मनोहर श्याम जोशी पर एक नोट लिखिए।
आधुनिक हिन्दी साहित्य में मनोहर श्याम जोशी का विशिष्ट स्थान है। वह एक श्रेष्ट गद्यकार, उपन्यासकार, व्यंग्यकार, पत्रकार, दूरदर्शन धारावाहिक लेखक, जनवादी-विचारक, फिल्म पट-कथा लेखक, उच्च कोटि के संपादक, कुशल प्रवक्ता तथा स्तंभ-लेखक थे। दूरदर्शन के प्रसिद्ध और लोकप्रिय धारावाहिकों- ‘बुनियाद’ नेताजी कहिन, मुंगेरी लाल के हसीं सपने’ ‘हम लोग’ आदि के कारण वे भारत के घर-घर में प्रसिद्ध हो गए थे। वे रंग-कर्म के भी अच्छे जानकार थे। उन्होंने धारावाहिक और फिल्म लेखन से संबंधित ‘पटकथा-लेखन’ नामक पुस्तक की रचना की है। दिनमान और साप्ताहिक हिन्दुस्तान के संपादक भी रहे।
जीवन वृत्त- मनोहर श्याम जोशी का जन्म राजस्थान के अजमेर के एक प्रतिष्ठित परिवार में 09 अगस्त 1933 को हुआ था। उन्होंने स्नातक की शिक्षा विज्ञान में लखनऊ विश्वविद्यालय से पूरी की। परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी शास्त्र-साधना एवं पठन-पाठन व विद्या ग्रहण का क्रम पहले से चला आ रहा था, अतः विद्याध्ययन तथा संचार-साधनों के प्रति जिज्ञासु भाव उन्हें बचपन से ही संस्कार रूप में प्राप्त हुआ जो कालान्तर में उनकी आजीविका एवं उनके संपूर्ण व्यक्तिव विकास का आधार बना।
रचनायें- उपन्यास- कुरु कुरु स्वाहा 1980, कसप 1982, हरिया हरक्यूलिस की हैरानी – 1994, हमजाद 1996, टाटा प्रोफेसर- 2001, कयाप-2001, कौन हूँ मैं 2006, कपीशजी-2009, वधस्थल-2009, उत्तराधिकारिणी-2015
दूरदर्शन धारावाहिक- 1982 में जब भारत में राष्ट्रीय चैनल दूरदर्शन पर उनका पहला नाटक “हमलोग” प्रसारित होना आरम्भ हुआ तब अधिकतर भारतीयों के लिये टेलिविजन एक विलास की वस्तु के जैसा था। मनोहर श्याम जोशी ने यह नाटक एक आम भारतीय की रोजमर्रा की जिन्दगी को छूते हुए लिखा था- इसीलिये लोग इससे अपने को जुड़ा हुआ अनुभव करने लगे। इस नाटक के किरदार जैसे कि लाजो जी, बड़की, छुटकी, बसेसर राम का नाम तो जन-जन की जुबान पर था। उनके प्रमुख धारावाहिक निम्नलिखित हैं-हम लोग, बुनियाद, कक्का जी कहिन, मुंगेरी लाल के हसीं सपने, हमराही, जमीन आसमान, गाथा।
हिन्दी फिल्में- हे राम, पापा कहते हैं, अप्पू राजा, भ्रष्टाचार ।
IMPORTANT LINK
- सूर के पुष्टिमार्ग का सम्यक् विश्लेषण कीजिए।
- हिन्दी की भ्रमरगीत परम्परा में सूर का स्थान निर्धारित कीजिए।
- सूर की काव्य कला की विशेषताएँ
- कवि मलिक मुहम्मद जायसी के रहस्यवाद को समझाकर लिखिए।
- सूफी काव्य परम्परा में जायसी का स्थान निर्धारित कीजिए।
- ‘जायसी का वियोग वर्णन हिन्दी साहित्य की एक अनुपम निधि है’
- जायसी की काव्यगत विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- जायसी के पद्मावत में ‘नख शिख’
- तुलसी के प्रबन्ध कौशल | Tulsi’s Management Skills in Hindi
- तुलसी की भक्ति भावना का सप्रमाण परिचय
- तुलसी का काव्य लोकसमन्वय की विराट चेष्टा का प्रतिफलन है।
- तुलसी की काव्य कला की विशेषताएँ
- टैगोर के शिक्षा सम्बन्धी सिद्धान्त | Tagore’s theory of education in Hindi
- जन शिक्षा, ग्रामीण शिक्षा, स्त्री शिक्षा व धार्मिक शिक्षा पर टैगोर के विचार
- शिक्षा दर्शन के आधारभूत सिद्धान्त या तत्त्व उनके अनुसार शिक्षा के अर्थ एवं उद्देश्य
- गाँधीजी के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन | Evaluation of Gandhiji’s Philosophy of Education in Hindi
- गाँधीजी की बुनियादी शिक्षा व्यवस्था के गुण-दोष
- स्वामी विवेकानंद का शिक्षा में योगदान | स्वामी विवेकानन्द के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन
- गाँधीजी के शैक्षिक विचार | Gandhiji’s Educational Thoughts in Hindi
- विवेकानन्द का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान | Contribution of Vivekananda in the field of education in Hindi
- संस्कृति का अर्थ | संस्कृति की विशेषताएँ | शिक्षा और संस्कृति में सम्बन्ध | सभ्यता और संस्कृति में अन्तर
- पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धान्त | Principles of Curriculum Construction in Hindi
- पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धान्त | Principles of Curriculum Construction in Hindi
- घनानन्द की आध्यात्मिक चेतना | Ghanananda Spiritual Consciousness in Hindi
- बिहारी ने शृंगार, वैराग्य एवं नीति का वर्णन एक साथ क्यों किया है?
- घनानन्द के संयोग वर्णन का सारगर्भित | The essence of Ghananand coincidence description in Hindi
- बिहारी सतसई की लोकप्रियता | Popularity of Bihari Satsai in Hindi
- बिहारी की नायिकाओं के रूपसौन्दर्य | The beauty of Bihari heroines in Hindi
- बिहारी के दोहे गम्भीर घाव क्यों और कहाँ करते हैं? क्या आप प्रभावित होते हैं?
- बिहारी की बहुज्ञता पर प्रकाश डालिए।
Disclaimer