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राजनीति विज्ञान तथा मूल्यांकन पद्धति | Political Science and Evaluation Methodology in Hindi

राजनीति विज्ञान तथा मूल्यांकन पद्धति | Political Science and Evaluation Methodology in Hindi
राजनीति विज्ञान तथा मूल्यांकन पद्धति | Political Science and Evaluation Methodology in Hindi

राजनीति विज्ञान तथा मूल्यांकन पद्धति पर लेख लिखिए।

राजनीति विज्ञान तथा मूल्यांकन पद्धति

राजनीति विज्ञान के स्वरूप के विषय में यह धारणा की जा सकती है कि यह एक विषय न होकर एक क्षेत्र जैसा है। उसका स्वरूप व्यापक है। यह मानव के वर्तमान तथा दैनिक जीवन सम्बंधों को स्पष्ट करता है। राजनीति विज्ञान के अध्ययन से बालकों में व्यक्तिगत तथा राजनीति जीवन सफल बनाने की दृष्टि से कुछ विशेष गुणों का होना तथा उनका विकास होना आवश्यक है। उनमें योग्यता, समझदारी, व्यावहारिकता, कुशलता, सामाजिकता, नागरिकता, चिन्तन, तर्क, निर्णय, अनुमान, साहस, परिपक्वता आदि का अन्तर्भाव सम्भव हो यह राजनीति विज्ञान के अध्ययन का प्रयोजन है। राजनीति विज्ञान की कठिन विषय-वस्तु का मूल्यांकन इस आधार पर करने हेतु विभिन्न प्रविधियों का प्रयोग किया जा सकता है।

मूल्यांकन प्रविधियां (पद्धतियां)

मूल्यांकन प्रक्रिया के तीन सौपान हैं :-

  1. उद्देश्यों का निर्धारण
  2. निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु अध्ययन अध्यापन क्रियाओं का निर्धारण एवं
  3. मूल्यांकन की प्रविधियों का चयन एवं निर्माण ।

यहां एक तीसरा सोपान मूल्यांकन प्रविधियों की चर्चा करेगें। मूल्यांकन हेतु शिक्षक को उचित प्रविधियों का चयन करना चाहिये। प्रविधि ऐसी हो, जिससे बालकों को वांछित व्यवहारों के सम्बंध में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष प्रमाण मिल सके। यदि पूर्व तैयार शुदा (बने-बनाये) परीक्षण उपकरण उपयुक्त न हो तो नवीन प्रविधि की खोज करनी चाहिए तथा इसके लिए सुविधा प्रदान करनी चाहिए। प्रविधि की रचना में किन शैक्षिक उद्देश्यों का मूल्यांकन वांछित है इस बात का ध्यान रखना चाहिए, अपनायी जाने वाली प्रविधि सरल हो एवं उसे यदि अन्य व्यक्ति न भी अपनाया हो, एक से ही निष्कर्ष निकले इन बातों का ध्यान रखना चाहिए। प्रविधियों में विश्वसनीयता, वैधता, प्रयोगशीलता, व्यापकता एवं मानवीकृत के गुण होना चाहिए। मूल्यांकन की प्रमुख प्रविधियों के विषय में हम संक्षेप में चर्चा करेगें।

(1) निरीक्षण प्रविधि – निरीक्षण प्रविधि के द्वारा छात्रों के विभिन्न प्रकार के – व्यवहार के सम्बंध में प्रमाण उपलब्ध किये जा सकते है। छात्रों के व्यवहार, संवेगात्मक एवं बौद्धिक परिपक्वता आदि निरीक्षण प्रविधि द्वारा प्रदान किये जाते है। इसके लिए निरीक्षण तालिकाएं कथनों, प्रश्नों आदि के रूप में तैयार की जा सकती है।

(2) क्रम निर्धारण मान (रेटिंग स्केल) – इसके द्वारा हम बालक की किसी विशेष क्षेत्र की कुशलताओं की जांच उस क्षेत्र में उसके व्यवहार की प्रगति का मापन कर सकते हैं। विभिन्न मात्राओं में विभिन्न विशेषताओं अथवा परिस्थितियों के मूल्यांकन के लिए यह प्रविधि उपयुक्त है। क्रम निर्धारण-मान प्रविधि में उन गुणों अथवा विशेषताओं का निरीक्षण शाला जीवन में किया जा सकता है, ऐसी विशेषताओं का मूल्यांकन क्रम निर्धारण माप प्रविधि के द्वारा किया जाना चाहिए।

(3) पड़ताल सूची (चेक लिस्ट) – व्यक्तिगत सूचना तथा प्रयोग उपयुक्त है। मूलत: पड़ताल सूची वह पद्धति है जिसके माध्यम से यह अभिलिखित किया जा सकता है कि कोई विशेषता किसी छात्र में विद्यमान है अथवा नहीं। इसका सम्बंध गुण विशेष की हां अथवा न से है। मात्रा जानने हेतु इसका उपयोग श्रेयष्कर नहीं है।

(4) घटनावंत (एनेकडाटल रिकार्ड्स) – छात्रों के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं का अभिलेख निरीक्षण के लिए मूल्यवान है, इस वृंत में शिक्षक छात्र के जीवन के कुछ महत्वपूर्ण प्रसंगों का यथार्थ वर्णन संक्षेप में करना है। वृंत में दिनांक तथा समय का उल्लेख होता है। ऐसे प्रमाणित घटनावृंत वास्तव में विश्वसनीय तथा वैधानिक होते हैं। किन्तु घटनावृंत का निर्माण अधिक समय लेने वाला कार्य है। इसमें पक्षपात की सम्भावना एवं पूर्वग्रह का होना आदि सीमायें हैं।

छात्रों का दैनांदिनियों (डायरियों) का समावेश अभिलेख में किया जा सकता है। साबित अभिलेख पत्र, जिसमें सतत् मूल्यांकन संभव हो भी महत्वपूर्ण है।

(5) समाजमिती (साशिओमीटरी) – समाज के विभिन्न समूहों में किसी छात्र विशेष की स्थिति उनके प्रति अनुकूलता आकर्षण चाहे आदि बातों का मूल्यांकन करने में समाजमिति का प्रयोग उपयुक्त है। समाज के समूह के चयन का अध्ययन इस प्रविधि द्वारा सम्भव है। इसका उपयोग कक्षा समूहों के निर्माण में किसी छात्र के सामाजिक सामांजस्य में सुधार लाने में तथा छात्र के सामाजिक सम्बंधों का मूल्यांकन करने में किया जा सकता है।

( 6 ) प्रश्नावली – छात्रों से उनकी रूचियां एवं अभिवृत्तियां आदि के विकास के बारे में सूचनायें प्राप्त करने के लिए प्रश्नावली महत्वपूर्ण तथा उपयुक्त प्रविधि मानी गई। है। लिखित प्रश्नों के सूची निमार्ण कर उसे छात्रों के उसके उत्तर देने के निर्देशों के साथ दिया जाता है। प्रश्नों की संरचना कुछ प्रश्न सूचक उत्तरों के एक खण्ड में तथा दूसरे बिना सूचक उत्तरों के जिन्हें छात्र अपने विचार से स्वतंत्रपूर्वक इस प्रकार से हो जिसमें कुछ हल कर सकते हैं। प्रश्नावली संक्षिप्त एवं स्पष्ट होनी चाहिए।

(7) साक्षात्कार- साक्षात्कार प्रविधि का विशिष्ट गुणवत्ता के कारण इसका व्यापक उपयोग किया जाता है। साक्षात्कार में प्रत्यक्ष सम्बंध स्थापित किए सहयोग का वातावरण बनता है और छात्र की रूचियों दृष्टिकोण आदि में हुए परिवर्तनों एवं उनकी व्यक्तिगत विशेषताओं की जांच सरलता से की जा सकती है। साक्षात्कार के समय कुछ पूर्व नियोजित प्रश्न किए जाते हैं तथा कुछ प्रश्न औपचारिकेत्तर स्वरूप के होते हैं जिससे साक्षात्कार में पर्याप्त लोच का गुण आ जाता है। छात्र खुलकर अपनी बात बता सकते हैं। साक्षात्कार लेने वाले शिक्षक को साक्षरता तंत्र से भली-भांति परिचित होना आवश्यक है।

( 8 ) परीक्षा प्रविधि – परीक्षा का अभिप्राय तोलने से है। परीक्षा का उपयोग छात्र के ज्ञान की जांच के लिये किया जाता है। छात्रों की परीक्षा किसी बाह्य एजेंसी -संस्था या व्यक्ति से करवायी जाती है। स्वयं अध्यापकगण परीक्षा लेते हैं। परीक्षा में मूल्यांकन प्रविधि का स्वरूप ऐसा होता है कि छात्र ने जो ज्ञान प्राप्त किया है उसे प्रश्नों के उत्तरों का आधार मानकर उत्तरों के या परीक्षा कार्य की गुणवत्ता के अनुसार उसे संख्या रूप अथवा संकेत रूप देकर श्रेणीबद्ध किया जाता है। सामान्य रूप से परीक्षा प्रणाली में छात्रों को अंकों के आधार पर श्रेणी दी जाती है जो उसके मूल्यांकन स्तर का सूचक होता है।

परीक्षा प्रविधि के विभिन्न रूप

(अ) मौखिक परीक्षा :- लेखन की योग्यता पाने के पूर्व स्तर की कक्षाओं में इसी का प्रयोग होता है। पढ़ने की योग्यता उच्चारण की शुद्धता तथा लिखित परीक्षा की पूर्ति के लिये मौखिक परीक्षा ली जाती है। इससे बालकों के व्यक्तिगत गुण-दोषों की जानकारी प्राप्त होती है।

(ब) प्रायोगिक परीक्षा :- छात्र कुछ प्रयोगात्मक विषयों का अध्ययन करता है इसमें प्रायोगिक कार्य होते हैं। सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ छात्रों में प्रयोग करने की क्षमता तथा कुशलता अपेक्षित है। उसकी जांच प्रायोगिक परीक्षा द्वारा की जाती है। विज्ञान, हस्तकला, चित्रकला, कृषि आदि विषयों में प्रायोगिक परीक्षा आवश्यक है।

(स) लिखित परीक्षा :- सामान्य विद्यालयों में लिखित परीक्षा का प्रचलन अधिक है। इसके अंतर्गत कार्य समर्पण (असाइनमेंट) प्रतिवेदन लिखना, लिखित उत्तर देना आदि हैं। लिखित परीक्षा का आधार प्रश्न-पत्र होता है जो वर्तमान में परीक्षा प्रणाली का प्रमुख उपकरण है। प्रश्न-पत्रों में विविध प्रकार के प्रश्न विभिन्न उद्देश्य पूर्ति हेतु दिये जाते हैं। प्रश्न-पत्रों में सीमा समय तथा विस्तार निर्धारित किया जाता है। प्रश्नों के अंक आवंटित किये हैं। जो लिखित परीक्षा निबंधात्मक तथा वस्तुनिष्ठ स्वरूप की होती है।

निबंधात्मक परीक्षा में बालक के प्रश्नों के उत्तर निर्धारित समय सीमा में तथा विस्तार से देना चाहिए, निबंध के रूप में योग्यता, सुलेख, शैली, भाषा आदि बातें प्रमुख हैं। इसमें आत्मगत तत्व (सब्जेक्टिव एलिमेंट्स) की प्रधानता होना बड़ा दोष है।

(अ) वस्तुनिष्ठ जांच : वस्तुनिष्ठ जांच का उपयोग बालक का विषय ज्ञान, सत्यासत्य, तथ्य ज्ञान, निर्णय बुद्धि आदि के मापने के लिए किया जाता है। इसमे बालक को विस्तार से उत्तर नहीं लिखना होता है। इसे जांचने में समय कम लगाता है तथा मूल्यांकन सरल होता है।

जिस प्रकार एक डाक्टर रोगी को दवा देता है उसकी चिकित्सा, देखभाल करता है, उसे स्वस्थ करने का प्रयास करता है, उसी प्रकार शिक्षक अपने अध्यापन कौशल के प्रयोग से बालकों में शिक्षा के द्वारा व्यवहार परिवर्तन करने का प्रयास करता है। इस प्रक्रिया में यह देखना आवश्यक है कि शिक्षक का अध्यापन अथवा डॉक्टर द्वारा की जाने वाली चिकित्सा कितनी प्रभावी, असरदार, सफल अथवा असफल रही है। प्रत्येक प्रक्रिया का मूल्यांकन होना आवश्यक है। मूल्यांकन शैक्षिक प्रक्रिया का एक आवश्यक अंग है। शिक्षक अपने बालकों में व्यवहार परिवर्तन का मूल्यांकन विभिन्न पद्धतियों से करता है। मूल्यांकन से समस्त क्रियाएं अर्थपूर्ण होती है। हम जान सकते है कि हमारे प्रयास कितने सफल रहें, जिससे हम भविष्य के लिए सतर्क रह सकते हैं वह एक सतत् प्रक्रिया है।

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About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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