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अभिनयात्मक विधि | एकल अभिनय की रूपरेखा | अभिनय के प्रकरण | अभिनय के लाभ एंव दोष

अभिनयात्मक विधि | एकल अभिनय की रूपरेखा | अभिनय के प्रकरण  | अभिनय के लाभ एंव दोष
अभिनयात्मक विधि | एकल अभिनय की रूपरेखा | अभिनय के प्रकरण | अभिनय के लाभ एंव दोष
अभिनयात्मक विधि | एकल अभिनय की रूपरेखा | अभिनय के प्रकरण |अभिनय के लाभ एंव दोष

अभिनयात्मक विधि को उदाहरण सहित समझाइये ।

अभिनयात्मक विधि – अभिनय रंगमंच तक ही सीमित नहीं है। राजनीति विज्ञान के अध्यापन में अभिनय विधि का प्रयोग प्राथमिक स्तर पर सर्वथा उपयोगी एवं कारगर है। इसमें आवश्यकता शिक्षक के चिंतन की तथा विषयांश के चयन की है। पाठ्यपुस्तक के पाठ्यांश को आधार मानकर संवाद लेखन किया जावे। संवाद लेखन उपरांत पात्रों के अनुरूप हावभाव के साथ शिक्षक द्वारा छात्रों के सहयोग से प्रस्तुति की जाये। यह वह विधि है जिसमें शिक्षक आवश्यकतानुसार छात्रों की सहभागिता से गति, वाणी व हाव-भाव समायोजित कर किसी घटना या चरित्र को प्रस्तुत करता है। इससे छात्रों से सृजनात्मक शक्ति का विकास होता है। उदाहरणार्थ शिवाजी और अफजल खाँ के प्रसंग को शिक्षक अभिनय के माध्यम से प्रभावशाली ढंग से पढ़ा सकता है-

प्रसंग है कि अफजल खां शिवाजी के पास प्रस्ताव भिजवाता है कि हम लडाई को टाल दें और आपस में सुलह कर लें। वह शिवाजी को निःशस्त्र मिलने बुलाता है। शिवाजी जब उससे मिलने पहुंचते हैं तो वह तलवार उठाकर ललकारता है- देखूं अब तुझे बचाने कौन आता है? शिवाजी उसका मन्तव्य पहले ही ताड़ गये थे, वे अपने साथ छिपाकर बघनखा ले आए थें। अफजल खां के आक्रमण किए जाने के साथ ही उन्होने बघनखा उसके पेट में घुसेड़ दिया और अफजल खां ढेर हो गया।

एकल अभिनय की रूपरेखा

इस प्रसंग में शिक्षक स्वयं ही अभिनय कर पढ़ा – सकता है। उसे दोनों संवाद स्वतः बोलने होंगे। जिस चरित्र को प्रमुखता देनी है उसकी विशेषताओं को विशेष रूप से अभिनीत करना होगा। यहां प्रारंभ की घटना कथन द्वारा समझाकर शिवाजी के प्रवेश से अभिनय करें। अफजल खां (उनकी ओर देखकर व्यंग करते हुए) शिक्षक संवाद बोलते हैं।

आओ पहाड़ी चूहे आओ, बहुत दिनों से तुम्हारी तलाश थी। आओ गले लग जाओ। शिवाजी आश्चर्य से देखते हैं फिर धीमी आवाज में बोलते हैं- अरे यह क्या धोखा। आगे बढ़ते हैं।

