सामाजिक विज्ञान व राजनीति विज्ञान को अनुशासन के रूप में उच्च प्राथमिक स्तर की कक्षाओं में कैसे सम्मिलित किया जाना चाहिए।
उच्च प्राथमिक स्तर
उच्च प्राथमिक स्तर अर्थात् कक्षा 6, 7 तथा 8 के लिए सामाजिक विज्ञान को पाठ्यचर्या में इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान से संबंधित क्षेत्रों को शामिल करना चाहिए। इतिहास शिक्षण को भारत के अतीत पर संकेंद्रित करना चाहिए। राजस्थान की कुछ प्रागैतिहासिक बस्तियां, राज्य प्रणाली का विकास, धातुओं का उपयोग और धार्मिक बहुलता को महत्व देना चाहिए। बाल श्रम, श्रमिकों का प्रवास, निरक्षरता आदि मुद्दों पर बातचीत करनी चाहिए। भूगोल के पाठ पढ़ाते वक्त राजस्थान के आंचलिक भूगोल, पर्यावरण क्षरण, बाढ़, वनाच्छादन आदि पर बातचीत करनी चाहिए और अर्थशास्त्र के विषय क्षेत्रों को भी इनसे जोड़ना चाहिए। लोकतंत्र और स्थानीय, राज्य तथा राष्ट्रीय स्तरों पर लोकतांत्रिक सरकारों के काम-काज की जानकारी देनी चाहिए। विषय-क्षेत्रों के पारस्परिक संबंध पर जोर देना चाहिए। शिक्षक को इतिहास और भूगोल, भूगोल और अर्थशास्त्र आदि के बीच अंतर्संबंध को सामने लाना चाहिए।
इस संबंध को विद्यार्थियों के आंकलन की विधियों के जरिए भी सामने लाना चाहिए। पढ़ाए जाने वाले पाठों से संबंधित पुस्तकें पढ़ने के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना चाहिए। क्षेत्र भ्रमण अवश्य आयोजित किया जाना चाहिए जिसके द्वारा बच्चों के मानसिक क्षितिज का विस्तार हो, विभिन्न समूह के बच्चे एक दूसरे के संपर्क में आएं। के इनका दायरा पुरातात्विक स्थलों, प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालयों, उपेक्षितों के लिए ‘बालगृहों’ संग्रहालयों तक हो सकता है। कलाकारों-शिल्पकारों की समीपस्थ बस्तियों तक बच्चों को ले जाया जा सकता है और उन्हें अपने कलाकृतियों के प्रदर्शन के लिए विद्यालय में आमंत्रित किया जा सकता है। वर्ग कक्षों में मॉडल तैयार किए जा सकते हैं अथवा इतिहास को विकसित किया जा सकता है। जहां भी संभव हो, वर्षाजल संग्रहण, केंचुआ खाद निर्माण, अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों के विकास आदि के प्रयास किए जा सकते हैं।
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