बहुसांस्कृतिक शिक्षा से आप क्या समझते हैं ? बहुसांस्कृतिक शिक्षा की प्रमुख विशेषताओं एवं महत्त्व का वर्णन कीजिए। अथवा निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए: बहुसांस्कृतिक शिक्षा
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बहुसांस्कृतिक शिक्षा का अर्थ (Meaning of Multicultural Education)
बहुसांस्कृतिक शिक्षा तेजी से बदलते जनांकिकीय परिवेश के लिए शिक्षा में हो रहे विकास के लिए रणनीतियों एवं शैक्षिक सामग्रियों का एक समुच्चय है। यह विद्यार्थियों को ऐतिहासिक तथ्यों, संस्कृतियों एवं विविधता के विषय में ज्ञान का योगदान प्रदान करती है। यह नीति शास्त्र के अध् ययन एवं अनेक क्षेत्रों में यथा महिलाओं के अध्ययनों हेतु अन्तर्दृष्टि की दिशा प्रदान करती है।
बहुसांस्कृतिक शिक्षा समावेशन के सिद्धान्तों को प्रोन्नत करने, विविधता का ज्ञान कराने, अपनी क्षमता, आलोचनात्मक विचारों एवं आत्म प्रदर्शन की भावना को विकसित करने तथा शिक्षण के तकनीकी ज्ञान एवं मार्ग को विस्तृत करने का एक सफल माध्यम है। यह छात्रों को कक्षा-कक्ष में अथवा शिक्षण कक्ष में अपनी संस्कृतियों के विशिष्ट पहलुओं को बालकों की बौद्धिक क्षमता के अनुरूप व्यक्त करने के लिए अवसर प्रदान करती है। इसमें छात्रों के सामाजिक एवं संवेगात्मक विकास करने में व्यापकों द्वारा सहयोग प्राप्त होता है। बहुसांस्कृतिक शिक्षा छात्रों के शैक्षिक उपलब्धियों को प्रभ वशाली बनाने एवं उन्हें उन्नत करने का मार्ग प्रशस्त करती है। यह स्कूलों के रूपान्तरण एवं सुधार आन्दोलनों में अपना योगदान भी देती हैं। यह रूपान्तरण विद्यालयों में नीतियों के परिवर्तन, शिक्षकों की अभिवृत्तियों में परिवर्तन, अनुदेशनात्मक सामग्रियों, में परिवर्तन, निर्देशन एवं परामर्श तथा शिक्षण की शैलियों में परिवर्तन के सन्दर्भ में होता है। ‘बहुसांस्कृतिक शिक्षा प्रभावशाली सामाजिक क्रियाओं में योगदान भी सम्बन्धित है।
21वीं शताब्दी में बहुसांस्कृतिक शिक्षा तेजी से गतिमान हुई है। वर्तमान समय में अन्तसांस्कृतिक प्रतिरूप जिसमें समावेशन के प्रतिरूप को समूह विभिन्नताओं के साथ मूल्य प्रदान किया गया है, इस तरफ पूरा प्रकाश डाला गया है। फिर भी हमें इस प्रतिरूप के आंशिक एवं प्रारम्भिक प्रतिरूपों को नहीं भूलना चाहिए। बहुसांस्कृतिक शिक्षा के आशय को समझने के बाद इसके उद्देश्यों को समझना अति आवश्यक है।
बहुसांस्कृतिक शिक्षा के उद्देश्य (Objectives of Multicultural Education)
बहुसांस्कृतिक शिक्षा का उद्देश्य शैक्षिक दार्शनिकों एवं राजनीतिक सिद्धान्तकारों, विचारों के बीच तुलना करना है। शैक्षिक दार्शनिकों का महत्त्वपूर्ण कार्य अल्पसंख्यक समूहों की संस्कृति को बालकों के विकास एवं उन्हें नये विचारों का परिचय प्रदान करना है। दूसरी ओर राजनीतिक सिद्धान्तकार एक ऐसी बहुसांस्कृतिक प्रतिरूप (मॉडल) को व्यक्त करते हैं जो सामाजिक क्रिया-कलापों के उन्नयन से सम्बन्धित है।
बहुसांस्कृतिक शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
- अध्यापकों द्वारा प्रजातांत्रिक मूल्यों को विकसित करने में एक अभिकर्ता की भूमिका प्रदान करना ।
- विद्यार्थियों को ज्ञान के संवर्द्धन, मूल्यों एवं योग्यताओं अथवा क्षमताओं को विकसित करने एवं उनके सशक्तीकरण हेतु योगदान देना।
- नागरिकता के गुणों एवं अच्छाइयों को प्रोन्नत करना।
- ऐतिहासिक अभिलेख को अधिकार में रखना।
- स्व-शक्तिहीन छात्रों के स्व-शक्ति को विकसित करना।