शिक्षक फिर अफजल खां को रोबदार आवाज निकालते हुए बगल से भारी तलवार निकालने एवं उठाने का अभिनय करते हुए तथा संवाद बोलते हैं। देखता हूं अब तुझे कौन बचाता है? बुलाले जिसे चाहे शिक्षक शिवाजी के भावों को व्यक्त करते हैं। (स्वागत) मुझे पहले ही भय था, इस पर विश्वास नहीं करना था। खैर बघनखा की ओर देखते हैं, तेजी से आगे बढ़ते हैं और अफजल खां पर वार कर उसके पेट से बघनखा डालकर खींचते है। शिक्षक चेहरे में वीभत्सता का भाव लाते हैं और उसकी आंतड़ी निकालने का अभिनय करते हैं चख लो धोखा धड़ी इधर-उधर देखकर एक दरवाजे से भाग निकलते हैं। छात्रों द्वारा अभिनीत इसी प्रसंग को छात्र सहभागिता द्वारा अधिक प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया जा सकता है। बिना किसी साज-सज्जा मंच व्यवस्था के भी इसे अभिनीत किया जा सकता है। कक्षा में ही एक छात्र को शिवाजी और एक को अफजल खां बनाकर उन्हें शिक्षक संवाद बता देता है तथा उनके हाव-भाव गति तथा स्वर आरोह अवरोह की जानकारी देते। अफजल खां कुर्सी पर बैठता है शिवाजी प्रवेश करते हैं। अफजल खां आओ पहाड़ी चूहे बहुत दिनों से तुम्हारा इंतजार था आओ गले लग जाओ (अफजल खां खड़ा हो जाता हैं) शिवाजी (स्वागत) अरे यह क्या धोखा। अफजल खां (तलदार खींचकर ललकारते हुए) देखता हूं तुझे अब कौन बचाता है? शिवाजी (इधर उधर देखकर बघनखा को छूते हैं और आगे बढ़ते हैं) यह क्या? अफजल खां (मारने को तलवार उठाता है) ले। शिवाजी (बघनखा पेट में भौंक देते हैं और निकालते हैं) भुगत विश्वासघात का परिणाम अफजल खां चीखकर कर गिर जाता है। शिवाजी इधर-उधर देखकर निकल भागता है। अभिनयात्मक विधि से सामाजिक अध्ययन के अध्यापन के पर्याप्त अवसर हैं।

अभिनय के प्रकरण

शिवाजी जब औरंगजेब के दरवाजे गये तो क्या विचार उठे। गौतम बुद्ध अपनी पत्नी यशोधरा तथा अपने पुत्र राहुल को त्यागते क्या सोच रहे थे। नागरिक शास्त्र के अन्तर्गत विधानसभा की बैठक, पंचायत की बैठक (ग्राम सभा) आदि ग्रामीण समस्याएं यथा अंधविश्वास छुआ-छूत की बुराई नशाखोरी के दुष्परिणाम जनसंख्या वृद्धि स्वास्थ्य का अभिनय सड़क पर चलने के नियम आदि प्रसंगों को शिक्षक छात्रों के सहयोग से कक्षा में अभिनीत कर सकते हैं।

इस विधि से पाठ की सूक्ष्मातिसूक्ष्म विवेचना हो जाती है। इसके प्रयोग से छात्रों में विषय आत्मविश्वास तथा आत्माभिव्यंजना शक्ति सहजता से विकसित की जाती है। इसके द्वारा उनमें झिझक तथा लज्जाशीलता की प्रवृत्ति दूर होती है। इसके अतिरिक्त छात्र बोलने की कला भी सीख लेते हैं।

ध्यान देने योग्य बातें –
  1. इस विधि के उपयोग के पूर्व शिक्षक स्वयं अभिनय कला में दक्ष हो ।
  2. संवाद का लेखन सावधानीपूर्वक किया जाये।
  3. सामाजिक जीवन की समस्याओं को इस प्रविधि के द्वारा सुस्पष्ट एवं बोधगम्य बनाया जावे।
  4. सभी छात्रों को क्रमिक रूप से सहभागी बनाने के लिये प्रोत्साहित किया जावे।
  5. कक्षा अभिनय के पूर्व शिक्षक को उन समस्त सूचनाओं से छात्रों को अवगत कराया जावे जो कि अभिनय में आवश्यक है।

अभिनय के लाभ –

  1. शिक्षक बालेन्द्रित अधिक और शिक्षक केन्द्रित कम रहता है।
  2. बालकों की मानसिक शक्तियों का विकास होता है।
  3. बालकों में रूचि उत्पन्न की जा सकती है।
  4. बालकों में प्रेरणाशक्ति एवं क्रियात्मकता को विकसित करती है।
  5. विषय रोचक, सुबोध, सरस एवं बोधागम्य बन जाता है।
  6. बालकों में निर्भीकता के गुण विकसित होते हैं।
  7. स्वभाषा के विकास के अवसर अधिक रहते हैं।

अभिनय के दोष-

  1. समय अधिक लगता है।
  2. पाठ के कुछ अंश ही अभिनय योग्य होते हैं। इससे पाठ्यक्रम की इकाइयां समय पर पूर्ण नहीं होती।
  3. शिक्षक को अभिरूचि न होने के कारण इस विधि को अपनाने में कठिनाई महसूस होती है।
  4. बहुकक्षीय शिक्षण व्यवस्था में क्रियान्वयन में कठिनाई होती है।

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About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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