B.Ed Notes

पुस्तकालय के उद्देश्य | Objectives of the Library in Hindi

पुस्तकालय के उद्देश्य | Objectives of the Library in Hindi
पुस्तकालय के उद्देश्य | Objectives of the Library in Hindi

पुस्तकालय के उद्देश्य बताइयें।

पुस्तकालय के उद्देश्य

1. स्वाध्याय की आदत का विकास – पुस्तकालय अपने पाठकों में स्वाध्याय की प्रवृत्ति का विकास करता है। छात्र- पाठ्य पुस्तकों से सम्बन्धित अन्य पुस्तकों को पढ़ने तथा कहानी, चुटकुले आदि मनोरंजन का साहित्य पढ़ने हेतु पुस्तकालय में जाता । उसमें विषय के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न होती है। वह नियमित पाठक बन जाता है। उसमें स्वाध्याय की प्रवृत्ति का विकास हो जाता है।

2. विभिन्न रूचियों का विकास – पुस्तकालय में छात्र अनेक विषयों की पुस्तकें पढ़ते हैं। प्रत्येक छात्र की रूचि पृथक-पृथक होती है। छात्र रूचि अनुसार पुस्तकें पढ़ कर मानसिक विकास करते हैं। इस प्रकार छात्रों में पुस्तकालय के माध्यम से विभिन्न रूचियों का विकास होता है।

3. ज्ञान का विकास – ज्ञान के विकास हेतु अन्य विषयों की पुस्तकें पढ़ना – अनिवार्य है। पुस्तकालय में सभी प्रकार की पुस्तकें सरलता से उपलब्ध हो जाती है, जिन्हें पढ़ कर छात्र के सामान्य ज्ञान में वृद्धि होती है। अतः पुस्तकालय का उद्देश्य छात्रों के ज्ञानार्जन में सहायता देना है।.

4. मौन पाठन की प्रवृत्ति का विकास – पुस्तकालय में बहुत से छात्र/शिक्षक एक साथ बैठ कर विभिन्न विषयों की पुस्तकें पढ़ते हैं, यहाँ पर जोर-जोर से बोलकर पुस्तकें पढ़ना सम्भव नहीं। सामूहिक रूप से स्वाध्याय ज्ञान से छात्रों में मौन पाठन की प्रवृत्ति का विकास होता है।

5. पाठ्य सहगामी क्रिया कलापों में सहायक – विद्यालय में होने वाली विभिन्न पाठ्य सहगामी क्रियाओं जैसे अन्ताक्षरी, वाद-विवाद, कविता, भाषण, लेखन आदि में पुस्तकालय द्वारा विषय सम्बन्ध सहायता की जाती है। छात्र इन प्रवृत्तियों में भाग लेने हेतु पुस्तकालय में पुस्तकों का अध्ययन करते हैं।

6. अवकाश के समय का सदुपयोग – छात्र रिक्त कालांश में पुस्तकालय में जाते हैं। वहाँ अपनी रूचि का विभिन्न पुस्तकों का अध्ययन करते हैं। पुस्तकालय के अभाव में वे इधर-उधर व्यर्थ घूमते हैं, पुस्तकालय के माध्यम से छात्र समय का सदुपयोग करना सीखते हैं।

7. अध्यापक गण के बौद्धिक विकास हेतु – पुस्तकालय शिक्षक और छात्र दोनों के लिए समान रूप से लाभदायक होता है। छात्रों को विषय सम्बन्धी ज्ञान विस्तृत रूप से देने हेतु सहायक संदर्भ पुस्तकों की आवश्यकता पड़ती है। शिक्षक इन संदर्भ पुस्तकों को पुस्तकालय से प्राप्त करते हैं। सन्दर्भ पुस्तकों के पठन से शिक्षकों का बौद्धिक विकास होता है और ज्ञान में वृद्धि होती है।

8. निर्धन छात्रों के विकास में सहायक – निर्धन छात्र पुस्तकालय से पुस्तकें प्राप्त करते हैं। पुस्तकालय की सहायता से वे अनेक पुस्तकों का लाभ निःशुल्क रूप से उठा सकते हैं।

9. छात्रों के शब्द भण्डार में वृद्धि – विभिन्न पुस्तकों को पढ़ने से छात्रों के शब्द भण्डार में वृद्धि होती है। नये शब्दों के प्रयोग के औचित्य की कुशलता का अभ्यास करने तथा सामान्य ज्ञान की वृद्धि में पुस्तकालय बहुत महत्त्वपूर्ण है।

10. छात्रों में तर्क चिन्तन व निर्णय क्षमता का विकास – विभिन्न पुस्तकों को पढ़ने से छात्रों में तर्क, चिन्तन व निर्णय करने की क्षमता का विकास होता है।

11. सार्वजनिक पुस्तकालय के लिए तैयार करना – विद्यालय पुस्तकालय में बैठ कर छात्र पुस्तकालय के नियम, उसमें बैठने के तरीके आदि से परिचित हो जाते हैं। इससे वे भविष्य में सार्वजनिक पुस्तकालय का उपयोग कर सकते हैं।

12. छात्रों में शैक्षिक रूचियों और अभिरूचियों का विकास – पुस्तकालय छात्रों में शैक्षिक रूचियों और अभिरूचियों का विकास करता है क्योंकि पुस्तकालय उन्हें अपनी जिज्ञासाओं की पूर्ति हेतु वांछित सामग्री उपलब्ध कराता है।

13. स्वअध्ययन व अनुसंधान की प्रवृति का विकास – पुस्तकालय के माध्यम से छात्रों में स्वअध्ययन और स्वअनुसंधान की प्रवृत्ति का विकास होता है।

14. सौन्दर्यबोध मूलक अनुभूति व कला-बोध का विकास – पुस्तकालय के माध्यम से छात्रों में सौन्दर्य बोध मूलक अनुभूति व कला-बोध का विकास होता है।

15. नागरिक दायित्वों व सहयोगी दृष्टिकोण का विकास – पुस्तकालय के माध्यम से विद्यार्थियों में उपयोगी दायित्वों अर्थात् उपयोगी नागरिक बनने हेतु सौहाद्रपूर्ण वहन करने की क्षमता का विकास होता है।

16. शिक्षण के सम्पूरक के रूप – में कक्षा शिक्षण शिक्षण के सम्पूरक के रूप में भी कार्य करता है। शिक्षण प्रक्रिया के अन्तिम अंग के रूप में पुस्तकालय का बहुत महत्त्व है।

17. सन्दर्भ पुस्तकों की व्यवस्था – पुस्तकालय छात्रों के लिए सन्दर्भ पुस्तकों की व्यवस्था करता है। छात्र अपनी पाठ्यपुस्तक के अतिरिक्त अन्य पुस्तकों का अध्ययन करता हैं।

18. विद्यार्थियों में अध्ययन सम्बन्धी स्वस्थ आदतों का निर्माण – पुस्तकालय के माध्यम से छात्रों में अध्ययन सम्बन्धी स्वस्थ आदतों का निर्माण होता है तथा उसी के अनुरूप बौद्धिक श्रम हेतु क्षेत्र, साधन और वातावरण उपलब्ध कराता है।

19. छात्रों को पाठ्यक्रम तथा सन्दर्भ पुस्तकों के चयन – में पुस्तकालय के माध्यम से सहायता मिलती है।

20. पुस्तकालय विद्यार्थियों को विषय ज्ञान – की नवीनतम सूचनाओं के योग से तथा आधुनिकतम शिक्षण प्रणालियों से उपयोगी बनाता है।

21. विद्यार्थियों को व्यवसायोपयोगी सामान्य ज्ञान – की पूर्ति हेतु अवसर उपलब्ध कराना पुस्तकालय का एक प्रमुख उद्देश्य व कार्य है।

22. पुस्तकालय विद्यार्थियों में स्वास्थ्य साहित्य के प्रति रूचि का विकास करता है।

23. विद्यालय के विषय-विभाजन की बाध्यता को दूर करना भी पुस्तकालय का एक उद्देश्य है। पुस्तकालय में बैठ कर छात्र अपनी रूचि के अनुसार कोई भी विषय पढ़ सकते हैं।

24. विद्यार्थियों में सच्चे अर्थों में विद्या रूपी अर्थ के संचय की तृष्णा को उचित प्रोत्साहन देकर साहसिक एवं कष्टसाध्य कार्यों में लगनशीलता उत्पन्न करना पुस्तकालय का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है।

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि पुस्तकालय विद्यालय की आत्मा है। पुस्तकालय वह ज्ञान का स्त्रोत है जो निरन्तर प्रवाहित होता रहता है।

IMPORTANT LINK

Disclaimer

Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com

About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment