेषताएँ | मूल्यांकन के उद्देश्य | मूल्यांकन के सिद्धान्त | मूल्यांकन के उपकरण या विधाएँ
- न्याय की परिभाषा, रूप, विशेषताएं एवं अधिकार | Definition, Form, Characteristics and Rights of Justice in Hindi
- मौलिक कर्त्तव्य का सम्प्रत्यय विकसित करने के लिए कौनसी शिक्षण सामग्री का प्रयोग की जानी चाहिए?
- राजनीति विज्ञान के शिक्षण हेतु एक पाठ योजना तैयार कीजिए।
- B.ED Political Science Lesson Plan | राजनीति विज्ञान के शिक्षण हेतु पाठ योजना | हरबर्ट की पंचपदी के चरण
- योजना विधि के पद | योजना विधि के गुण | योजना विधि के दोष
- इकाई योजना के शिक्षक पद | इकाई विधि से लाभ | इकाई विधि से दोष
- अभिनयात्मक विधि | एकल अभिनय की रूपरेखा | अभिनय के प्रकरण | अभिनय के लाभ एंव दोष
- समस्या समाधान विधि | problem solving method in Hindi
- वाद-विवाद विधि का अर्थ | वाद-विवाद का संचालन | वाद-विवाद का मूल्यांकन | वाद-विवाद विधि के गुण एंव दोष
- परम्परागत राजनीति विज्ञान के अनुसार राजनीति विज्ञान का क्षेत्र
- शैक्षिक उद्देश्यों से आप क्या समझते हैं? ब्लूम के अनुदेशनात्मक उद्देश्य का वर्गीकरण
- नागरिकता के विषय पर अरस्तू के विचार | Aristotle’s thoughts on citizenship in Hindi
- आधुनिक राजनीति विज्ञान के अनुसार राजनीति विज्ञान का क्षेत्र
- राजनीति विज्ञान का विद्यालय पाठ्यक्रम में महत्व
- सामाजिक न्याय के विषय में अम्बेडकर के विचार
- परम्परागत राजनीति विज्ञान के विद्वानों के अनुसार राजनीति विज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा
- मानवाधिकार का विकास तथा उसकी आवश्यकता
- सामाजिक न्याय की अवधारणा का विकास करने हेतु अध्यापक कथन को तैयार कीजिये।
- मानवाधिकार के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए संक्षेप में विषय-वस्तु की सूची तैयार कीजिए।
- सामाजीकृत अभिव्यक्ति विधि के दोष तथा प्रभावी बनाने हेतु किन सुझावों को ध्यान में रखना चाहिए।
- वार्षिक योजना की विशेषताएँ | Features of Annual Plan in Hindi
- वार्षिक योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
Disclaimer
Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com