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राजा निरबंसिया कहानी की समीक्षा

राजा निरबंसिया कहानी की समीक्षा
राजा निरबंसिया कहानी की समीक्षा
कहानी कला के तत्वों के आधार पर ‘राजा निरबंसिया’ कहानी की समीक्षा कीजिए।

कहानी कला के तत्वों के आधार पर ‘राजा निरबंसिया’ कहानी की समीक्षा इस प्रकार हैं-

( 1 ) कथावस्तु अथवा कथानक:- ‘राजा निरबंसिया’ कहानी स्त्री की मजदूरी, गरीबी और यौन शोषण की कहानी है। ‘राजा निरबंसिया’ में दो कथाये साथ-साथ चलती हैं। एक प्राचीन राजा निरवंसिया की कहानी और दूसरी आधुनिक जगपति और उसकी पत्नी चन्दा की कहानी। राजा निरबंसिया को शिकार का शौक था। एक बार राजा शिकार को निकला और घर नहीं लौटा। रानी अपने मंत्री के साथ राजा को ढूढ़ने निकली। राजा का तो पता चल गया। लेकिन रानी का मंत्री के साथ अनैतिक सम्बन्ध स्थापित हो गया। राजा के कोई पुत्र नहीं था। मंत्री से रानी को दो पुत्र हुए। राजा चुपचाप महल से निकल गया।

जगपती नपुंसक था। उसकी पत्नी चन्दा के कोई बच्चा नहीं हुआ। डकैतों का सामना करता हुआ जगपति घायल हो गया। उसके लिए महँगी दवाओं की आवश्यकता थी। चन्दा ने वचनसिंह कम्पाउण्डर से यौन सम्बन्ध स्थापित करके दवाओं का प्रबन्ध किया, पर जगपति से कह दिया कि मैंने अपने सोने के कड़े बेच दिये है। जगपती ने बचनसिंह से रुपये उधार लेकर लकड़ी की टाल आरम्भ की। बचन सिंह उसके घर आने लगा। चन्दा गर्भवती हो गयी। जगपती को जब इसका पता चला तो उसने चन्दा की पिटाई की। चन्दा ने अपने मायके में जाकर एक पुत्र को जन्म दिया। जगपती को पता चला कि चन्दा किसी दूसरे के घर बैठने वाली है तो उसने जहर पी लिया और आत्म हत्या कर ली।

( 3 ) पात्र और उनका चरित्र चित्रण- प्राचीन कहानी राजा निरबंसिया के कथानक में राजा, रानी, सफाई वाली और राजा के दोनों पुत्र पात्र हैं। जगपती की कहानी के पात्र जगपती, जगपती की पत्नि चन्दा, अस्पताल का कम्पाउण्डर बचनसिंह, बचनसिंह की चाची, मुंशी जी, पेड़ काटने वाला शकूरा, आदि अनके पात्र हैं। कमलेश्वर ने सभी पात्रों के चरित्र पर भली-भांति प्रकाश डाला है।

(3) संवाद अथवा कथोपकथन- वैसे तो संवाद नाटक का अनिवार्य तत्व है, पर उपन्यास और कहानी में भी इसका प्रयोग किया जाता है। इस कहानी के संवाद पात्रों के अनुकूल, छोटे तथा प्रभावशाली है। वे पात्रों के चरित्र पर प्रभाव डालते हैं और कथा को आगे बढ़ाते हैं। उदाहरण के रूप में संवाद का एक स्थल प्रस्तुत है।

“क्या कुछ कह रहे थे? जगपती अनमने ढंग से बोला।”

“कुछ ताकत की दवाईयाँ तुम्हारे लिए जरूरी है।”
“मैं जानता हूँ।”
“पर”
‘‘देखों चन्दा चादर के बराबर ही पैर फैलाये जा सकते हैं। हमारी औकात इन दवाईयों की नहीं है। “

( 4 ) भाषा-शैली- इस कहानी के राजा निरबंसिया वाले भाग की भाषा में कुछ संस्कृत तत्सम शब्द हैं, पर जगपति वाले भाग की भाषा सरल, सुबोध खड़ी बोली है। एक उदाहरण प्रस्तुत है-

“और एक दिन उसकी काम-धाम की समस्या भी हल हो गयी। तालाब वाले अ मैदान के दक्षिण में जगपती की लकड़ी की टाल खुल गई। नाम पट टॅग गया। टाल की जमीन पर लक्ष्मी पूजन भी हो गया और हवन भी हुआ। लकड़ी की कोई कमी नहीं थी। गाँवों से आने वाली गाड़ियों का इस कारोबार के जानकार आदमियों की मदद में मोल-तोल करवा के वहीं गिरवा दिया गया।”

इस कहानी की शैली प्रायः वर्णनात्मक है।

( 5 ) देश, काल और वातावरण- राजा निरबंसिया वाले कथानक का देश काल निश्चित नहीं है। उसके काल अर्थात् समय का इतना ही पता चल पाता है कि यह प्राचीन काल की है। इस कथानक के वातावरण का भी चित्रण नहीं हुआ है।

जगपती से सम्बन्धित कथा का समय आधुनिक काल है। मिडिल स्कूल और मैट्रिक शब्द यह संकेत करते हैं कि यह कहानी स्वतन्त्र भारत से पहले की है। इस कथानक के देश अर्थात् स्थान अनेक हैं—जगपती का गाँव, जगपती के दूर के रिश्तेदार के भाई का गाँव, अस्पताल आदि स्थानों का इसमें उल्लेख है। कहानी के इस अंश में वातावरण का भी निर्वाह हुआ है। जैसे “कस्बे का अस्पताल था। छोटी-सी इमारत में अस्पताल आबाद था। रोगियों के लिए सिर्फ छः सात खाटें थीं। मरीजों के कमरे से लगा दवा बनाने का कमरा था। उसी में एक ओर आराम कुर्सी थी और एक नीची सी मेज। उसी कुर्सी पर बड़ा डॉक्टर आकर कभी-कभार बैठता, नहीं तो बचनसिंह कम्पाउण्डर ही जमे रहते।

( 6 ) उद्देश्य – इस कहानी का उद्देश्य है नारी की विवशता का चित्रण। पति कैसा भी हो, पत्नी उसकी कल्याण कामना करती है। गहना भी नारी को पति से कम प्रिय नहीं होता। इन दोनों की रक्षा के लिए वह अपने सतीत्व तक को बेच देती है। जगपती की पत्नी चन्दा ने यही किया। उसने अपने पति के जल्दी स्वस्थ होने और उसके काम-काज के लिए रुपया प्राप्त करने के लिए बचन सिंह के हाथों अपना शरीर बेच दिया।

( 7 ) शीर्षक- इस कहानी का शीर्षक सर्वथा उपयुक्त है क्योंकि प्राचीन राजा निरबंसिय’ की कहानी जगपती और चन्दा के इर्द गिर्द घूमती है। कहानी का शीर्षक कहानी पढ़ने की उत्सुकता जगाता है। शीर्षक इसी प्रकार का श्रेष्ठ माना जाता है।

इस विवेचना के आधार पर कहा जा सकता है कि कमलेश्वर की कहानी ‘राजा निरबंसिया’ में कहानी के सभी तत्वों का पूर्णरूप से निर्वाह हुआ है। कहानी सभी प्रकार से पूर्ण है।

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Anjali Yadav

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