उपलब्धि परीक्षण का अर्थ, परिभाषा, महत्व एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिये ।
उपलब्धि परीक्षण का अर्थ आने वाली पीढ़ी के समक्ष अध्यापक इस उद्देश्य से अपने अनुभव एवं मूल्य रखता है कि वे सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा कर सकें एवं उनके व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन हो । बालक विद्यालय में रहकर जो कुछ सीखता है उसे हम उपलब्धि (Achievement) कहते हैं। इस उपलब्धि की जाँच के लिए जो परीक्षाएँ ली जाती हैं उन्हें उपलब्धि परीक्षण (Achievement Test) कहते हैं। शिक्षक एवं शिक्षालय का प्रथम दायित्व अपने शिष्यों की उपलब्धि का मूल्यांकन है। शिक्षा के उद्देश्य में संशोधन एवं परिवर्तन के साथ-साथ मूल्याँकन एवं मापन प्रक्रिया भी बदलती रहती है।
छात्रों की उन्नति का ज्ञान प्राप्त करने के लिए अध्यापक समय-समय पर उनकी परीक्षाएँ लेता रहता है। इन परीक्षाओं का उददेश्य छात्रों की सफलता का मापन करना है। अध्यापक इस बारे में आश्वस्त होना चाहता है कि विद्यार्थी ने विषय सम्बन्धी योग्यता पूर्ण रूप से प्राप्त कर ली है या नहीं। इस परीक्षा के प्राप्तांक विद्यार्थी की किसी एक निश्चित क्षेत्र में सफलता का ज्ञान कराते हैं। उपलब्धि परीक्षा द्वारा बालकों की योग्यता की तुलना की जाती है। इस परीक्षा में हमसापेक्षिक सफलता (Relative Achievement) पर न कि पूर्ण सफलता (Absolute Achievement ) पर बल देते हैं। यदि एक विद्यार्थी किसी विषय में 30 अंक प्राप्त करता है। तथा दूसरा विद्यार्थी 55 अंक प्राप्त करता है तो पहला विद्यार्थी दूसरे विद्यार्थी से योग्यता में 25 अंक कम है। यह भी हो सकता है कि परीक्षा बहुत ही कठिन हो और कोई भी विद्यार्थी 36% (Pass marks) न ला पाये। ऐसी स्थिति में यह नहीं कहा जा सकता कि कोई भी विद्यार्थी योग्य नहीं है। अतः यह विद्यार्थियों को अंक देने के पश्चात वर्गीकरण करना चाहिए तथा मध्यांक ज्ञात करके फिर यह देंखे कि विद्यार्थी के अंक मध्यांक से कितने कम हों कि उसकी योग्यता को सफल कहा जाय। आजकल प्रतियोगी परीक्षाओं में यही नीति प्रयोग में लायी जाती है।
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उपलब्धि की परिभाषायें
(1) सुपर (Super), “एक उपलब्धि या क्षमता परीक्षण यह ज्ञात करने के लिए प्रयोग किया जाता है कि व्यक्ति ने क्या और कितना सीखा तथा वह कोई कार्य कितनी भली-भाँति कर लेता है। “
(2) फ्रीमैन (Freeman), “उपलब्धि परीक्षण वह अभिकल्प है जो एक विशेष विषय या पाठ्यक्रम के विभिन्न विषयों में व्यक्ति के ज्ञान, समझ एवं कौशल का मापन करता है ।
(3) इबेल (Ebel), “उपलब्धि परीक्षण वह अभिकल्प है जो विद्यार्थी के द्वारा ग्रहण किये के गये ज्ञान, कुशलता या क्षमता का मापन करता है। “
(4) लिंडक्विस्ट एव मन (Lindquist and Munn), “एक सामान्य निष्पत्ति परीक्षण वह है जो एक फलांक द्वारा निष्पत्ति के किसी दिये हुए क्षेत्र में विद्यार्थी के सापेक्षिक ज्ञान का बोध कराए। “
उपलब्धि परीक्षण का महत्व
(1) व्यक्ति की विशेष कार्य में निम्नतम योग्यताओं के मापन में सहायक होते हैं।
(2) इसका प्रयोग जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में व्यक्तियों चयन एवं विद्यालय में छात्रों के प्रवेश हेतु किया जाता है।
(3) इनका उपयोग विभिन्न प्रकार के वर्गीकरण एवं नियुक्ति करने में विस्तृत रूप से किया जाता है।
(4) ये परीक्षण वर्ग निर्धारण एवं पदोन्नति में प्रयोग की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
(5) ये परीक्षण बालकों को शैक्षिक एवं व्यावसायिक निर्देशन प्रदान करने में भी सहायक होते है ।
(6) चिकित्सा एवं संदर्शन (Counselling) के क्षेत्र में इनका प्रयोग व्यापक रूप से किया जाता है। शैक्षिक उपलब्धियों में विशेष रूप से पिछड़े हुए विद्यार्थियों की पहचान, निदान एवं उपचारात्मक शिक्षण (Remedial Teaching) की दृष्टि से ये परीक्षाएँ अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। एनेस्टेसी (Anastasi) लिखते हैं- “In cases of truancy, behavior problems and delinquency, for example, educational failures and maladjustment to the school situations may be contributing factors, Similarly, emotional maladjustments among intellectually gifted children are sometimes found to associated with improper educational placements.”
(7) इन परीक्षणों द्वारा छात्र को यह भली-भाँति ज्ञात रहता है कि उसने कितना पढ़ लिया है और कितना पढ़ना शेष है।
(8) भविष्य में सीखने हेतु प्रेरणा भी मिलती है ।
(9) इनकी सहायता से अध्यापक की कुशलताओं एवं प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जाता है।
(10) ये परीक्षण विभिन्न शिक्षण विधियों की प्रभावात्मकता का भी मूल्यांकन करते हैं तथा श्रेष्ठ विधि के चयन में अध्यापक की सहायता करते हैं।
(11) इनके आधार पर विभिन्न विद्यालयों के शैक्षिक स्तरों का भी तुलनात्मक अध्ययन सम्भव है।
(12) इनका प्रयोग पाठ्य-वस्तु के संशोधन में भी सहायक होता है।
(13) इन परीक्षणों द्वारा विद्यार्थियों में धैर्य, विनय, श्रम की प्रवृत्ति आदि गुणों का विकास होता है।
(14) ये परीक्षण विद्यार्थी की सर्वतोन्मुखी मानसिक योग्यता का ज्ञान कराते हैं।
(15) इनके निर्माण करने तथा सम्बन्धित साहित्य के अध्ययन से शिक्षकों में अपनी व्यावसायिक वृत्ति का विकास होता है।
(16) अभिभावकों को रिपोर्ट देना तथा विद्यार्थियों को प्रमाण-पत्र प्रदान करना।
उपलब्धि परीक्षण की विशेषताएँ
- इनका उद्देश्य पूर्व निर्धारित होता है।
- ये परीक्षाएं विभिन्न कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग बनायी जाती हैं।
- इनकी पाठ्य-वस्तु छात्रों के स्तर, योग्यताओं, रूचियों एवं क्षमताओं के अनुकूल होती हैं।
- ये परीक्षण व्यावहारिक दृष्टिकोण से उपयोगी होते हैं।
- इनका प्रशासन, अंकन, समय सीमा आदि पहले से ही निश्चित कर ली जाती है।
- इनके प्रश्न वस्तुनिष्ठ होते हैं। अत: आंशिक रूप में अंक प्रदान करने का प्रश्न ही नहीं उठता।
- इनमें प्रश्नों की संख्या बहुत अधिक होती है, अतः अवसर या भाग्य का प्रश्न ही नही
- इनकी विषय-सामग्री व्यापक होती है।
- ये परीक्षण विभेदकारी (Discriminating) होते हैं। साथ ही, विश्वसनीय तथा वैध भी होते हैं ।
- इनमें प्रमापीकृत परीक्षाओं की सभी विशेषताएं विद्यमान होती हैं, जैसे-अंकन कुँजी (Scoring Key), निर्देश पुस्तिका (Manual of instructions), मानक (Norms) आदि । ये सभी पहले से ही तैयार कर लिये जाते हैं तथा इन्हें पुस्तिका के रूप में छपवा दिया जाता है।
- इन परीक्षाओं के परीक्षाफलों से अध्यापक को ऐसी सामग्री मिल जाती है जिसके आधार पर वह समस्त शिक्षण योजना का निर्माण कर सकता है।
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