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शैक्षिक तकनीकी की विशेषताएँ एंव महत्त्व | Importance and Characteristics of Educational Technology in Hindi
शैक्षिक तकनीकी की विशेषताएँ (Characteristics of Educational Technology)
शिक्षाशास्त्रियों ने शैक्षिक तकनीकी की विशेषताओं के विषय में निम्नलिखित विचार व्यक्त किये हैं-
(1) शैक्षिक तकनीकी में शिक्षा, शिक्षण तथा प्रशिक्षण के क्षेत्र में वैज्ञानिक जानकारी का प्रयोग किया जा सकता है।
(2) शैक्षिक तकनीकी स्मरण करने, अधिगम करने तथा मापक यन्त्रों के बनाने में सहायता कर सकती है।
(3) इसके द्वारा शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता है तथा अधिगम की स्थिति का आकलन किया जा सकता है।
(4) शैक्षिक तकनीकी सीखने की विधियों तथा प्रविधियों को उन्नत बनाने में प्रेरणात्मक रूप निर्धारित करती है।
(5) यह किसी भी व्यापारिक क्षेत्र की प्राप्ति तथा निवेश में सहायक है।
(6) शैक्षिक तकनीकी का मार्ग अलग न होकर शिक्षाशास्त्र का ही एक अंग है।
(7) यह याद करने की विधि को विभिन्न संसाधनों से सरल बनाती है।
(8) शैक्षिक तकनीकी की दृष्टि में विद्यालय एक परमावश्यक अंग है।
(9) यह ऐसी विधि है जिसमें निरन्तर विकास तथा प्रयोग के तन्त्रों का निर्माण होता रहता है।
(10) यह याद करने के साधनों का संगठन करने के लिए उपागम के नियमों को सरल तथा व्यवस्थित बनाती है।
(11) शैक्षिक तकनीकी का सम्बन्ध निरन्तर विकास से सम्बन्धित विधियों से है। इसके द्वारा शिक्षा में सुधार का कार्य भी किया जा सकता है।
शैक्षिक तकनीकी का महत्त्व (Importance of Educational Technology)
शैक्षिक तकनीकी का शिक्षा के क्षेत्र में अत्यधिक महत्त्व तथा उपयोगिता है। इसने शिक्षा के क्षेत्र में क्रान्ति उत्पन्न कर दी है। शिक्षण तकनीकी ने शिक्षण प्रक्रिया को विशेष रूप से प्रभावित किया है। शिक्षा तकनीकी का महत्त्वपूर्ण योगदान यह है कि इसके द्वारा शिक्षण के सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया गया है। इससे पूर्व सीखने के सिद्धान्त बहुत महत्त्वपूर्ण माने जाते थे परन्तु ये सिद्धान्त शिक्षा की समस्याओं को हल नहीं कर सके। इसके अतिरिक्त शैक्षिक तकनीकी की निम्नलिखित उपयोगिताएँ हैं-
(1) इसके माध्यम से जनसाधारण के लिए शिक्षा, अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा तथा सतत् शिक्षा आदि कार्यक्रमों को प्रसार तथा विकास सफलतापूर्वक किया जा सकता है।
(2) शिक्षण की प्रक्रिया को अधिक प्रभावशाली तथा सार्थक बनाया जा सकता है।
(3) शिक्षा के संगठन, प्रशासन व प्रबन्ध की समस्याओं का वैज्ञानिक तरीके से अध्ययन तथा विकास किया जा सकता है।
(4) आजकल जनसाधारण के पास रेडियो, ट्रांजिस्टर तथा टेलीविजन की सुविधाएँ सुलभ हैं। शिक्षा के लिए इन सब साधनों का उपयोग किया जा सकता है।
(5) विद्यार्थियों की सीखने की उपलब्धि में वृद्धि की जा सकती है।
(6) शैक्षिक तकनीकी के द्वारा अध्यापक की कार्यक्षमता में वृद्धि की जा सकती है।
(7) इसके प्रयोग से अध्यापक का कार्य सरल, स्पष्ट रुचिपूर्ण बन सकता है।
(8) अध्यापक का दृष्टिकोण, वैज्ञानिक, वस्तुनिष्ठ एवं मनोवैज्ञानिक हो सकता है।
(9) शैक्षिक तकनीकी का प्रमुख आधार व्यवहार होता है। अतः इसके द्वारा अध्यापकों तथा विद्यार्थियों के व्यवहार में वांछित परिवर्तन लाया जा सकता है।
(10) नवीन शिक्षण प्रतिपादन, शिक्षण उपकरण एवं विधियों से शिक्षण को प्रभावपूर्ण बनाया जा सकता है।
(11) इस तकनीकी की मदद से अध्यापक एक प्रबन्धक के रूप में विद्यार्थियों के एक बड़े समूह को कम समय तथा व्यय पर अच्छी शिक्षा प्रदान कर सकता है।
(12) अभिक्रमित अध्ययन द्वारा व्यक्तिगत विभिन्नता की समस्या का हल तथा विद्यार्थियों में स्वतः अध्ययन करने की आदत का निर्माण किया जा सकता है।
(13) सूक्ष्म शिक्षण, सीमुलेटिड शिक्षण, अनुकरणीय शिक्षण (Role playing) आदि के द्वारा प्रशिक्षण को प्रभावपूर्ण बनाया जा सकता है।
(14) नवीन शिक्षण उपकरणों, विधियों तथा मशीनों के प्रयोग से शिक्षण को व्यावहारिक, सार्थक तथा प्रभावपूर्ण बनाया जा सकता है।
(15) राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के स्तर को ऊँचा किया जा सकता है।
(16) शैक्षिक तकनीकी के प्रयोग से शिक्षा में अनुसंधान एवं शोधकार्य का सुधार हो सकेगा।
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