भोजन के पोषक तत्त्व कार्बोज के संघटन तथा उपयोगिता का वर्णन कीजिए। कार्बोज की अधिकता तथा कमी से क्या हानि होती है ?
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कार्बोज के संघटन
ये कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन नामक रासायनिक तत्त्वों से मिलकर बनते हैं। इनमें हाइड्रोजन व ऑक्सीजन उसी अनुपात में मिले रहते हैं, जिस अनुपात में जल में क्रमश: 2:1। इसलिए इन्हें कार्बोहाइड्रेट्स पुकारा जाता है। कार्बोज दो प्रकार के होते हैं-(1) श्वेतसार-युक्त, तथा (2) शर्करा युक्त ।
कार्बोज की उपयोगिता
कार्बोज के निम्नलिखित कार्य हैं-
- गर्मी प्रदान करना ताकि शरीर का तापमान स्थिर हो।
- माँसपेशियों का निर्माण करना ।
- ऊर्जा व शक्ति देना।
- पाचन तन्त्र को स्वस्थ रखना।
- अधिक मात्रा में पहुंचने पर कार्बोज का यकृत में ग्लाइकोजन के रूप में संचित होना, परन्तु पेशियों को गर्मी व शक्ति की आवश्यकता पड़ने पर पुनः शर्करा का रूप धारण कर कार्य करना।
श्वेतसार की अपेक्षा शक्कर वाले अंश अधिक शीघ्रता से शक्ति देते हैं। अत्यधिक शर्करा का उपयोग करने से मूत्र के साथ शर्करा आने लगती है तथा मधुमेह रोग होने की आशंका रहती है।
साधन
कार्बोज शाकाहारी भोज्य पदार्थों में अधिक पाये जाते हैं, यद्यपि यह माँसाहारी भोजन में भी होते हैं। इसमें विभिन्न प्रकार के समस्त श्वेतसार एवं शर्करा सम्मिलित हैं। अतः श्वेतसार सभी प्रकार के अनाजों व दालों जैसे जौ, गेहूं, मक्का, चावल, साबूदाना, ज्वार, बाजरा आदि में पाये जाते हैं। ये आलू, अरबी, शकरकन्द, चुकन्दर आदि कन्दों में भी पाये जाते हैं। यह सस्ते खाद्य पदार्थों से उपलब्ध हो जाता है इसलिए निर्धन व्यक्ति इसका अधिक उपयोग करते हैं। विभिन्न प्रकार की शर्करा खजूर, गला, चुकन्दर, अंगूर तथा अन्य फलों, दूध, आदि से प्राप्त होती है। गन्ने में सुक्रोस (Sucrose), अंगूर में ग्लूकोज (Glucose), अन्य फलों में फ्रक्टोस (Fructose), दूध में लेक्टोस (Lactose) के रूप में शर्करा पायी जातीहै। सेल्युलोज भी कार्बोज ही है। यह एक रेशेदार पदार्थ है, जो अनाजों के छिलके में तथा फलों में पाया जाता है। इसका पौष्टिक मूल्य शून्य है, परन्तु इसको खाना आवश्यक है। इससे कब्ज से बचाव रहता है।
विभिन्न भोज्य पदार्थों में श्वेतसार की मात्रा
पदार्थ | मात्रा |
शक्कर | 99.00 |
साबूदाना | 87.99 |
गुड़ | 94.95 |
शहद | 79.40 |
अखरोट | 85.87 |
अनाज | 63.79 |
कन्दमूल | 22.36 |
ताजे फल, मेवे | 10.25 |
दालें | 56.60 |
सूखे फल | 67.77 |
अधिक मात्रा में शारीरिक श्रम करने वाले के लिए इसकी दैनिक आवश्यकता अधिक होती है। सर्वप्रथम कार्बोन को पाचन क्रिया द्वारा ग्लूकोज के रूप में परिवर्तित किया जाता है। शोषण के पश्चात् रक्त उसे माँसपेशियों तक ले जाता है। माँसपेशियाँ अधिक क्रियाशील रहती हैं, इसलिए वे इसका उपयोग पर्याप्त मात्रा में करती हैं। एक प्रौढ़ व्यक्ति को प्रतिदिन लगभग 400 ग्राम कार्बोज की आवश्यकता होती है। सन्तुलित आहार में कुल कैलोरी का 50-60 प्रतिशत कार्बोज से प्राप्त होता है।
अधिक कार्बोज से हानि
भोजन में कार्बोज का अंश अधिक मात्रा में नहीं होना चाहिए। इसके अधिक प्रयोग से भोजन पचता नहीं तथा अजीर्ण के कारण दस्त भी होने लग जाते हैं। अधिक मात्रा में कार्बोज लेने से यह ग्लाइकोजन के रूप में यकृत व मांसपेशियों में एकत्र होने लगता है। कुछ समय बाद यही ग्लाइकोजन वसा के रूप में त्वचा के नीचे जमा हो जाती है, जिससे मोटापा बढ़ने लगता है। थोड़े मोटापे से शरीर भरा-भरा सुन्दर लगता है, परन्तु अधिक मोटापा एक प्रकार का रोग है, जिसे ओबेसिटी (Obesity) कहते हैं। शरीर की चुस्ती समाप्त हो जाती है, मस्तिष्क की कार्यक्षमता भी शिथिल हो जाती है।
कार्बोज की कमी से हानि
कार्बोज की न्यूनता से शरीर की क्रियाशीलता कम हो जाती है, क्योंकि शरीर में संचित वसा गर्मी व शक्ति उत्पन्न करने हेतु व्यय हो जाती है। परिणामस्वरूप, शरीर दुबला, त्वचा में झुर्रियाँ तथा शरीर के आन्तरिक अंगों का विकास अवरुद्ध हो जाता है। शरीर का भार कम हो जाता है, स्फूर्ति जाती रहती है, स्वास्थ्य में गिरावट आ जाती है। आलस्य उत्पन्न होने लगता है तथा थकान का अनुभव होने लगता है।
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