राजनीति विज्ञान में पठित विषय वस्तु का मूल्यांकन आप कैसे करेंगे? मूल्यांकन की परिभाषा व विशेषताएँ भी लिखिए।
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राजनीति विज्ञान में पठित विषय वस्तु का मूल्यांकन
जिस प्रकार एक डाक्टर रोगी को दवा देता है उसकी चिकित्सा, देखभाल करता है, उसे स्वस्थ करने का प्रयास करता है, उसी प्रकार शिक्षक अपने अध्यापन कौशल के प्रयोग से बालकों में शिक्षा के द्वारा व्यवहार परिवर्तन करने का प्रयास करता है। इस प्रक्रिया में यह देखना आवश्यक है कि शिक्षक का अध्यापन अथवा डॉक्टर द्वारा की जाने वाली चिकित्सा कितनी प्रभावी, असरदार, सफल अथवा असफल रही है। प्रत्येक प्रक्रिया का मूल्यांकन होना आवश्यक है। मूल्यांकन शैक्षिक प्रक्रिया का एक आवश्यक अंग है। शिक्षक अपने बालकों में व्यवहार परिवर्तन का मूल्यांकन विभिन्न पद्धतियों से करता है। मूल्यांकन से समस्त क्रियाएं अर्थपूर्ण होती है। हम जान सकते हैं कि हमारे प्रयास कितने सफल रहें, जिससे हम भविष्य के लिए सतर्क रह सकते हैं वह एक सतत् प्रक्रिया है।
मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषा – मूल्यांकन केवल ज्ञान की जांच नहीं है, किन्तु इसका अर्थ व्यापक है। मूल्यांकन में व्यक्तित्व संबंधी परिवर्तनों एवं शैक्षिक कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्यों पर बल दिया जाता है। इससे पाठ्य वस्तु की निष्पत्ति के अलावा बालकों की रूचि, वृत्ति, उनके आदर्श, उनके सोचने का ढंग, काम करने की आदतें तथा व्यक्तिगत एवं राजनीति अनुकूलता भी निहित है।
परिभाषा – मूल्यांकन का अर्थ स्पष्ट होने के लिए हमें कुछ परिभाषाएं जानना आवश्यक है। जेम्स एम.ली.- “मूल्यांकन विद्यालय कक्षा तथा स्वयं के द्वारा निर्धारित शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के संबंध में छात्र की प्रगति की जांच है। मूल्यांकन का मुख्य प्रयोजन छात्रों की सीखने की प्रक्रिया को अग्रसर एवं निर्देशन करना है। इस प्रकार मूल्यांकन एवं नकारात्मक प्रक्रिया न होकर सकारात्मक प्रक्रिया है।”
मेफात – “मूल्यांकन निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया छात्रों की औपचारिक शैक्षिक उपलब्धि से अधिक संबंधित है। वह व्यक्ति के विकास में अधिक रूचि रखता है। यह व्यक्ति के विकास को उसकी भावनाओं विचार तथा क्रियाओं से संबंधित, वांछित व्यवहार परिवर्तनों के रूप में करता है। “
वेस्ले – “मूल्यांकन एक समवेशित धारणा है, जो इच्छित परिणामों के गुण, महत्व तथा प्रभावशीलता का निर्णय करने के लिए समस्त प्रकार के प्रयासों एवं साधनों की ओर संकेत करता है। यह वस्तुगणप्रमाण एवं आत्मगत निरीक्षण का मिश्रण है, यह सम्पूर्ण तथा “अन्तिम अनुमान है। यह नीतियों के रूप परिवर्तनों एवं भावी कार्यक्रम के लिये महत्वपूर्ण तथा आवश्यक मार्गदर्शक है।
मूल्यांकन की विशेषताऐं
उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर मूल्यांकन की निम्न विशेषताएं स्पष्ट होती है-
- यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।
- यह शिक्षा पद्धति का अभिन्न अंग है, जिसका निकट का सम्बंध शिक्षा के उद्देश्यों से है।
- मूल्यांकन में छात्रों के विषय में सामग्री एकत्रित करने के समस्त साधन सम्मिलित रहते है।
- मूल्यांकन में निर्देशित उपलब्धि के साथ-साथ उसे उन्नत बनाना भी निहित है।
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