B.Ed Notes

राजनीति विज्ञान का विद्यालय पाठ्यक्रम में महत्व / स्थान

राजनीति विज्ञान का विद्यालय पाठ्यक्रम में महत्व / स्थान
राजनीति विज्ञान का विद्यालय पाठ्यक्रम में महत्व / स्थान

राजनीति विज्ञान का विद्यालय पाठ्यक्रम में महत्व / स्थान की विस्तार से व्याख्या कीजिए।

समाज तथा व्यक्ति का चोली दामन का साथ है। प्राचीन काल में बच्चों को घर-परिवार में विभिन्न क्रियाओं द्वारा मानव तथा मानव के मध्य पारस्परिक सम्बन्धों का ज्ञान प्राप्त हो जाता था जिससे उन्हें समाज तथा समुदाय की भी जानकारी प्राप्त हो जाती थी। वह अपने वातावरण से सामंजस्य स्थापित करता था और समाज की आवश्यक जानकारी उसे अपने आस पास से प्राप्त हो जाती थी। समाज में परिवर्तन आया, विज्ञान तथा तकनीकी ने उन्नति की, मानव सभ्यता का विकास हुआ, समाज में जटिलताओं का बोलबाला होने लगा। विभिन्न सम्बन्धों की जानकारी जो बालक को घर परिवार या दैनिक क्रिया कलापों से संयुक्त परिवार में प्राप्त होती थी, का आभाव हो गया। यह सारा ज्ञान आज स्कूल को देना पड़ता है। ऐसा करने के लिये स्कूल को ऐसी सामग्री का चयन करना पड़ेगा जो ऐसे कार्यक्रम का निर्माण करे जिससे बच्चा अतीत की परम्पराओं का ज्ञान प्राप्त कर ले, वर्तमान काल में उस ज्ञान का उपयोग कर सके तथा अपनी दैनिक जीवन की समस्याओं को निपटाने के योग्य बन सके। यही कारण है कि आज (3R) तीन आर की शिक्षा की अपेक्षा (4H) चार ऐच की शिक्षा को महत्व दिया जाता हैं जो समाज की जटिलता और व्यक्ति के सम्बन्धों के स्पष्टीकरण के लिये आवश्यक हैं। यही कारण है कि शिक्षा शास्त्रियों ने राजनीति विज्ञान की शिक्षा को आवश्यक ही नही अनिवार्य भी माना है।

राजनीति विज्ञान का उद्भव अत्यन्त प्राचीन है। यूनानी विचारक अरस्तू को राजनीति विज्ञान का पितामह कहा जाता है। यूनानी चिन्तन में प्लेटों का आदर्शवाद एवम् अरस्तू का बुद्धिवाद समाहित है। अरस्तू मानव को स्वभावतः सामाजिक प्राणी मानता है। उसकी व्यक्तिगत उन्नति सामाजिक जीवन पर ही आश्रित होती है। समाज के बिना मनुष्य का वह महत्व नहीं होता जो उसका समाज के एक अंग के रूप में होता है। मनुष्य के पारस्परिक संबंध विभिन्न प्रकार के होते है। उन्हीं के आधार पर अनेक सामाजिक शास्त्रों का विकास हुआ हैं उदाहरणार्थ मनुष्य के सामाजिक संबंधों पर समाज शास्त्र, नैतिक संबंधों को लेकर नीतिशास्त्र और आर्थिक संबंधों को लेकर अर्थशास्त्र का विकास हुआ है उसी प्रकार समाज में रहते हुये मानव के राजनीतिक संबंधों के अध्ययन हेतु राजनीति शास्त्र का उदय हुआ है।

