शिक्षण विधियाँ / METHODS OF TEACHING TOPICS

संश्लेषण विधि के गुण एंव दोष | Merits and Demerits of Synthetic Method in Hindi

संश्लेषण विधि के गुण एंव दोष | Merits and Demerits of Synthetic Method in Hindi
संश्लेषण विधि के गुण एंव दोष | Merits and Demerits of Synthetic Method in Hindi

संश्लेषण विधि (Synthetic Method)

संश्लेषण विधि, विश्लेषण विधि के विपरीत है। इस विधि में ज्ञात से अज्ञात की ओर को जाते हैं। जब कभी हमको रेखागणित में कोई साध्य सिद्ध करनी होती है तो हम परिकल्पना के आधार पर किसी निष्कर्ष पर पहुँचते हैं। रेखागणित की पुस्तकों में जिस रूप में साध्यों का हल लिखा होता है, वह संश्लेषण का ही रूप होता है। इसे विश्लेषण विधि के पदों का संक्षिप्त रूप कहते हैं।

संश्लेषण में एक तथ्य की सत्यता की जाँच की जाती है, किन्तु इससे प्रस्तुत पाठ का सही तथा वास्तविक ढाँचा ज्ञात नहीं होता। इस प्रकार से संश्लेषण विधि साध्य सिद्ध करती है, किन्तु उसकी व्याख्या नहीं करती। इसके द्वारा विश्लेषण विधि से प्राप्त तथ्य की जाँच की जा सकती है।

उदाहरण: सिद्ध करो कि समकोण त्रिभुज में कर्ण के मध्य बिन्दु को सामने के शीर्ष से मिलाने वाली रेखा कर्ण की आधी होती है।

हल: ज्ञात है : समकोण त्रिभुज क ख ग में कर्ण क ग के मध्य बिन्दु अ को ख से मिलाया गया है।

सिद्ध करना है कि : अ ख  = 1/2 क ग

रचना : अ से आधार ख ग के समान्तर सरल रेखा अ ब खींची जो क ख को ब पर काटती है।

उपपत्ति : ∴ अ ब ॥ ख ग और क ख तिर्यक रेखा है।

∴ ∠अ ब ख + ∠ब ख ग = 180°

या ∠अ ब ख + 90° = 180°  ( ∠ब ख ग = 90°)

∴ ∠अ ब ख =  180° – 90° = 90°

अतः ∠अ ब क = सम्पूरक ∠अ ब ख = 90°

∴ अ, क ग का मध्य बिन्दु है तथा अ ब ।। ख ग

∴ ब, क ख का माध्य बिन्दु है।

Δ क अ ब और Δ अ ब ख में

∠क ब अ = ∠ख ब अ (प्रत्येक समकोण)

क ब = ख ब (अभी सिद्ध किया है)

अ ब उभयनिष्ठ है।

∴ दोनों त्रिभुज सर्वांगसम हुए।

∴ ख अ = क अ

परन्तु क अ = 1/2 क ग

∴ अ ख = 1/2 क ग             यही सिद्ध करना था।

संश्लेषण विधि के गुण (Merits of Synthetical Method)

1. यह विधि विश्लेषण विधि से सरल है तथा हल या निष्कर्ष निकालने की विधि से अधिक स्थान नहीं घेरती।

2. विश्लेषण विधि के पश्चात् संश्लेषण विधि का उपयोग आवश्यक है।

3. ज्ञात से अज्ञात की ओर अग्रसर करने का सिद्धान्त मनोवैज्ञानिक है तथा विद्यार्थियों के लिए सुविधाजनक है। अध्यापक के कार्य को इस विधि ने अत्यधिक सरल बना दिया है।

संश्लेषण विधि के दोष (Demerits of Synthetical Method)

1. इस विधि द्वारा प्राप्त ज्ञान विद्यार्थियों के द्वारा स्वयं ढूंढा हुआ नहीं होता, इसलिए वह स्थायी नहीं होता।

2. यह विधि केवल सिद्ध कर सकती है, समझा नहीं सकती।

3. किसी साध्य अथवा समस्या का हल इस विधि से ज्ञात नहीं किया जा सकता।

4. इस विधि से छात्रों की तर्कशक्ति निर्णयशक्ति तथा सोचने शक्ति का विकास नहीं हो सकता।

5. यह एक नीरस तथा निर्जीव विधि है। छात्र प्रत्येक बात को समझाने के लिए अध्यापक पर निर्भर रहते हैं।

विश्लेषण विधि एवं संश्लेषण विधि का तुलनात्मक अध्ययन

विश्लेषण विधि (Analytical Method) संश्लेषण विधि (Synthetical Method)
1. विश्लेषण का अर्थ है किसी समस्या को भिन्न-भिन्न भागों में बांटना । 1. संश्लेषण का अर्थ है किसी साध्य के विभिन्न भागों को एकत्रित कर लक्ष्य की ओर अग्रसर होना ।
2. यह विचार या चिन्तन की प्रक्रिया है। 2. यह चिन्तन का निष्कर्ष है।
3. विद्यार्थी केन्द्रित विधि है तथा तर्क शक्ति पर बल देती है। 3. स्मरण शक्ति अभीष्ट है। यह रटने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देती है।
4. इनमें नई खोज की सम्भावना बनी रहती है। 4. इसमें नई खोज की कोई सम्भावना नहीं होती।
5. यह विधि खोज के लिये उपयुक्त है। 5. यह विधि अभ्यास के लिए उपयुक्त है।
6. यह विधि लम्बी, धीमी एवं अभ्यास तथा त्रुटि पर आधारित है। 6. यह विधि द्रुत संक्षिप्त, सीधी तथा नियम पर आधारित है।
7. विद्यार्थियों में खोज व अन्वेषण की प्रकृति को बढ़ावा देती है। 7. इसमें खोज किये गये तथ्यों का अध्ययन करते हैं।
8. यह विधि मनोविज्ञान के सिद्धान्त पर आधारित है। 8. यह विधि व्यावहारिक है। इसमें परिश्रम तथा समय की बचत होती है।
9. एक बार भूल जाये तो पुनः प्रयत्न कर सकता है। 9. एक बार भूल जाने पर छात्र उलझ जाता है, वह स्वयं आगे नहीं बढ़ सकता ।
10. इस विधि का प्रत्येक पद एक दूसरे से सम्बद्ध होता है तथा अनिश्चितता के लिए कोई स्थान नहीं है। 10. विशेष युक्ति पर आधारित होती है और क्यों ? का  उत्तर नहीं देती।

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Anjali Yadav

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