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दृश्य-श्रव्य सामग्री से आप क्या समझतें है? दृश्य-श्रव्य सामग्री का वर्गीकरण किन आधारों पर किया जा सकता है, समझाइयें।
दृश्य-श्रव्य सामग्री- दृश्य-श्रव्य सामग्री अधिगम के प्रति छात्रों में रुचि जागृत करती है। ये साधन के बल ज्ञान के प्रति रुचि उत्पन्न करने के साथ-साथ बच्चों की कल्पना शक्ति का भी विकास करते हैं। शिक्षण अधिगम प्रक्रिया दृश्य-श्रव्य सामग्री के महत्व को आधुनिक युग में समझा जाने लगा है।
दृश्य-श्रव्य सामग्री का वर्गीकरण
निम्न आधारों पर किया जा सकता हैं-
दृश्य-श्रव्य सामग्री का वर्गीकरण दो आधारों पर किया जा सकता है-
- इन्द्रियों के प्रयोग के आधार पर
- तकनीकी के आधार पर
1. इन्द्रियों के प्रयोग के आधार पर
इन्द्रियों के प्रयोग के आधार पर शिक्षण सहायक सामग्री की तीन भागों में बाँटा जा सकता है, ये साधन निम्नलिखित हैं-
- दृश्य सामग्री
- श्रव्य सामग्री
- दृश्य-श्रव्य सामग्री
(i) दृश्य सामग्री – ये शिक्षण के वे साधन हैं जो देखने की इन्द्री को प्रभावित करते हैं अर्थात् इन्हें देखकर छात्रों को सीखने में सहायता प्राप्त होती है। दृश्य साधनों को पुनः दो उपश्रेणियों में बाँटा जा सकता है।
(a) गैर-प्रेक्षणी साधन – ये वे दृश्य साधन हैं जो प्रत्यक्ष रूप से देखने की ज्ञानेन्द्री को प्रभावित करते हैं। इन साधनों में निम्नलिखित शामिल है-
1. श्यामपट्ट 2. मॉडल 3. चार्ट 4. ग्राफ 5. मानचित्र 6. चित्र 7. बुलेटिन बोर्ड 8. फलैनल बोर्ड 9. ग्लोब 10. नमूने 11. पाठ्य पुस्तकीय चित्र 12. पोस्टर
(b) प्रेक्षेणी साधन – ये वे साधन हैं जो किसी वस्तु या प्रक्रिया को पर्दे पर प्रक्षेपित चित्रों के रूप में दिखाए जाने के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं। इन साधनों में निम्नलिखित साधन शामिल है-
1. ओवरहैड प्रोजेक्टर 2. फिल्म स्ट्रिपस 3. मूकचित्र 4. एपिडियास्कोप 5. अपारदर्शी प्रोजैक्टर
(ii) श्रव्य सामग्री – इस वर्ग में वे सहायक सामग्री आती हैं जिन्हें सुना जाता है- अर्थात् जो श्रवण इन्द्रियों को प्रभावित करते हैं और ये सुनकर सीखने में सहायता करते हैं। ये साधन निम्नलिखित हैं-
1. रेडियों 2. टेपरिकॉर्डर 3. ग्रामोफोन 4. लिंग्वाफोन 5. लाउड स्पिकर
(iii) दृश्य-श्रव्य सामग्री – इस श्रेणी में वे सभी साधन, सामग्री व उपकारण – शामिल हैं जो देखने व सुनने से सम्बन्धित इन्द्रियों पर एक साथ प्रभाव डालते हैं अर्थात् इन्हें देखकर तथा सुनकर दोनों प्रकार से ज्ञान की प्राप्ति की जाती है। इन साधनों में निम्नलिखित शामिल हैं-
1. टेलीविजन 2. बोलते चलचित्र 3. कठपुतली का प्रदर्शन
2. तकनीकी आधार पर वर्गीकरण
तकनीकी आधार पर दृश्य-श्रव्य साधनों को निम्नलिखित दो वर्गों में बाँटा जा सकता है 1. हार्डवेयर उपागम 2. सोफ्टवेयर उपागम
1. हार्डवेयर उपागम – इस श्रेणी में निम्न उपकरण हैं-
(अ) रेडियो (ब) टेपरिकॉर्डर (स) टी.वी. (द) चलचित्र (य) शिक्षण मशीन (र) कम्प्यूटर
2. सोफ्टवेयर उपागम – ये निम्नलिखित हैं-
(अ) स्लाईड (ब) फिल्मस्ट्रिप (स) मुद्रित सामग्री (द) मॉडल (य) नमूने (र) अभिक्रमिक सामग्री
(B) दृश्य-श्रव्य सामग्री के उद्देश्य –
1. शिक्षण कला का विकास। 2. वांछित शिक्षक व्यवहार। 3. पुनर्बलन प्रदान करना। 4. प्रभावशाली विचार सम्प्रेषण। 5. मानसिक शक्तियों का विकास। 6. उन्नत शिक्षा विधियों एवं तकनीकी का प्रयोग। 7. शिक्षण को प्रभावशाली बनाना।
(C) विभिन्न दृश्य-श्रव्य सामग्री –
लोक संचार के साधन- लोक संचार के साधन भी शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में सहायक भूमिका निभाते हैं। इन साधनों में रेडियो, टी.वी., अखबार तथा पत्रिकाएँ बहुत ही लोकप्रिय हैं।
रेडियों- रेडियों लोक संचार के सर्वाधिक लोकप्रिय साधनों में से एक है। यह एक दृश्य सामग्री हैं। यह विद्यार्थियों के विचारों तथा आदतों को प्रभावित करता है।
टेलीविजन – टेलीविजन को देखा तथा सुना जा सकता है। इसलिए वर्तमान में – यह सर्वाधिक प्रिय दृश्य-श्रव्य सामग्री है। इसे शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को रोचक एवम् प्रभावशाली बनाने के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है। क्योंकि वह बहुत ही महँगा है, इसलिए साधारण स्कूलों में यह अभी तक उपलब्ध नहीं करवाया जा सका हैं।
अखबार – अखबारों की बहुत शैक्षिणि महत्ता है। वे हमें प्रतिदिन घटने वाली घटनाओं तथा देश-विदेश की घटनाओं के समाचार प्रदान करते हैं।
सिनेमा- सिनेमा भी प्रभावशाली लोक संचार का साधन है। इसके द्वारा विभिन्न सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक समस्याओं को विद्यार्थियों के सामने फिल्मों के माध्यम से प्रस्तुत किया जा सकता है।
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