कमलेश्वर की कहानी ‘राजा निरबंसिया’ की नायिका चन्दा की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिये।
‘राजा निरबंसिया’ कहानी की प्रमुख पात्र चन्दा है जो जगपती की पत्नी है। चन्द अपने पति से बहुत प्यार करती है। वह अपनी पति के अच्छा होने के लिए कम्पाउण्डर ‘बचना सिंह’ से अनैतिक सम्बन्ध भी बनाती है। यह कार्य वह मजबूरी में करती है। चन्दा की चारित्रिक विशेषतायें निम्नवत् हैं-
( 1 ) अति सुन्दरः- चन्दा अति सुन्दर हैं। उसके सौन्दर्य पर ही बचन सिंह मोहित होता हैं और बुरी निगाह डालता है। स्वयं जगपति भी उसके सौन्दर्य से मोहित रहता है। चन्दा अनिन्द्य, भोले, नैसर्गिक सौन्दर्य का चित्रण करते हुये लेखक कहता है-
“चन्दा के बिखरे बाल, जिनमें हाल के बच्चे के गबुआरे बालों की सी महक….. दूध की कचआईंध…शरीर के रस की-सी मिठास और स्नेह-सी चिकनाहट और वह माथा जिस पर बालों के पास तमाम छोटे-छोटे, नरम-नरम से रोएं….रेशम से…।”
( 2 ) असहाय महिला: लेखक ने चन्दा का चरित्र एक निस्सहाय, निरीह पतिव्रता नारी के रूप में चित्रित किया है। परिस्थितियों से टकराने के स्थान पर उसने उनके सामने आत्मसमर्पण कर दिया। स्वयं को बचन सिंह के प्रति समर्पित करने में उसे कोई खुशी नहीं मिली अपितु वह दारूण-दुख, पीड़ा से गुजरी है। चन्दा को विश्वास था कि जगपति के ठीक होने पर सब कुछ ठीक जो जायेगा, पर जगपति ने बचन सिंह को खुली छूट दे दी और चन्दा के भीतर की स्त्री पूरी तरह बिखर गयी।
( 3 ) पतिव्रता नारी:- चन्दा अपने पति के प्रति पूर्णतया समर्पित व उसको प्रेम करने वाली पत्नी है। उसका अस्तित्व तभी है जब उसके पति का, इसलिये उसे ठीक करने के लिये वह हर सम्भव प्रयास करती है। चन्दा के कारण ही जगपति ठीक होकर अस्पताल से घर पहुँच पाता है। जब उसे जगपति के अस्पताल में होने का पता चलता है तो, चन्दा रोती-कलपती और मनौतियों मानती वहाँ पहुँचती है।”
( 4 ) आदर्श पत्नी- मौन होकर पति की इच्छाओं पर चलने वाली स्त्री के रूप में चंदा के दर्शन इस काहानी में होते हैं। अस्पताल में जगपति की हालत बिगड़ने पर जब बचन सिंह दवाइयों का प्रबन्ध करता है तो पति की मंशा जानकर वह झूठ बोली देती है कि उसके कड़े बेच दिये। एक उदाहरण द्रष्टव्य है।
“कुछ ताकत की दवाइयाँ तुम्हारे लिये जरूरी हैं।”
“मैं जानता हूँ।”
“पर……..”
“देखों चन्दा, चादर के बराबर ही पैर फैलाये जा सकते हैं। हमारी औकात इन दवाइयों की नहीं है। ।”
“औकात आदमी की देखी जाती है कि पैसे की, तुम तो…..।”
(5) सेवाभाव पूर्ण- चंदा में सेवाभाव पूरी तरह विद्यमान है। जगपति की सेवा देखभाल के लिये वहीं अस्पताल में मरीजों के रिश्तेदारों के लिये जो कोठरियाँ बनी थी, उन्हें में चन्दा रुकी। धीरे-धीरे सभी ने खबर लेना छोड़ दिया। “एक दिन में ठीक होने वाला घाव तो था नहीं। जांघ की हड्डी चटख गयी थी और कूल्हें में आपरेशन से छह इंच का गहरा धाव हो गया था।” लेकिन चंदा का सेवाभाव समाप्त नहीं हुआ उसने पूरे समर्पण से अपने पति को ठीक करने का सफल प्रयास किया।
( 6 ) धैर्यवान- चन्दा बहुत धैर्यवान स्त्री है। विवाह के चार वर्ष के बाद तक उसे कोई संतान नहीं होती है और उसे समाज के ताने सुनने को मिलते हैं लेकिन वह कभी धीरज नहीं छोड़ती यहाँ तक स्वयं जगपति एक बार क्रोध में उसको कहता है, “तुम्हारे कभी कुछ नहीं होगा…….न तेल न…” कहते कहते जगपति एकदम चुप रह गया और चन्दा को लगा आज पहली बार जगपति ने उसके मातृत्व पर इतनी गहरी चोट कर दी, जिसकी गहराई की उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। दोनों खामोश, बिना बात किये अन्दर चले गये।
(7) अन्तर्द्वन्द्व से युक्त- चंदा आर्थिक संकट से जूझ रही है और पति को ठीक रखना भी चाहती है। बचन सिंह जैसा मौके का फायदा उठाने वाला व्यक्ति और उधर चन्दा का सतीत्व इन सब के बीच जैसे उसका मन असमंजस में पड़ा रहता था और अन्तर्द्वन्द्व के बादल तब भी नहीं छंटते जब जगपति ठीक होकर घर आ जाता है क्योंकि बचन सिंह का विरोध करने पर जगपति उसे समझाता है, “आड़े वक्त काम आने वाला आदमी है, लेकिन उससे फायदा उठा सकना, जितना आसान है….उतना… ..मेरा मतलब है कि.. .जिसमें कुछ लिया जायेगा, उसे छोड़ दिया भी तो जायेगा। यह सब सुनकर चंदा मन ही मन अपने भावों को नियंत्रित कर रह जाती।
( 8 ) संवेदनशीलता- चंदा अति भावुक स्त्री है वह किसी का दुख दर्द नहीं देख पाती, और फिर अपने पति की पीड़ा तो उसके लिये पूर्णतया असहनीय थी। जब बचन सिंह जगपति के घाव पर पट्टी कर रहा था तब चन्दा की यह विशेषता द्रष्टव्य है-“पट्टी एक जगह खून से चिपक गयी थी, जगपति बुरी तरह कराह उठा। चन्दा के मुख से चीख निकल गयी। बचन सिंह ने सतर्क होकर देखा तो चंन्दा मुंह में धोती का पल्ला खोसे अपनी भयातुर आवाज दबाने की चेष्टा कर रही थी, जगपति एक बारगी मछली सा तड़फकर रहा गया। बचन सिंह की उंगलियाँ थोड़ी सी थरथराई कि उसकी बांह पर टप से चन्दा का आँसू टपक पड़ा।”
IMPORTANT LINK
- सूर के पुष्टिमार्ग का सम्यक् विश्लेषण कीजिए।
- हिन्दी की भ्रमरगीत परम्परा में सूर का स्थान निर्धारित कीजिए।
- सूर की काव्य कला की विशेषताएँ
- कवि मलिक मुहम्मद जायसी के रहस्यवाद को समझाकर लिखिए।
- सूफी काव्य परम्परा में जायसी का स्थान निर्धारित कीजिए।
- ‘जायसी का वियोग वर्णन हिन्दी साहित्य की एक अनुपम निधि है’
- जायसी की काव्यगत विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- जायसी के पद्मावत में ‘नख शिख’
- तुलसी के प्रबन्ध कौशल | Tulsi’s Management Skills in Hindi
- तुलसी की भक्ति भावना का सप्रमाण परिचय
- तुलसी का काव्य लोकसमन्वय की विराट चेष्टा का प्रतिफलन है।
- तुलसी की काव्य कला की विशेषताएँ
- टैगोर के शिक्षा सम्बन्धी सिद्धान्त | Tagore’s theory of education in Hindi
- जन शिक्षा, ग्रामीण शिक्षा, स्त्री शिक्षा व धार्मिक शिक्षा पर टैगोर के विचार
- शिक्षा दर्शन के आधारभूत सिद्धान्त या तत्त्व उनके अनुसार शिक्षा के अर्थ एवं उद्देश्य
- गाँधीजी के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन | Evaluation of Gandhiji’s Philosophy of Education in Hindi
- गाँधीजी की बुनियादी शिक्षा व्यवस्था के गुण-दोष
- स्वामी विवेकानंद का शिक्षा में योगदान | स्वामी विवेकानन्द के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन
- गाँधीजी के शैक्षिक विचार | Gandhiji’s Educational Thoughts in Hindi
- विवेकानन्द का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान | Contribution of Vivekananda in the field of education in Hindi
- संस्कृति का अर्थ | संस्कृति की विशेषताएँ | शिक्षा और संस्कृति में सम्बन्ध | सभ्यता और संस्कृति में अन्तर
- पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धान्त | Principles of Curriculum Construction in Hindi
- पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धान्त | Principles of Curriculum Construction in Hindi
- घनानन्द की आध्यात्मिक चेतना | Ghanananda Spiritual Consciousness in Hindi
- बिहारी ने शृंगार, वैराग्य एवं नीति का वर्णन एक साथ क्यों किया है?
- घनानन्द के संयोग वर्णन का सारगर्भित | The essence of Ghananand coincidence description in Hindi
- बिहारी सतसई की लोकप्रियता | Popularity of Bihari Satsai in Hindi
- बिहारी की नायिकाओं के रूपसौन्दर्य | The beauty of Bihari heroines in Hindi
- बिहारी के दोहे गम्भीर घाव क्यों और कहाँ करते हैं? क्या आप प्रभावित होते हैं?
- बिहारी की बहुज्ञता पर प्रकाश डालिए।
Disclaimer