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विनिमय विपत्र क्या है? विनिमय विपत्र के लक्षण बताइए।

विनिमय विपत्र क्या है? विनिमय विपत्र के लक्षण बताइए।
विनिमय विपत्र क्या है? विनिमय विपत्र के लक्षण बताइए।

विनिमय विपत्र क्या है? विनिमय विपत्र के लक्षण बताइए। चेक और विनिमय विपत्र में अन्तर कीजिए।

विनिमय-पत्र से आशय – भारतीय विनिमय-साध्य लेख पत्र अधिनियम, 1881 की धारा 5 के अनुसार, “विनिमय-पत्र एक लिखित लेख-पत्र है, जिसमें लेखक अपने हस्ताक्षर करता है तथा व्यक्ति के बिना शर्त यह आदेश देता है कि वह किसी व्यक्ति विशेष की उसमें लिखित निश्चित रकम का भुगतान कर दे।” दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि विनिमय-बिल वह लिखित आदेश होता है, जिसमें ऋणदाता (Debtor) ऋणी (Creditor) को एक निश्चित धनराशि स्वयं उसे अथवा उसके आदेशित किसी व्यक्ति (वाहक) को भुगतान करने की आज्ञा देता है।

विनिमय विपत्र की विशेषताएं/लक्षण

विनिमय विपत्र की निम्नलिखित विशेषताएं हैं-

1. लिखित प्रपत्र- विनिमय-प्रपत्र भी प्रतिज्ञा पत्र के समान होता है; यह प्रपत्र लिखित होता है और इस प्रपत्र की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये हाथ में लिखा हुआ भी हो सकता है।

2. मूल्यवान प्रतिफल – विनिमय विपत्र में स्पष्टता के साथ लिखा होना चाहिए कि विनिमय विपत्र को स्वीकार करने वाले को विनिमय विपित्र की स्वीकृति के स्थान पर मूल्य की के प्राप्ति हो चुकी है।

3. प्रापक एक निश्चित व्यक्ति होना चाहिए- यदि कोई विनिमय विपत्र वाहक नहीं है तो प्रापक एक निर्धारित व्यक्ति होना चाहिए। यदि किसी विनिमय विपत्र पर प्रापक का नाम नहीं लिखा गया तो उस विनिमय विपत्र का धारक उस पर अपना नाम स्वयं भुगतान प्राप्त करने का अधिकारी बन सकता है।

4. विनिमय-विपत्र की सुपुर्दगी- विनिमय विपत्र के लेखक के द्वारा यह अनिवार्य हो जाता है कि वह उसे ऋणी के पास भेज दे और ऋणी उस विपत्र पर अपनी स्वीकृति देने के बाद उसकी सुपुर्दगी लेखक को कर देता है।

5. निश्चित धनराशि- विनिमय विपत्र में भुगतान की धनराशि निश्चित होनी चाहिए और इसे अंकों और शब्दों दोनों ही रूपों से अंकित करना चाहिए ।

6. आहर्ता के हस्ताक्षर – विनिमय विपत्र पर लेखक के हस्ताक्षर होना आवश्यक है क्योंकि उसके हस्ताक्षर के बिना विनिमय-विपत्र अवैध घोषित कर दिया जाता है। यदि ऋणी ऐसे विनिमय विपत्र को स्वीकार करता है जिस पर लेखक के हस्ताक्षर नहीं है, तो उसे भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं ठहरा सकते हैं।

7. भुगतान का शर्तरहित आदेश- विनिमय-विपत्र में लिखी हुई धनराशि का भुगतान शर्तरहित आदेश होता है। यदि विनिमय-विपत्र में भुगतान का आदेश किसी घटना के घटित होने पर आधारित है तो विनिमय विपत्र अवैध घोषित नहीं किया जा सकता है।

8. भुगतान का समय एवं स्थान – विनिमय विपत्र में भुगतान की तिथि, समय और – स्थान निर्धारित होना चाहिए। विनिमय विपत्र में निर्धारित की गयी तिथि के बाद वर्णित समयावधि और तीन दिन अनुग्रह दिवस के व्यतीत हो जाने पर धनराशि का भुगतान किया जाता है।

9. भुगतान की मुद्रा- विनिमय विपत्र में लिखी हुई धनराशि का भुगतान देश में प्रचलित मुद्रा के आधार पर ही किया जाता है।

10. आवश्यक मुद्रांक – भारतीय मुद्रांक अधिनियम के अनुसार विनिमय-विपत्र पर – आवश्यक मुद्रांक लगाना आवश्यक है। आवश्यक मुद्रांक न लगा होने पर उसे अवैध घोषित कर दिया जाता है।

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Anjali Yadav

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