राजनीतिशास्त्र या राजनीति विज्ञान अत्यन्त प्राचीन विषय है। प्रारंभ में इसे स्वतंत्र विषय के रूप में नहीं स्वीकारा गया। राजनीति विज्ञान का अध्ययन नीतिशास्त्र, दर्शन शास्त्र, इतिहास, एवं विधि शास्त्र आदि की अवधारणाओं के आधार पर ही करने की परम्परा थी। आधुनिक समय में इसे न केवल स्वतंत्र विषय के रुप में स्वीकारा गया अपितु सामाजिक विज्ञानों के सन्दर्भों में इसका पर्याप्त विकास भी हुआ। राजनीति विज्ञान का अध्ययन आज के सन्दर्भ में पहले की अपेक्षा एक ओर जहां अत्यधिक महत्वपूर्ण है वहीं दूसरी ओर वह अत्यन्त जटिल भी है। राजनीति विज्ञान का महत्व इस तथ्य से प्रकट होता है कि आज राजनीतिक प्रक्रिया का अध्ययन राष्ट्रीय एवम् अन्तर्राष्ट्रीय-दोनों प्रकार की राजनीति को समझने के लिये आवश्यक है। प्रक्रिया के अध्ययन से ही वास्तविक राजनीति एवं उनके भीतर अवस्थित तथ्यों का ज्ञान संभव है। स्पष्ट है, राजनीतिक प्रक्रिया का अध्ययन व विश्लेषण राजनीति विज्ञान द्वारा ही हो सकता है और राजनीतिक घटनाओं को उसी के द्वारा व्यापक सन्दर्भ प्राप्त हो सकता है। इस दृष्टि से आज राजनीति विज्ञान, राजनीति व राजनीतिक प्रक्रिया के प्रति समझ उत्पन्न करने में अधिक सक्षम है।

राजनीति विज्ञान की जटिलता उनके अतिव्यापी रूप व उनसे उत्पन्न स्वरूप एवं प्रकृति से जुड़ी हुई है। आज राजनीति विज्ञान ‘राजनीतिक’ व गैर राजनीतिक दोनों प्रकार के तत्वों से सम्बंधित है। राजनीतिक तत्व प्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक प्रक्रिया को संचालित करते है और इस दृष्टि से राजनीति विज्ञान के अन्तर्गत राज्य सरकार, सरकारी संस्थाओं, चुनाव प्रणाली व राजनीतिक व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। गैर राजनीतिक तत्व अप्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक प्रक्रिया को चलाने में योगदान देते हैं और इस कारण राजनीति की सही समझ इनको समन्वित करके ही प्राप्त की जा सकती है। इसी उद्देश्य से राजनीतिक अध्ययन में समाज, अर्थव्यवस्था, धर्म, संस्कृति, भूगोल, विज्ञान व तकनीकी, मनोविज्ञान व इतिहास जैसे सहयोगी तत्वों को पर्याप्त महत्व दिया जाता है।

राजनीति विज्ञान का जन्म एक सामाजिक विज्ञान के अंग के रूप में हुआ क्योंकि आज के बालक को भूतकाल की अपेक्षा अपने सामाजिक एवं राजनैतिक वातावरण तथा सम्बन्धों की अधिक जानकारी की आवश्यकता है। यह जानकारी उन्हें इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, व समाज शास्त्र आदि भिन्न-भिन्न विषयों द्वारा नही जा सकती। इतना ही नही विज्ञान एवं तकनीकी के विकास ने भी मानव समाज में महान् परिवर्तन ला दिये है इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप मानवीय समाज तथा मानवीय सम्बन्धों में भी जटिलता आ गई है जिसे जानना व समझना आवश्यक है। आज संसार सिमट कर छोटा हो गया हैं, विश्व शान्ति आवश्यक हैं। ऐसे समय में राजनीति विज्ञान एक अनिवार्य विषय के रूप में शिक्षा का अभिन्न अंग बन गया हैं। डा. राधाकृष्णन् ने कहा हैं कि “हम भूतकाल को याद रखें, वर्तमान के प्रति सजग रहें तथा हृदय में साहस तथा आत्मविश्वास के साथ भविष्य का निर्माण करे।” राजनीति विज्ञान की आवश्यकता मनोवैज्ञानिक, सामाजिक तथा शैक्षिक दृष्टिकोण से भी हैं। इसके लिये हम निम्नलिखित अनेक तर्क दे सकते हैं। मुख्यतया राजनीति विज्ञान के महत्व को हम दो भागों में विभक्त करते हैं:

  1. व्यक्तिगत महत्व के कारण
  2. सामुदायिक महत्व के कारण
1. व्यक्तिगत महत्व के कारण

व्यक्तिगत कारणों में राजनीति विज्ञान से हमारा तात्पर्य उन कारणों से हैं जिसमें मानव अपना चरित्र निर्माण करता हैं जो कि समाज के प्रति सहयोग, सहभागिता, कर्तव्यों, अधिकारों व सामाजिक न्याय के प्रति वफादार होता हैं। मानव अपनी आदतों व कुशलताओं का निर्माण करता हैं। अपनी मानसिक शक्तियों का निर्माण करता हैं। मनुष्य समाज में समस्याओं का सामाजिक तरीके से समाधान ढूंढता हैं। इन सब कारणों की वजह से राजनीति विज्ञान का बड़ा महत्व हैं। व्यक्तिगत महत्व के कारणों को निम्नलिखित ढंग से प्रस्तुत कर सकते हैं।

(क) मनोवैज्ञानिक कारण (ख) शैक्षिक कारण

(क) मनोवैज्ञानिक कारण

मनोवैज्ञानिक कारणों से हमारा तात्पर्य उन महत्वों से है जो मनुष्य के व्यक्तित्व का विकास करने में सर्वाधिक सहायक होते हैं। मनुष्य का व्यक्तित्व मनुष्य का सब कुछ निर्धारित करता हैं। उसका सामाजिक वातावरण उसके व्यक्तित्व का निर्माण करता हैं। मानव अपने आसपास के वातावरण को समझकर उसके अनुरूप कार्य करने की कोशिश ही नहीं करता बल्कि उसे जानकर उसकी व्याख्या भी करना चाहता हैं। भूतकाल में मनुष्यों का व्यक्तित्व का विकास हु-ब-हु अपनी पहली पीढ़ी का प्रतिरूप होता था परन्तु आजकल मनुष्य के व्यक्तित्व को बाह्य तत्व भी प्रभावित करते हैं। अब जबकि हमारे घरेलू व सामाजिक प्रभाव बच्चों को उतना प्रभावित नही करते हैं और न ही हमारे पास ऐसी कोई व्यवस्था हैं कि बालकों का व्यक्तित्व निर्माण अपने आप हो, तो यह भार भी अब स्कूलों पर आ गया हैं कि वह मनुष्य के व्यक्तित्व विकास में अपना सहयोग दे। स्कूल के बाकी सभी विषयों में राजनीति विज्ञान ही एक ऐसा विषय हैं जो कि मानव व उसके वातावरण का पूर्ण रूप से अध्ययन करता हैं। हम सभी जानते हैं कि आज का युग एक मनोवैज्ञानिक युग हैं। आज एक व्यक्ति का व्यवहार दूसरे के व्यवहार को प्रभावित करता है। हम सब जानते हैं कि हम अपनी सभी समस्याओं का समाधान मनोवैज्ञानिक तरीके से कर सकते हैं तथा हमें यह विश्वास हैं कि हमें सबके लिए एक विशेष प्रकार के व्यवहार की आवश्यकता होती हैं। राजनीति विज्ञान हमें वह सब सिखाता हैं जिससे हमारा मनोवैज्ञानिक आधार बनता हैं।

(ख) शैक्षिक कारण

शैक्षिक कारणों में हम अपने उन उद्देश्यों को लेते हैं जिसके लिए हम शिक्षा ग्रहण करते हैं। वैसे तो समाज की अलग-अलग विचारधाराओं के अलग-अलग विचार हैं। माता-पिता का दृष्टिकोण यह है कि बच्चों की शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो उसके जीवन निर्वाह में सहायक हो! उनके दृष्टिकोण से शिक्षा का व्यावसायिक महत्व ज्यादा हैं।

कुछ अन्य शिक्षा के सांस्कृतिक महत्व पर ज्यादा बल देते हैं। उनके अनुसार शिक्षा द्वारा मनुष्य की सभी शक्तियों का पूर्ण विकास होना चाहिये। परन्तु इससे मनुष्य का पूर्ण सामाजिक विकास नहीं हो पाता। आज का वातावरण ऐसा भी नहीं है कि युवक-युवतियों को उनके माता-पिता व समाज पर ही छोड़ दिया जाए तो उन्हें अपनी व समाज की सभी समस्याओं की आवश्यक जानकारी भी हो जाए और यह मुमकिन नही कि समाज की अवहेलना करके हम अपने राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। हमारा प्रजातांत्रिक ढांचा कुछ ऐसा हैं कि राजनैतिक, सामाजिक व आर्थिक समस्याएं इतनी जटिल हैं जिनके बारे में हमारी जानकारी अतिआवश्यक हैं। यह हमारी शिक्षा के लिए अति आवश्यक हो जाता हैं कि बालक अपनी भौतिक व सामाजिक वातावरण को जाने व उसमें अपना समावेश कर सकें। सामाजिक जीवन व अच्छी नागरिकता के लिए यह आवश्यक हैं कि शिक्षा उनमें सत्य. ईमानदारी, सहनशीलता, व सहयोग के गुणों का विकास करें। नई-नई आवश्यकताओं के मध्य नजर पाठन सामग्री व पाठन विधियों में परिवर्तन किया जाना चाहिये। आधुनिक पाठन विधियों में, तारंबेतार, दृश्य-श्रव्य साधन, चलचित्र, योजना विधि व क्रियाविधि का उपयोग उल्लेखनीय है। इन सभी आधुनिक विधियों के लिए एक सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का होना अति आवश्यक है। राजनीति विज्ञान आज के विकासशील विश्व के साथ विकासशील बच्चों के सम्बन्धों के समन्वय का आधार है। इसलिए राजनीति विज्ञान मनुष्य की शिक्षा का मुख्य आधार हैं।

2. सामुदायिक महत्व के कारण

(क) नागरिक निर्माण में सहायक

राजनीति विज्ञान का उद्देश्य बच्चों को जीवन के बारे में जानकारी देना हैं तथा बच्चों को इस विद्यालयों में लायक बनाना है कि वे समाज में हो रहे व्यवहार में रुचि ले ताकि उनके मौलिक कर्तव्यों का विकास हो। बच्चों में सकारात्मक व्यवहार उत्पन्न करने में रुचि का होना अति आवश्यक हैं इससे उनमें यह भावना जाग्रत होती हैं कि समाज की भलाई में ही उनकी अपनी भलाई हैं। राजनीति विज्ञान में हम समाज के ढांचे व उसके स्वरुप का अध्ययन करते हैं और यह जानने की कोशिश करते है कि यह स्वरुप उसे कैसे प्राप्त हुआ हैं। राजनीति विज्ञान में यह भी देखा जाता हैं कि किस प्रकार मनुष्य अपने आप को उस भौतिक वातावरण में ढालता है जिसमें उसे अपना जीवन व्यतीत करना हैं या वह उस वातावरण को बदलने का प्रयास करता हैं और एक नई दिशा को जन्म देता हैं। अतः राजनीति विज्ञान ऐसे नागरिक के निर्माण में सहायक है जो समाज को इस योग्य बनाता हैं कि वो अपनी समस्याओं का निदान करें या समस्या हल करने को हमेशा तत्पर रहें।

(ख) व्यावहारिक कारण

राजनीति विज्ञान के व्यावहारिक महत्व के कारण से हमारा उन तत्वों से है जिसमें सामाजिक अध्ययन मानव में गुण तथा आदर्शों का विकास होता हैं और मनुष्य समाज के प्रति व्यवहार कुशल होता हैं। वही व्यक्ति जीवन में अधिक सफलता प्राप्त करता हैं जो अति व्यवहार कुशल होता है। आधुनिक काल में सामाजिक व्यवहार व चेतना का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया हैं। व्यावहारिक कारणों में निम्नलिखित बातें महत्वपूर्ण हैं:

  1. अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना
  2. यातायात तथा संचार व्यवस्था में प्रगति
  3. पारिवारिक जीवन में बदलाव
  4. नागरिक उत्तरदायित्व
  5. प्रजातांत्रिक उत्तरदायित्व
  6. औद्योगिक प्रगति
  7. विज्ञान तथा तकनीकी विकास

(i) अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना :-  गांधी जी के अनुसार, यदि सत्य, प्रेम और अहिंसा की शिक्षा घर तथा स्कूल से होती हुई संसार के सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक संगठनों तक नहीं पहुंचती तो हिंसा और घृणा से भरा संसार कभी का नष्ट हो गया होता। यदि हम संसार को बदलना चाहते हैं तो बाहरी संसार के साथ-साथ मानव मन तथा भावनाओं के आंतरिक संसार को भी बदलना होगा।

आज मनुष्य चारों तरफ के वातावरण के कारण अपने आपको सुरक्षित देखता हैं। वर्तमान समय में शिक्षा के लिए यह अहम् चुनौती हैं कि किस प्रकार यह आपस में सहयोग, राष्ट्रो में सद्भावना, विभिन्न समूहों में उदारता तथा भौतिक व सांस्कृतिक मेल मिलाप को बनाए रखने में अपना सहयोग दें। आज परिस्थितियां इतनी जटिल हैं कि मनुष्य अपने उन आदर्शों को खो रहा है जो कि उसे विरासत में उन महान आत्माओं से मिले थे जिन्होंने एक आदर्श जीवन के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था। राजनीति विज्ञान उन सभी आदर्शों को जिन्दा रखने की कौशिश करता हैं तथा इन आदर्शों को एक आम आदमी तक पहुँचाने में अपना अहम् रोल अदा करता हैं।

(ii) यातायात व संचार व्यवस्था में प्रगति :- आज का युग संचार का युग हैं। आज दूरियां सिमट रही है। मनुष्य के जीवन में संचार तथा यातायात के साधनों ने एक तूफान ला दिया है। सभी प्रकार की प्राकृतिक बाधाओं पर मनुष्य ने विजय पा ली हैं। बढ़ते यातायात के सरल साधन व संचार के माध्यम से एक दूसरे की सांस्कृतिक भेद, साम्राज्यवादी व व्यापारिक होड़ को पीछे छोड़ा जा रहा हैं। इसलिए राजनीति विज्ञान का महत्व और भी बढ़ जाता हैं जिससे कि हम दूसरों के जीवन का अध्ययन करके अपना तथा अपने समाज का नव निर्माण कर सकते हैं तथा विभिन्न समस्याओं से छुटकारा पा से सकते हैं।

(iii) पारिवारिक जीवन में बदलाव :- आज के आधुनिक समय में परिवारों के परिदृश्य बदल गए हैं। पहले संयुक्त परिवार प्रणाली हुआ करती थी जो आज काफी पीछे छूट गई हैं। संयुक्त परिवार प्रथा में मनुष्य का जीवन स्थायी व सुरक्षित रहता था। सभी सदस्य मिलजुल कर रहते तथा खेलते, कार्य करते और अपनी रुचि के अनुसार कार्य अपनाकर परिवार का भला करते थे। परन्तु आज की परिस्थितियां भिन्न होने के कारण बहुत सी नई समस्याओं का जन्म हुआ है। तेजी से शहरीकरण हो रहा हैं। लोग एकल परिवार को अधिक बढ़ावा दे रहे हैं जिसमें बच्चे का सामाजिक व सांस्कृतिक विकास संभव नहीं हो पाता है। राजनीति विज्ञान में इन सब समस्याओं का अध्ययन किया जाता हैं तथा इनका उपचार ढूंढने का प्रयास किया जाता है।

(iv) नागरिक उत्तरदायित्व :- समाज में रहने के लिए समाज के कुछ उत्तरदायित्वों के का निर्वाह करना अति महत्वपूर्ण होता है। स्वतन्त्रता प्राप्त करने के बाद तथा प्रजातन्त्र को बनाए रखने के लिए इनका उद्देश्य आजकल स्कूलों पर आ गया हैं और स्कूलों में खासकर यह राजनीति विज्ञान पर निर्भर करता हैं। अतः नागरिक उत्तरदायित्वों के पालन करनें के लिए बच्चों को उसी के अनुरूप तैयार करने में राजनीति विज्ञान का बड़ा महत्व हैं।

(v) प्रजातान्त्रिक उत्तरदायित्व :- आज का युग प्रजातंत्र का युग है। साम्राज्यवाद का अब बोलबाला नहीं रहा हैं। आज अधिकतर राष्ट्र प्रजातंत्र का पालन कर रहें हैं। इस कारण आम आदमी के अपने उत्तरदायित्वों में और वृद्धि हुई हैं। प्रजातंत्र के कारण यह जानना हमारा दायित्व बनता हैं कि हमारा समाज के प्रति कैसा उत्तरदायित्व हैं और उनके साथ हमारा कैसा संबंध है। दूसरे समाज को भी व्यक्ति के प्रति अपने उत्तदायित्वों का पालन करना चाहिये। आज विद्यालयों का यह कर्त्तव्य बनता हैं कि बच्चों को उनके प्रजातांत्रिक उत्तरदायित्वों के बारे में खुलकर अनुभव प्रदान करें ताकि वे अपनी जीवन.. पद्धति को उसी अनुसार ढाल सकें और यह कार्य राजनीति विज्ञान के अलावा कोई भी विषय इतने प्रभावी ढंग से नही कर सकता। इसलिए इस विषय के अध्ययन की आवश्यकता और भी बढ़ जाती हैं।

(vi) औद्योगिक प्रगति :- औद्योगिक क्रांति के कारण आज जीवन में अनेक तरह की जटिलताएं घर कर गई हैं। विज्ञान ने सामाजिक जीवन में परिवर्तन किया हैं जिससे हमारे सरल समाज में कुछ जटिलताएं आ गई हैं। विज्ञान के असर से ग्रामीण परिवेश भी अछूता नहीं रह गया हैं और इसने हमारे ग्रामीणों को भी अन्तर्राष्ट्रीय संपर्क में ला दिया है। गाँवों में आज बिजली, ट्यूबवैल. नई खादें, व नई प्रणाली का प्रयोग होने लगा है। आज का ग्रामीण सिर्फ अपने गाँव तक ही सीमित नहीं रहना चाहता वह अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण का ज्ञानी भी होना चाहता है। वैज्ञानिक युग ने मनुष्य को ध्वंस की और धकेल दिया है और इसका उदाहरण दो विश्वयुद्ध आपके सामने हैं। विश्व को ध्वंस से बचाने के लिए राजनैतिक शिक्षा का होना बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि राजनीति विज्ञान ही आपसी संबंध व लगावों का ज्ञान देता हैं।

(vii) विज्ञान तथा तकनीकी विकास :- आज विज्ञान व तकनीकी का एक नया रूप उभरकर सामने आया हैं। पहले कृषि विकास, फिर औद्योगिक विकास उसके बाद वाणिज्य विकास हुआ। पर आज का समय ‘हाइटैक जमाना’ बन गया हैं जिसमें हमारें सामाजिक मूल्यों का बड़ी तेजी से ह्रास हुआ हैं। उन्हीं सामाजिक मूल्यों को बचाने के लिए राजनीति विज्ञान का बड़ा महत्व हैं क्योंकि एक अच्छी सामाजिक शिक्षा ही देश के नैतिक मूल्यों के पतन को रोककर एक सुसांस्कृतिक, व्यवहार कुशल व सद्भावना युक्त समाज का निर्माण करती हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि हमारे समाज में जागृति हालांकि कई तत्व लेकर आई हैं। इसमें विज्ञान, उद्योग, यातायात, संचार इत्यादि तत्व मुख्य हैं परन्तु इनसे जो सामाजिक सद्भावना का जो ह्रास हुआ हैं उसे बचाने के लिए राजनीति विज्ञान की शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण हैं।

IMPORTANT LINK

Disclaimer

Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com

About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment