राजनीति विज्ञान / Political Science

राजनीतिक सिद्धान्त के पतन | DECLINE OF POLITICAL THEORY IN HINDI

राजनीतिक सिद्धान्त के पतन |  DECLINE OF POLITICAL THEORY IN HINDI
राजनीतिक सिद्धान्त के पतन | DECLINE OF POLITICAL THEORY IN HINDI

राजनीतिक सिद्धान्त के पतन पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।

राजनीतिक विज्ञान के समकालीन विद्वानों के बीच राजनीतिक सिद्धान्त की स्थिति के सम्बन्ध में एक रोचक विवाद चल रहा है। विवाद यह है कि राजनीतिक सिद्धान्त का पतन हो रहा है यह नहीं। 1951 ई. के ‘Journal of Politics’ के एक अंक में ईस्टन ने अपने लेख “The Decline of Modern Political Theory” तथा 1953ई. में ‘Political Science Quaterly’ के एक अंक में कब्बन ने अपने लेख ‘The Decline of Political Theory’ में जो विचार दिए, उसी से इस विवाद का आरम्भ हुआ। आगे चलकर कई अन्य विद्वानों ने भी राजनीतिक सिद्धान्त के पतन की बात का समर्थन किया। यह बात उल्लेखनीय है ये विद्वान राजनीतिक चिन्तन की परम्परा में ह्यस को ही राजनीतिक सिद्धान्त के ह्यस की संज्ञा देते हैं।

जो विद्वान राजनीतिक सिद्धान्त के पतन की बात करते हैं उनका मानना है कि मार्क्स तथा जे. एस. मिल के बाद अब तक कोई महत्वपूर्ण राजनीतिक दार्शनिक नहीं हुआ है। राजनीतिक विचारों का प्रतिपादन प्रायः सामाजिक उथल-पुथल तथा परिवर्तन के काल में होता रहा है, परन्तु 20वीं सदी के मध्य सामाजिक संघर्ष तथा महत्वपूर्ण सांस्कृतिक परिवर्तनों के बावजूद पूरे विश्व में कहीं भी राजनीतिक चिन्तन विकसित नहीं हो सका। वास्तव में ईस्टन तथा कब्बन जैसे विद्वानों का ऐसा मत है कि आधुनिक विश्व में मौजूद परिस्थितियाँ राजनीतिक चिन्तन की परम्परा के मार्ग अवरुद्ध करती हैं, कब्बन शक्तिवादी राजनीति को राजनीतिक सिद्धान्तों के पतन का कारण मानता है। जब राजनीतिक शक्ति संघर्ष में बदल जाती है, तब सिद्धान्तों का पतन हो जाता है: जैसे-रोमन साम्राज्य के दिनों में हुआ था।

ईस्टन, कब्बन, लॉसवेल तथा अन्य विद्वान इस बात पर एकमत नहीं है कि राजनीतिक सिद्धान्त के ह्यस के लिए कौन-कौनसी परिस्थितियाँ जिम्मेदार हैं: फिर भी, सामान्यतः ऐसी कुछ परिस्थितियों के सम्बन्ध में सहमति दिखाई देती है। राजनीतिक सिद्धान्त में ज्यादा स्थिरिता या हास के लिए इतिहासवाद उत्तरदायी है। डर्निंग, सेबाइन, मैकमिलन तथा लिंडसे जैसे विद्वानों ने ऐतिहासिक दृष्टिकोण अपनाते हुए केवल उन तथ्यों को समझने का प्रयास किया है, जिन्होंने अतीत में मूल्यों या सिद्धान्तों के प्रतिपादन का मार्ग प्रशस्त किया है।

राजनीतिक सिद्धान्त के ह्रास में मूल्यों के प्रति आपेक्षवादी दृष्टिकोण, जिसे ईस्टन ने नैतिक आक्षेपवाद (Moral relativism) का नाम दिया है, का भी हाथ है। पश्चिमी देशों द्वारा स्वीकृत राजनीतिक मूल्यों को राजनीतिक शास्त्र के विद्वानों ने सर्वव्यापी एवं शाश्वत रूप में स्वीकृत विचार मान लिया है।

हद से ज्यादा तथ्यों पर बल देने, विज्ञानवाद एवं आनुभविक उपागम के विकास ने भी राजनीतिक सिद्धान्त को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया। तथ्यों पर हद से ज्यादा बल देने के चलते राजनीतिशास्त्र में प्रत्यक्षवाद (Positivism) की प्रवृत्ति बढ़ी, उसके चलते राजनीतिशास्त्र के विद्वानों में वैसे नैतिक उद्देश्यों का विलोप हो गया है जो उन्हें विचारों के प्रतिपादन के लिए प्रेरित करते ।

राजनीतिक सिद्धान्त के ह्यस के सम्बन्ध में विद्वानों द्वारा जो विचार दिए गए है, उनमें कई असंगतियाँ पाई जाती है और स्वयं उनके बीच इस मत पर भ्रम पाया जाता है कि राजनीतिक सिद्धान्त क्या है? इसके अतिरिक्त समकालीन राजनीति विज्ञान में प्रत्यक्षवाद की प्रवृत्ति के विरोध में भी काफी सशक्त तर्क लियो स्ट्रॉस जैसे विद्वानों द्वारा प्रस्तुत किए गए हैं। वे राजनीतिक सिद्धान्त के ह्यस की बात स्वीकार नहीं करते और वे मानते है कि शास्त्रीय राजनीतिक चिन्तन की उपादेयता एवं सार्थकता आज भी बनी हुई है। राजनीतिक दर्शन एवं राजनीतिक सिद्धान्त के बीच पृथक्करण हुआ है और दोनों के बीच सीमा रेखा को पुनः खींचा जा रहा है, परन्तु दोनों के बीच के सीमा निर्धारण तथा पृथक्करण का अर्थ राजनीतिक सिद्धान्त का ह्यस नहीं है।

IMPORTANT LINK

Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com

About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment