अल्पकालीन लागत विश्लेषण का प्रबन्धकीय महत्व (Managerial Importance of Short-run Cost Analysis)
यह विश्लेषण व्यावसायिक अर्थशास्त्र का एक अति उपयोगी उपकरण है। यह प्रबन्ध के विभिन्न निर्णयों के लागतों पर प्रभाव के निर्धारण में सहायक होता है। प्रबन्ध के लिये इसके विशिष्ट उपयोग निम्नलिखित है:-
(1) वर्तमान संयंत्रों से किसी नयी उत्पाद-मात्रा (product line) के प्रारम्भ करने अथवा किसी वर्तमान उत्पाद-माला को त्यागने के सम्बन्ध में विवेकपूर्ण निर्णय लेने के लिये यह विश्लेषण आवश्यक है।
(2) किसी वर्तमान विभाग में पुरानी मशीन के स्थान पर नई मशीन के प्रतिस्थापन अथवा पुरानी तकनीक के स्थान पर नवीन तकनीक अपनाने की समस्या पर निर्णय लेने के लिये भी यह विश्लेषण आवश्यक है। यद्यपि नया पूँजीगत विनियोग एक दीर्घकालीन समस्या है किन्तु इन निर्णयों का अल्पकालीन विश्लेषण भी आवश्यक हो जाता है।
(3) अल्पकाल में विभिन्न प्रतियोगी दशाओं में मूल्य निर्धारण के लिये इस विश्लेषण का ज्ञान आवश्यक होता है। अल्पकाल में प्रत्येक उत्पादक उस बिन्दु पर अपना मूल्य तथा उत्पादन-मात्रा निश्चित करेगा जहाँ पर सीमान्त लागत और सीमान्त आगम बराबर हों जिससे वह अपने अधिकतम लाभ के उद्देश्य को पूरा कर सके।
(4) फर्म के संयंत्रों की अप्रयुक्त क्षमता के प्रयोग के लिये वर्तमान उत्पादन में वृद्धि की जाय अथवा भ व संयंत्रों को किसी दूसरे को किराये पर दे दिया जाय, इस समस्या पर निर्णय लेने के लिये यह विश्लेषण आवश्यक है।
(5) अल्पकाल में यदि किसी फर्म को हानि हो रही है तो वह अपना उत्पादन कार्य तब तक चालू रखेगी जब तक कि मूल्य औसत परिवर्तनशील लागत से अधिक रहता है।
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