राजनीति विज्ञान / Political Science

नागरिकता का अर्थ एवं परिभाषा तथा इसकी विशेषताएँ | Meaning and definitions of citizenship and its characteristics in Hindi

नागरिकता का अर्थ एवं परिभाषा तथा इसकी विशेषताएँ | Meaning and definitions of citizenship and its characteristics in Hindi
नागरिकता का अर्थ एवं परिभाषा तथा इसकी विशेषताएँ | Meaning and definitions of citizenship and its characteristics in Hindi

नागरिकता का अर्थ एवं परिभाषा तथा इसकी विशेषताएँ | Meaning and definitions of citizenship and its characteristics

नागरिकता का अर्थ एवं परिभाषा

नागरिकता शब्द ‘नागरिक’ और नागरिक शब्द ‘नगर’ से बना है। शाब्दिक दृष्टि से देखे तो नागरिक वह है, जो नगर में निवास करता है।

लास्की का कहना है कि “नागरिक से आशय उस व्यक्ति से है जो संगठित समाज का सदस्य मात्र ही नहीं, बल्कि वह संगठित समाज के आदेशों का वाहक एवं कर्तव्यों का स्वाभाविक पालनकर्ता भी होता है।”

स्पष्ट है कि नागरिकता का आशय उस स्थिति से है, जिसमें व्यक्ति किसी राजयनीतिक समुदाय का पूर्णतः उत्तरदायी सदस्य होता है तथा सार्वजनिक जीवन में भाग लेता है।

कैटलिन ने नागरिकता को परिभाषित करते हुए कहा है कि “नागरिकता किसी व्यक्ति की वह वैधिक स्थिति है जिसके कारण वह राजनीतिक रूप में संगठित समाज की सदस्यता प्राप्त कर राजनीतिक एवं सामाजिक लाभ प्राप्त करता है।” इस प्रकार औपचारिक रूप में राज्य और व्यक्ति के बीच के सम्बन्ध का नाम ही नागरिकता है, जिस अधिकार से व्यक्ति के द्वारा राज्य के आदेशों का पालन किया जाता है तथा राज्य व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण हेतु शिक्षा, सुरक्षा जैसी अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। दूसरे शब्दों में, नागरिकता प्राप्ति के बाद ही व्यक्ति राज्य से अधिकार की माँग करता है और राज्य व समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करता है।

डेविड हैल्ड के अनुसार, “नागरिकता उस अधिकार का नाम है, जिसकी वजह से सभी • लोगों को समान अधिकार और कर्तव्य प्राप्त होते हैं। सभी लोग समान स्वतन्त्रताओं, एक जैसे न्यायोचित बन्धनों और एक जैसे दायित्वों का उपभोग करते हैं।”

नागरिकता की विशेषताएँ

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर नागरिकता की कुछ विशेषताएँ बताई जा सकती है-

1. कोई भी व्यक्ति किसी राज्य की सदस्यता हासिल करने के बाद ही नागरिकता को प्राप्त कर सकता है। जिस आधार पर वह राज्य की तमाम व्यवस्थाओं में विधि द्वारा सुनिश्चित या अन्य पद्धतियों द्वारा मत अधिकारों का उपभोग कर सकता है।

2. नागरिकता की हैसियत से ही व्यक्ति किसी राज्य में स्थायी निवास कर सकता है। यह सही है कि किसी राज्य में उसी राज्य के नागरिक नहीं, अन्य देशों के नागरिक भी निवास करते हैं; परन्तु उनका निवास स्थायी नहीं होता। स्पष्ट है कि नागरिकता से ही व्यक्ति को स्थायी निवास की सुविधा प्राप्त होती है।

3. नागरिकता प्राप्त करने के बाद ही व्यक्ति राज्य के समक्ष सामाजिक हित के सन्दर्भ में अपने व्यक्तित्व निर्माण के अवसर की माँग कर सकता है। जब राज्य के समक्ष ऐसी माँग रखी जाती है जो राज्य को उस पर विचार करना होता है तथा अनिवार्य माँग को होता है। तुरन्त स्वीकार करना होता है

4. नागरिकता प्राप्ति से व्यक्ति को अधिकार प्राप्ति और उसके प्रयोग की सुविधा तो मिलती ही है, साथ ही साथ उनके लिए भी स्वयं के प्रति, समाज व राष्ट्र के प्रति कुछ कर्तव्यों का पालन करना अनिवार्य होता है। यहाँ स्पष्ट है कि ऐसे कर्तव्य दो तरह के हो सकते हैं।

एक को अनिवार्य कर्तव्य का नाम दिया जाता है जिनका निर्वहन नागरिकों के लिए अनिवार्य होता है। दूसरे प्रकार के कर्तव्य हैं, जिसे ऐच्छिक कर्तव्य का नाम दिया जाता है जिसका निर्वहन नागरिकों की इच्छा पर छोड़ दिया गया है, लेकिन विशेष परिस्थिति में उन्हें उनके निर्वहन के लिए भी बाध्य किया जा सकता है।

5. जब राज्य के द्वारा विधि के विरोध में या जनता के हित के प्रतिकूल कदम उठाया जाता है तो नागरिकों द्वारा ही सरकार के जन विरोधी कदम का विरोध किया जाता है। गैर-देश के नागरिक दूसरे राज्य में ऐसा नहीं कर सकते हैं। स्पष्ट है कि सरकारी कार्यों के विरोध में आवाज उठाने का अधिकार भी नागरिकता से जुड़ा हुआ है।

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Anjali Yadav

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