अपूर्ण प्रतियोगिता की विशेषताएँ (Characteristics of Imperfect Competition)
एकाधिकारी प्रतियोगिता की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(1) वस्तु विभेद – एकाधिकारी प्रतियोगिता में प्रत्येक उत्पादक का उत्पादन एक जैसा नहीं होकर एक-दूसरे के उत्पादन से मिलता-जुलता होता है। वस्तु भेद जितना अधिक होगा, उत्पादक उतना ही एकाधिकारी होगा; जैसे टूथ पेस्ट में सिबाका, कोलगेट, वीको वज्रदंती आदि।
(2) विक्रेता की संख्या अधिक- द्वयाधिकार व अल्पाधिकार की अपेक्षा इसमें उत्पादक अधिक होते हैं परन्तु पूर्ण प्रतियोगिता की तुलना में उत्पादक कम होते हैं। प्रत्येक विक्रेता वस्तु विभेद के कारण अपनी वस्तु को बेचता है। ट्रेड मार्क, विशेष गुण आदि के कारण प्रत्येक उत्पादक के ग्राहक बंधे हुए होते हैं। उत्पादकों के बीच अपना-अपना ब्रांड बेचने के लिए प्रतिस्पर्धा भी रहती है।
(3) फर्मों को प्रवेश की सुविधा – पूर्ण प्रतियोगिता में फर्मों के प्रवेश व निर्गमन पर किसी भी प्रकार का प्रतिबन्ध या बाधा नहीं होती है। परन्तु एकाधिकारी प्रतियोगिता में नई फर्में थोड़ी सी बाधा के साथ उद्योग में प्रवेश कर सकती हैं। उद्योग में प्रवेश पाने वाली नई फर्म इतनी शक्तिशाली होनी चाहिए कि वह वस्तु के गुण व विज्ञापन के आधार पर अन्य फर्मों के ग्राहक को अपनी ओर खींच सके। नहाने, कपड़े धोने के साबुन में तथा टूथ पेस्ट व चाय उद्योग में नवीन फर्में प्रायः प्रवेश करती रहती हैं। अतः इस प्रवृत्ति के उद्योग में नवीन फर्मे प्रवेश कर सकती हैं।
(4) गैर मूल्य प्रतियोगिता- वस्तु भेद के कारण प्रत्येक उत्पादक विज्ञापन के माध्यम से दूसरी फर्मों के ग्राहकों को तोड़ने का प्रयत्न करता है। यहाँ वस्तु बेचने या ग्राहक आकर्षित करने में तो फर्मों के मध्य प्रतियोगिता है, लेकिन वस्तु मूल्य को लेकर विशेष प्रतियोगिता नहीं होती है।
(5) प्रत्येक फर्म मूल्य निर्धारक – एकाधिकारी प्रतियोगिता में प्रत्येक फर्म स्वतंत्र मूल्य नीति अपना सकती अर्थात् प्रत्येक फर्म अपनी वस्तु की इच्छानुसार कीमत निर्धारित करती है ।
(6) निकट स्थानापन्न – एकाधिकारी प्रतियोगिता में विभिन्न फर्मों द्वारा उत्पादित वस्तुएँ एक-दूसरे के निकट स्थानापन्न होती हैं।
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