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लेखांकन समीकरण क्या है? स्पष्ट कीजिये?
“प्रत्येक व्यावसायिक व्यवहार का दो खातों पर समान विपरीत प्रभाव पड़ता है। इस समानता को प्रदर्शित करने के लिए तैयार किया गया समीकरण लेखांकन समीकरण कहलाता है।” लेखांकन समीकरण को मुख्यतः दो भागों में विभक्त कर स्पष्ट किया जा सकता है-
- (क) चिट्ठे से सम्बन्धित समीकरण (Balance-Sheet Equations)
- (ख) लाभ-हानि खाता से सम्बन्धित समीकरण (Profit and Loss A/c Equations)
(क) चिट्ठे से सम्बन्धित समीकरण (Balance-Sheet Equations)-
चिट्ठे के सम्पत्ति एवं दायित्व पक्ष का योग हमेशा समान होता है। यह समानता किसी नये व्यवहार से समाप्त नहीं होती। प्रत्येक व्यवहार के पश्चात् चिट्ठे का योग बराबर बना रहता है।
चिट्ठे में दायित्व मुख्यतः दो प्रकार के हो सकते हैं-
- आन्तरिक दायित्व या स्वामियों की समता (Internal Liabilities ‘or’ Owner’s Equity), तथा
- बाह्य दायित्व या लेनदारों की समता (External Liabilities ‘or’ Creditors Equity)।
व्यापार के स्वामी को देय राशि का आन्तरिक दायित्व या स्वामियों की समता तथा स्वामी के अतिरिक्त अन्य पक्षकारों को देय राशि बाह्य दायित्व अथवा लेनदारों की समता कहलाती है। दोनों दायित्वों को संयुक्त रूप से समताएँ (Equities) कहा जाता है।
लेखांकन समीकरण
सम्पत्तियाँ = पूँजी + देयता, या
Assets = Capital + Liabilities, Or
सम्पत्तियाँ = समताएँ या कुल दायित्व, या
Assets = Equities ‘or’ Total Liabilities, Or
सम्पत्तियाँ = आन्तरिक दायित्व + बाह्य दायित्व, या
Assets = Internal Liabilities + External Liabilities, Or
सम्पत्तियाँ = स्वामियों की समता+ लेनदारों की समता
Assets = Owner’s Equity + Creditors Equity
कुल सम्पत्तियों में से बाह्य दायित्व की राशि कम करने पर शेष राशि शुद्ध सम्पत्ति (Net Asset) कहलाती है। चूँकि यह राशि व्यवसाय के स्वामी की होती है, अतः इस आधार पर कहा जा सकता है कि शुद्ध सम्पत्तियाँ स्वामित्व समता के बराबर होती है।
शुद्ध सम्पत्ति = कुल सम्पत्तियाँ-बाह्य दायित्व, या
Net Assets= Total Assets – Outside Liabilities, Or
कुल सम्पत्तियाँ = स्वामियों की समता + बाह्य दायित्व, या
Total Assets = Owner’s Equity + Outside Liabilities, Or
स्वामियों की समता = कुल सम्पत्तियों-बाह्य दायित्व, या
Owner’s Equity = Total Assets – Outside Liabilities, Or
शुद्ध सम्पत्तियाँ = स्वामियों की समता
Net Assets = Owner’s Equity
व्यवसाय में पूँजी, व्यापारिक लाभ, ऋण, लेनदार, अदत्त व्यय, अनुपार्जित आय आदि को कोषों का स्रोत कहा जाता है तथा ये स्रोत भूमि, भवन, मशीनरी, स्कन्ध देनदार आदि में विनियोजित होते हैं। इन्हें कोषों का प्रयोग कहा जाता है। कोषों के स्रोत की राशि कोषों के प्रयोग की राशि के बराबर होती है।
कोषों के स्रोत = कोषों के उपयोग
Funds Sources = Uses of Funds
(ख) लाभ-हानि खाता से सम्बन्धित समीकरण (Profit and Loss Accounting in Equations)-
व्यवसाय में कुल आय एवं कुल व्यय में अन्तर व्यवसाय का लाभ अथवा हानि होती है।
आय में वृद्धि होने पर स्वामित्व समता एवं सम्पत्तियाँ दोनों में वृद्धि होती है तथा बाह्य दायित्व यथावत् रहते हैं। ठीक इसके विपरीत व्यय में वृद्धि होने पर स्वामित्व समता एवं सम्पत्तियाँ दोनों में कमी होती है तथा बाह्य दायित्व यथावत् रहते हैं। इस आधार पर किसी अवधि में स्वामित्व समता तथा सम्पत्तियों में परिवर्तन उस अवधि का शुद्ध लाभ अथवा शुद्ध हानि होगी। यदि परिवर्तन धनात्मक है तो शुद्ध लाभ तथा ऋणात्मक है तो शुद्ध हानि होगी।
कुल सम्पत्तियों- (स्वामियों की समता + बाह्य दायित्व) = लाभ
Total Assets- (Owner’s Equity + Outside Liabilities) = Profit
स्वामित्व की समता + बाह्य दायित्व – कुल सम्पत्तियाँ = हानि
Owner’s Equity + Outside Liabilities = Profit
स्वामित्व की समता + बाह्य दायित्व कुल् – सम्पत्तियाँ = हानि
Owner’s Equity + Outside Liabilities – Total Assets = Loss
लेखांकन समीकरणों के नियम
दोहरी प्रविष्टि प्रणाली में प्रत्येक डेबिट के लिए उतनी ही राशि क्रेडिट की जाती है। उक्त नियम के आधार पर अमेरिकन लेखापालों ने लेखांकन समीकरणों की सहायता से डेबिट क्रेडिट के निम्नलिखित नियम बनाये हैं-
(i) सम्पत्ति सम्बन्धी नियम (Rules regarding Assets)- सम्पत्ति में वृद्धि डेबिट तथा सम्पत्ति में कमी क्रेडिट में लिखी जाती है।
(ii) दायित्व सम्बन्धी नियम (Rules regarding Liabilities)- दायित्व में वृद्धि क्रेडिट तथा कमी डेबिट की जाती है।
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