बाल कल्याण एंव स्वास्थय / Child Care & Health

मलेरिया रोग के कारण, लक्षण तथा रोग से बचने के उपाय

मलेरिया रोग के कारण, लक्षण तथा रोग से बचने के उपाय
मलेरिया रोग के कारण, लक्षण तथा रोग से बचने के उपाय

मलेरिया रोग के कारण, लक्षण तथा रोग से बचने के उपायों का वर्णन कीजिए। प्लाजमोडियम परजीवी के जीवन-चक्र का सचित्र वर्णन कीजिए।

मलेरिया (Malaria)

मलेरिया, एक विशेष प्रकार के प्रोटोजोआ (Protozoa) से फैलने वाला रोग है। यह प्रोटोजोआ जो कि पराश्रयी जीव होता है, प्लासमोडियम (Plasmodium) जाति के अन्तर्गत आता है। इसका प्रसार ऐनाफिलस जाति की मादा मच्छर से होता है। भारत में इस रोग के नियन्त्रण व उन्मूलन के लिए पिछले 20 वर्षों से पर्याप्त प्रयास किया जा रहा है। उपर्युक्त उन्मूलन कार्यक्रम अप्रैल, 1953 से चल रहा है, जिससे इस रोग का प्रकोप काफी कम हो गया। 1947 में 7.5 करोड़ व्यक्ति इस रोग से प्रभावित हुए थे तथा 8 लाख लोगों की मृत्यु भी हुई थी। इसका अर्थ यह हुआ कि प्रति हजार व्यक्तियों में से 215 जन रोग से पीड़ित हुए थे। 1963-64 में यह संख्या घट कर 0.27 प्रति हजार व्यक्तियों के अनुसार रह गई। पर दुःख का विषय था कि 1965 में पुनः इसकी संख्या बढ़ने लगी, क्योंकि उन्मूलन कार्यक्रम के क्रियान्वयन में कुछ कमी आ गई थी। मच्छरों में D.D.T. तथा B.H.C. आदि दवाइयों के प्रति प्रतिरोध बढ़ रहा है। ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों के मध्य अधिक आवागमन से, धनाभाव के कारण अब मलेरिया का प्रसार अधिक हो रहा है।

मलेरिया रोग के कारण

यह रोग मलेरिया के चार प्रकार के परजीवियों द्वारा होता है, जिनके नाम निम्नानुसार हैं

  1. प्लाजमोडियम फैल्सिपैरम (Plasmodium Falciparum),
  2. प्लाजमोडियम मलेरिए (Plasmodium Malariac),
  3. प्लाजमोडियम वाइवैक्स (Plasmodium Vivax),
  4. प्लाजमोडियम ओवेल (Plasmodium Ovale) |

विश्व भर में प्लाजमोडियम वाइवैक्स का प्रचलन अधिक है, जो कि हर दूसरे दिन ज्वर उत्पन्न करता है, जबकि प्लाजमोडियम फैल्सिपैरम प्रतिदिन ज्वर उत्पन्न करता है। प्लाजमोडियम मलेरिए हर तीसरे दिन बुखार पैदा करता है।

रोग का प्रसार – मनुष्यों को मादा मच्छर के काटने पर रोग उत्पन्न होता है। मच्छरों की वृद्धि में सहायक कुछ पर्यावरण के कारकों से भी प्रसार तीव्र गति से होता है।

उद्भवन काल –10 दिन।

मलेरिया रोग के लक्षण 

शरीर में दर्द, सिर में पीड़ा होती है, हाथ-पाँव टूटने से लगते हैं, सर्दी या कम्पन के साथ बुखार आता है, कम्पन इतना तीव्र होता है कि अधिक संख्या में कम्बल ओढ़नी पड़ती है। यह कम्पन 1/2 घण्टे से 2 घण्टे तक रहता है। बुखार 105 से 106°F तक पहुँच जाता है। 6 घण्टे बाद पसीना आने लगता है, जो कि इतनी अधिक मात्रा में होता है। कि रोगी के वस्त्र, चादर आदि भीग जाते हैं। इसके बाद तापमान घटने लगता है, पर रोगी का जी मिचलाने लगता है, उल्टी आती है, भोजन के प्रति अरुचि उत्पन्न होती है। बुखार प्रतिदिन या प्रति दूसरे, तीसरे दिन आता है, जो कि परजीवी की प्रकृति पर निर्भर है। अधिक समय तक मलेरिया से भुगतने पर यकृत की कार्यक्षमता पर दुष्परिणाम पड़ता है। रक्त कणिकाओं के क्षय होने से रक्ताल्पता हो जाती है। रोगी शक्तिहीनता का अनुभव भी करता है। कई वर्षों तक रोग के चलते रहने से रोगी की मृत्यु भी हो जाती है।

मलेरिया रोग से बचने के उपाय

1. घर में डी० डी० टी० का छिड़काव किया जाना चाहिए। घर के आस-पास पानी इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए।

2. जालीदार दरवाजे व खिड़कियों के प्रयोग से मच्छरों के प्रहार से बच सकते हैं। मच्छरदानी का प्रयोग करें। मच्छरों को दूर भगाने के लिए क्रीम या अगरबत्ती का प्रयोग भी कर सकते हैं।

3. प्रतिरक्षण-मलेरिया के लिए कोई टीका नहीं है, परन्तु कुछ दवाइयों का प्रयोग अवश्य कर सकते हैं। एक वयस्क व्यक्ति को प्रथम दिन 0.6 ग्राम का क्लोरोक्वीन तथा 15 मि० ग्राम का प्राइमाक्वीन दे सकते हैं तथा दूसरे दिन से पाँचवें दिन तक केवल प्राइमाक्वीन देनी चाहिए। कुछ लोग क्लोरोक्वीन स्थान पर केमोक्वीन भी देते हैं।

4. समय-समय पर रक्त की जाँच करवाते रहना चाहिए। सरकार द्वारा मलेरिया-उन्मूलन कार्यक्रम जो चलाए जा उनमें सक्रिय सहयोग देकर रोग के चंगुल से बच सकते हैं। रहे

5. बचाव के लिए प्रति सप्ताह 300 से 600 मि० मा० क्लोरोक्वीन, 25 मि० प्रा० डारात्रिम अथवा 100 मि० प्रा० के पालुद्दीन खाना चाहिए। तरण-तड़ाग, हौज आदि के जल को प्रति सप्ताह बदलते रहना चाहिए। यदि वर्षा के दिनों में जल जमा हो जाता है तो उस पर मलेरियोइल या क्रूड ऑयल, मिट्टी का तेल, क्रेसोल आदि का पर्त चढ़ाना चाहिए जिससे लार्वा, मच्छरों के अण्डे आदि पनप नहीं पाएँ। बी० एच० सी० का छिड़काव भी कराना चाहिए जिसका प्रभाव 12 सप्ताह तक बना रहता है। मच्छर BHC पर बैठते ही मर जाते हैं।

राष्ट्रीय मलेरिया- उन्मूलन कार्यक्रम द्वारा दिए गए डोजेज की मात्रा इस प्रकार है-

1 से 4 साल तक की आयु वालों के लिए 1 गोली क्लोरोक्वीन तथा एक गोली प्राइमाक्वीन, 4 से 8 साल तक उपर्युक्त दवाइयों की दो-दो गोली तथा 8 से 14 साल तक क्लोरोक्वीन की 3 गोली तथा प्राइमाक्वीन की 4 गोली देनी चाहिए। वयस्कों के लिए उपर्युक्त दोनों गोलियों को 4 और 6 के अनुपात से देना चाहिए।

प्लाजमोडियम परजीवी का जीवन चक्र

मलेरिया परजीवी अपने विकास के लिए दो प्रकार के जीवन चक्र से गुजरता है जैसे मानव के शरीर में अलैगिक ऐनाफिलस मच्छर का जीवन चक्र प्रजनन से तथा ऐनाफिलस मादा मच्छर के शरीर में लैंगिक प्रजनन से विकसित होता है। वास्तव में, मच्छर ही इस पराश्रयी जीव का सही पोषद होता है तथा मानव केवल एक माध्यमिक पोषद होता है।

प्रथम अलैंगिक प्रजनन-चक्र का विवरण निम्नानुसार है- जब रोगाणु युक्त ऐनाफिलस मादा मच्छर स्वस्थ व्यक्ति को काटती है, तब वह अपनी लार ग्रंथियों में विद्यमान परजीवी के स्पोरोजाइट को त्वचा द्वारा मानव के अन्दर प्रवेश दिलाती है।

मानव में इस जीव के विकास के चार चरण हैं-

(i) पूर्व लाल कणिका स्थिति– मानव शरीर में प्रवेश पाने के आधे घण्टे बाद वह शरीर में परिभ्रमित रक्त के द्वारा यकृत तक पहुँच जाता है तथा आठ दिनों तक यकृत की कोशिकाओं में अपना विकास करता है। सर्वप्रथम ये जीव क्रिप्टो-ट्रोफोजाइट होकर, कुछ समय बाद क्रिप्टो-शाइजाँट में बदल जाता है। अन्त में, ये क्रिप्टो-मीरोजाइट में परिवर्तित होकर, यकृत के कोषों से निकलकर परिभ्रमित रक्त में प्रविष्ट हो जाते हैं।

(i) लाल-कणिका प्रावस्था -अब ये जीव लाल-कणिका पर आक्रमण करते हैं। इनमें भी पुनः गुणन क्रिया होती है तथा क्रिप्टो-मीरोजाइट प्राप्त होते हैं, जो रक्त कणिका के आवरण को फाड़कर बाहर निकल आते हैं तथा ताजे रक्त कणों पर प्रहार करते हैं। प्रत्येक मीरोजाइट अँगूठी के आकार का होता है। जब रक्त कणिकाओं तथा रक्त में पर्याप्त संख्या में मीरोजाइट की वृद्धि हो जाती है, तब रोगी के ज्वर तथा कम्पन आदि लक्षण अभिव्यक्त होते हैं।

(iii) गैमीटोगोनी का निर्माण- कुछ मीरोजाइट रक्त में प्रवेश करके विकसित होने के स्थान पर निष्क्रिय गैमीटोगोनी में परिवर्तित हो जाते हैं। अब इनका आगे का विकास तथा लैंगिक प्रजनन मच्छर के शरीर में होते हैं। मानव शरीर में गैमीटोगोनी के बनने के बाद वे रक्त कणिकाओं में स्थित होकर मच्छर के काटने की प्रतीक्षा करते रहते हैं।

(iv) बाह्य-कणिका प्रावस्था – प्लाजमोडियम वाइवैक्स में इस अवस्था की अवधि 14 दिन होती है, जो कि इनका उद्भवन काल भी है। मानव में विद्यमान गैमीटोसाइट (गैमीटोगोनी कुछ समय बाद निष्क्रिय गैमीटोसाइट में बदल जाते हैं) मच्छर के काटने पर, रक्त के माध्यम से उसके पेट में पहुँच जाते हैं। गैमीटोसाइट में मादा व नर, दोनों लिंग के जीव होते हैं, जिनका लैंगिक चक्र मच्छर के पेट में होता है। उर्वरण के बाद मादा गैसीटोसाइट में जाइगोट बनती है, जिसे उन्काइनेट भी कहते हैं। वे मच्छर के पेट को छेदकर बाह्य ऊपरी झिल्ली के नीचे स्थित हो जाते हैं। अब वे अपने को एक आवरण से ढक लेते हैं, जिसे ऊसिस्ट कहते हैं। ऊसिस्ट के अन्दर कई स्पोरोजाइट बनते हैं, जो परिपक्व होने पर ऊसिस्ट के आवरण को फाड़कर बाहर निकल आते हैं तथा मच्छर की लार ग्रंथियों में पहुँच जाते हैं, जहाँ पर वे मानव में प्रवेश करने के लिए प्रतीक्षा करते रहते हैं। मच्छर के काटने पर वे पुनः मानव में अलैंगिक चक्र द्वारा वृद्धि करते हैं। लैंगिक चक्र के लिए 10 से 12 दिनों की आवश्यकता होती है।

मलेरिया ज्वर किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों में यह अधिक पाया गया है। जो लोग कुसंवातित अँधेरे या कम रोशनी वाले, नमीयुक्त मकानों में रहते हैं, निम्न आर्थिक स्थिति से प्रस्त रहते हैं, उनमें यह रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है। वर्षा के दिनों में मच्छरों का प्रभाव बढ़ जाता है, व्यक्तिगत आदतें, रोग क्षमता का अभाव, मच्छरों की वृद्धि के लिए अनुकूल वातावरण में रहना जैसे 68°F से 86°F तापमान जो कि मच्छरों के विकास के लिए अनुकूल रहता है, या नमी की अधिकता हो, तो मच्छर सक्रिय हो जाते हैं।

IMPORTANT LINK

Disclaimer

Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com

About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment