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मजदूरी, ब्याज तथा लाभ में लगान तत्व (Rent Elements in Wages, Interest and Profit)
आधुनिक अर्थशास्त्रियों के हाथ में लगान सिद्धान्त एक सामान्य सिद्धान्त (General Theory) बन जाता है। दूसरे शब्दों में, लगान केवल भूमि को ही प्राप्त नहीं होता बल्कि उत्पत्ति के अन्य साधन भी लगान अर्जित कर सकते हैं। एक साधन को वर्तमान प्रयोग में बनाये रखने के लिए एक न्यूनतम भुगतान देना होगा जिसे आधुनिक अर्थशास्त्री साधन का ‘न्यूनतम पूर्ति मूल्य’ या उसकी ‘अवसर लागत’ कहते हैं। इस ‘न्यूनतम पूर्ति मूल्य’ या ‘अवसर लागत’ के ऊपर आधिक्य लगान होता है और इस दृष्टि से प्रत्येक साधन की आय में लगान तत्व को ज्ञात है किया जा सकता है।
मजदूरी में लगान तत्व
किसी देश (जैसे अमेरिका) में श्रमिकों की अपेक्षाकृत कमी, मजदूरों को उस दर से पर्याप्त ऊँची दर देती है जिस पर कि श्रमिक अब भी कार्य करने को तत्पर होंगे; दूसरे शब्दों में, श्रमिकों को उनके ‘न्यूनतम पूर्ति मूल्य’ अर्थात् अवसर लागत से अधिक प्राप्त होता है और उनकी मजदूरी में यह आधिक्य ही लगान है। इसका कारण है कि श्रमिक की पूर्ति बेलोचदार है अथवा श्रमिकों की पूर्ति पूर्णतया लोचदार नहीं है।
प्रबन्ध सम्बन्धी श्रम या उच्च कोटि के कुशल श्रमिकों के वेतन या मजदूरी में भी लगान तत्व होता है। एक कुशल मैनेजर को वर्तमान व्यवसाय में 5,000 रु० प्रति माह मिलते हैं जबकि किसी दूसरे व्यवसाय में उसको *4,000 रु० प्राप्त हो सकते हैं, इस वर्तमान व्यवसाय से उसे अपनी अवसर लागत के ऊपर 1,000 रु० अधिक प्राप्त होते हैं और यह आधिक्य उसके वर्तमान वेतन 5,000 रु० में लगान तत्व है। इसी प्रकार, एक कुशल हॉकी के खिलाड़ी को हॉकी खेलने से 3,000 रु० प्रति माह प्राप्त होते हैं जबकि किसी दूसरे कार्य में उसको केवल 1,000 रु० मिल सकते हैं, अतः 2,000 रु० का आधिक्य उस खिलाड़ी की मजदूरी में लगान तत्व है। अतः सेम्युलसन के शब्दों में, “अत्यधिक कुशल व्यक्तियों को ऊँची आयों में से अधिकांश को शुद्ध आर्थिक लगान कहा जा सकता है।’
ब्याज में लगान तत्व
बचतकर्ता जो कि अपनी बचतों को प्रत्यक्ष रूप से या बैंकिंग प्रणाली द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से दूसरों को उधार देते हैं वे एक ब्याज की दर प्राप्त करते हैं जो कि अधिकांश रूप से बचतों की कमी की सूचक होती है। ब्याज का वह आधिक्य, जो कि उस ब्याज दर से अधिक है जिस पर एक बचतकर्ता अपनी बचत को उधार देने के लिए ठीक तत्पर होता है, वास्तव में आर्थिक लगान है। यह इस कारण उत्पन्न होता है क्योंकि बचतों की पूर्ति व्याज दर के उत्तर में अपेक्षाकृत बेलोचदार होती है।
सरल शब्दों में, एक न्यूनतम ब्याज दर (माना 8%) पर एक बचतकर्ता अपनी बचत को उधार देने को तत्पर है, परन्तु बाजार में उसे इस न्यूनतम ब्याज दर से अधिक ब्याज दर (माना 10%) प्राप्त होती है तो ब्याज दर का आधिक्य (अर्थात् 2%) लगान तत्व होगा।
लाभ में लगान तत्व
कुछ साहसियों की संगठन तथा सौदा करने की योग्यता अन्य साहसियों से बहुत अधिक होती है और परिणामस्वरूप ये अधिक योग्य, साहसी, अन्य साहसियों की तुलना में ‘अधिक अतिरिक्त लाभ प्राप्त करते हैं। जोकि लगान कहा जा सकता है। कभी-कभी इसे ‘योग्यता का लगान’ भी कहा जाता है।
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