दूरस्थ शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
Contents
दूरस्थ शिक्षा प्रक्रिया
देश के विभाजन के उपरान्त स्वदेश प्रशासन के गठन से जनसाधारण की आशाएँ और आकांक्षाएँ तीव्र गति से बढ़ने लगीं। प्रचलित शिक्षा प्रणाली किसी भी दशा में जागरूक लोगों की आशाओं को पूरा नहीं कर कर सकती थी। ऐसी स्थिति में विकल्प की तलाश की जाने लगी। ‘सहज शिक्षा’, ‘अनौपचारिक शिक्षा’, ‘मुक्त शिक्षा’ आदि नामों की चर्चा होने लगी। अन्ततः दूर शिक्षा के रूप में एक विकल्प उभरकर हमारे सामने आया।
दूरस्थ शिक्षा का अर्थ
दूर शिक्षा की अवधारणा व्यापक है। इसमें अध्यापक और विद्यार्थी एक-दूसरे से बहुत दूर होते हैं। इसमें शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया में वैयक्तिक कारक नहीं होता। शिक्षा अवैयक्तिक रूप में दी जाती है। इसमें सीखने की प्रक्रिया में पुस्तकों, मुद्रित सामग्री, यान्त्रिक तथा यन्त्रेतर साधनों का सहारा लिया जाता है।
दूर-शिक्षा का एक नवीन प्रयोग है। यह ऐसे बालकों या वयस्कों के लिए है जो अनेक कारणों से नियमित अथवा औपचारिक शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकते। दूर-शिक्षा में शैक्षिक तकनीकी के नये-नये साधनों का प्रयोग होता है। अब देश के कोने-कोने में रहने वालों की शिक्षा का प्रबन्ध सरल हो गया है। किसी व्यक्ति की सामाजिक एवं वित्तीय परिस्थितियाँ कैसी भी हों, वह आसानी से शिक्षा प्राप्त कर सकता है।
जो लोग विभिन्न व्यवसायों अथवा उद्योगों में लगे हुए हैं अथवा जो किसी-न-किसी कारण से अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर सके हैं या जो शिक्षा को जीवनपर्यन्त जारी रखना चाहते हैं वे सब इस नवीन दूर शिक्षा प्रणाली के माध्यम से अपनी रुचि के अनुसार शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
दूरस्थ शिक्षा की परिभाषा (Definition of Distant Education)
शिक्षाविदों ने दूर-शिक्षा के अर्थ और स्वरूप को नष्ट करने के लिए इसे निम्न शब्दों में परिभाषित किया है-
(1) बोर्ग होमवर्ग ने कहा है- “दूर अध्ययन या दूर पाठ्यक्रम एक ऐसा कृत्रिम अधिगम अवसर है जिसमें शिक्षार्थी और शिक्षा प्रदान करने वाली संस्था के मध्य की भौतिक दूरी को एक कृत्रिम निर्देशक के द्वारा दूर कर दिया जाता है। “
(2) हेमलता तलेसरा का मत है- “दूर शिक्षा की संरचना में शब्दजाल के अतिरिक्त कुछ नहीं। इसमें पुरानी शराब पर नया लेंबल लगा दिया गया है। पत्राचार शिक्षा, जन सम्प्रेषण शिक्षा, उन्मुक्त विश्वविद्यालय, आकाशवाणी और दूरदर्शन के शैक्षिक पाठ-ये सब इसमें सम्मिलित कर लिये गये हैं।”
(३) फिलिप, कोम्बस और मंजूर अहमद का कथन है- “निर्धारित औपचारिक शिक्षा के ढाँचे से बाहर चलने वाली सुव्यवस्थित शिक्षाविधि को दूर शिक्षा कहा जा सकता है।”
(4) मालकोम आदिसेशिया का विचार है- “दूर-शिक्षा का अभिप्राय है सीखने-सिखाने की वह प्रक्रिया जिसमें स्थान और समय के आयाम सीखने और सिखाने के मध्य हस्तक्षेप करते हैं। “
इन परिभाषाओं से निम्न बातें सामने आती हैं-
- इसका सम्बन्ध उन बालकों या वयस्कों को दूरी से शिक्षा देने से है जो किन्हीं विशेष कारणों से शिक्षा लाभ प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं अथवा प्राप्त करने में असमर्थ हैं।
- इस शिक्षा का प्रसार करने में आकाशवाणी और दूरदर्शन की भी सहायता ली जाती है।