- अपने मार्ग से विचलित छात्रों को दिशा प्रदान करना उन्हें प्रोन्नति के मार्ग पर लाना एवं विभिन्न संस्कृतियों की शिक्षा प्रदान करने में सहयोग प्रदान करना।
- अल्पसंख्यक समूहों की संस्कृति को संरक्षित रखना।
- सामाजिक न्याय एवं समानता की भावना विकसित करना ।
- छात्रों में समावेशन का कैम्पस एवं वातावरण क्रियान्वित करना एवं चुनौतियों को प्रदान करना।
- जीवन के ढंग एवं वैश्विक विशिष्टताओं की ओर ध्यान आकृष्ट करना जिससे बालकों का सर्वांगीण विकास हो सके।
बहुसांस्कृतिक शिक्षा की विशेषताएँ (Characteristics of Multicultural Education)
बहुसांस्कृतिक शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
बहुसांस्कृतिक शिक्षा स्कूलों, कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों के सांस्कृतिक परिवेश के सुधार हेतु अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देती है जिससे छात्र, प्रजातीय, नृजातीय एवं सामाजिक वर्ग समूह की भिन्नताओं से दूर हटकर शैक्षिक समानता’ के सूत्र में बँध सकें।
- बहुसांस्कृतिक शिक्षा छात्र एवं छात्राओं दोनों को शैक्षिक सफलता एवं गतिशीलता प्रदान करने का समान अवसर प्रदान करती है।
- बहुसांस्कृतिक शिक्षा ज्ञान उत्पादित करने की प्रक्रिया से भरपूर है। यह छात्रों एवं छात्राओं दोनों को समरसता के सूत्र में बाँधते हुए ज्ञानार्जन हेतु प्रेरित करती है।
- यह अध्ययन विषयों के विषय ज्ञान में एकरूपता अथवा समता का भाव उत्पन्न करती है।
- बहुसांस्कृतिक शिक्षा विद्यालय की संस्कृति एवं सामाजिक संरचना में सशक्तीकरण का रूप प्रदान करती है जिससे सभी विषयों के क्षेत्रों में यथा गणित विज्ञान को भी साथ में लेते हुए शैक्षिक समरूपता स्थापित किया जा सके।
बहुसांस्कृतिक शिक्षा की उपयोगिता एवं महत्त्व (Utility and Importance of Multicultural Education)
बहुसांस्कृतिक शिक्षा के महत्त्व को हम निम्नलिखित संदर्भों में देख सकते हैं-
(1) बहुसांस्कृतिक शिक्षा नागरिकता के गुणों को विकसित करने एवं संस्कृतियों को एकीकृत करके नैतिकता को प्रोन्नत करने में अत्यन्त उपयोगी है।
(2) अल्पसंख्यक वर्गों की संस्कृति को संरक्षित करके उनमें समावेशन की भावना जागृत करने के लिए बहुसांस्कृतिक शिक्षा अपना महत्त्वपूर्ण योगदान प्रदान करती है जिससे उनमें समता के भाव उत्पन्न हो सकें।
(3) बहुसांस्कृतिक शिक्षा वैश्विक विशिष्टताओं की ओर ध्यान आकृष्ट कराकर छात्रों एवं छात्राओं दोनों को अपने शैक्षिक वातावरण में गतिशीलता प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण है।
(4) बहुसांस्कृतिक शिक्षा प्रजातीय भिन्नताओं को दूर कर विविधता में एकता के भाव उत्पन्न करने में उपयोगी है।
(5) ज्ञान की संरचना के लिए बहुसांस्कृतिक शिक्षा अत्यन्त उपयोगी है। यह शिक्षकों को छात्रों की समझ विकसित करने, उनकी जाँच करने एवं विभिन्न संस्कृतियों को एकीकृत कर अनुशासन एवं विषयों में समावेशित करने में योगदान प्रदान करती है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि बहुसांस्कृतिक शिक्षा विद्यार्थियों को स्व-जागरूकता की भावना विकसित करके संस्कृति का विकास कर सुधार लाने का कार्य करती है। बहु सांस्कृतिक शिक्षा विद्यार्थियों में धनात्मक सोच का विकास कर शैक्षिक, सांवेगिक एवं व्यक्तिगत विकास हेतु मार्ग प्रशस्त करती है। इस प्रकार यह छात्रों एवं अध्यापक बन्धुओं हेतु अत्यन्त उपयोगी है।
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