- यह शिक्षा कक्षा-गृह की चहारदीवारी अथवा विद्यालय सिर के बाहर दी जाती है।
- यह समय और स्थान की सीमाओं से मुक्त है।
दूर-शिक्षा में जो ‘दूरी’ (Distance) है, उसका अभिप्राय है-
- शिक्षण और शिक्षार्थी के मध्य स्थान की दूरी।
- पाठ्य सामग्री अथवा शिक्षण सामग्री को भेजने वाले और सीखने वाले के द्वारा उसे प्राप्त करने या सीखने के बीच की दूरी।
- पाठ्य सामग्री का निर्माण और उसके भेजने में समय की दूरी
IMPORTANT LINK
- शैक्षिक तकनीकी का अर्थ और परिभाषा लिखते हुए उसकी विशेषतायें बताइये।
- शैक्षिक तकनीकी के प्रकार | Types of Educational Technology in Hindi
- शैक्षिक तकनीकी के उपागम | approaches to educational technology in Hindi
- अभिक्रमित अध्ययन (Programmed learning) का अर्थ एंव परिभाषा
- अभिक्रमित अनुदेशन के प्रकार | Types of Programmed Instruction in Hindi
- महिला समाख्या क्या है? महिला समाख्या योजना के उद्देश्य और कार्यक्रम
- शैक्षिक नवाचार की शिक्षा में भूमिका | Role of Educational Innovation in Education in Hindi
- उत्तर प्रदेश के विशेष सन्दर्भ में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009′ के प्रमुख प्रावधान एंव समस्या
- नवोदय विद्यालय की प्रवेश प्रक्रिया एवं अध्ययन प्रक्रिया
- पंडित मदन मोहन मालवीय के शैक्षिक विचार | Educational Thoughts of Malaviya in Hindi
- टैगोर के शिक्षा सम्बन्धी सिद्धान्त | Tagore’s theory of education in Hindi
- जन शिक्षा, ग्रामीण शिक्षा, स्त्री शिक्षा व धार्मिक शिक्षा पर टैगोर के विचार
- शिक्षा दर्शन के आधारभूत सिद्धान्त या तत्त्व उनके अनुसार शिक्षा के अर्थ एवं उद्देश्य
- गाँधीजी के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन | Evaluation of Gandhiji’s Philosophy of Education in Hindi
- गाँधीजी की बुनियादी शिक्षा व्यवस्था के गुण-दोष
- स्वामी विवेकानंद का शिक्षा में योगदान | स्वामी विवेकानन्द के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन
- गाँधीजी के शैक्षिक विचार | Gandhiji’s Educational Thoughts in Hindi
- विवेकानन्द का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान | Contribution of Vivekananda in the field of education in Hindi
- संस्कृति का अर्थ | संस्कृति की विशेषताएँ | शिक्षा और संस्कृति में सम्बन्ध | सभ्यता और संस्कृति में अन्तर
- पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धान्त | Principles of Curriculum Construction in Hindi
- पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धान्त | Principles of Curriculum Construction in Hindi
- मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा शिक्षा का किस प्रकार प्रभावित किया?
- मानव अधिकार की अवधारणा के विकास | Development of the concept of human rights in Hindi
- पाठ्यक्रम का अर्थ एंव परिभाषा | Meaning and definitions of curriculum in Hindi
- वर्तमान पाठ्यक्रम के दोष | current course defects in Hindi
- मानव अधिकार क्या है? इसके प्रकार | what are human rights? its types
- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना के लिए शिक्षा के उद्देश्य | Objectives of Education for International Goodwill in Hindi
- योग और शिक्षा के सम्बन्ध | Relationship between yoga and education in Hindi
Disclaimer