हिन्दी साहित्य

निराला के छायावादी काव्य की विशेषताएँ

निराला के छायावादी काव्य की विशेषताएँ
निराला के छायावादी काव्य की विशेषताएँ

छायावादी कवि परम्परा में निराला का स्थान निरूपित कीजिए। 

निराला के छायावादी काव्य की विशेषताएँ

निराला एक उच्चकोटि के छायावादी कवि हैं उनके काव्य में छायावदी कविता की भाव-पक्षीय और कला पक्षीय दोनों प्रकार की विशेषकाओं का प्रयोग दृष्टिगोचर होता हैं निराला के छायावादी काव्य की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

1. सौन्दर्य निरूपण– छायावादी कविता में सौन्दर्य भावना एक आवश्यक लक्षण हैं निराला जी की कविता में छायावादी कविता की इस प्रवृत्ति के प्रचुर मात्रा में दर्शन होते हैं। आपकी कविता में प्रकृति सौन्दर्य और नारी सौन्दर्य के अनेक उदाहरण देखने को मिलते हैं। नारी के केशों के सौन्दर्य का एक उदाहरण देखिए-

“मन्द पवन के झंकों से लहराते काले बाल।
कवियों के मानस की मृदुल कल्पना के से जाल॥”

2. प्रेम भावना का प्रचुर्य – छायावादी कवि प्रेम के संसार में निवास करता है। ‘निराला जी’ के छायावादी काव्य में प्रेम तत्त्व का सुन्दर निरूपण दृष्टिगोचर होता है। प्रेम का एक चित्र देखिए-

“नयनों का नयनों से गोचन, प्रिय सम्भाषण।
पलकों का नवपलकों पर प्रथमोत्थातन ॥’

3. मानवतावादी दृष्टिकोण- निराला जी के काव्य में छायावादी कविता के इस तत्त्व के भी दर्शन होते हैं उनके काव्य में मानवतावादी प्रवृत्ति प्रचुर मात्रा में साकार हुई है। इसका कारण आपकी जन-जीवन के प्रति रुचि है।

4. वैयक्तिकता – छायावादी कवि प्रायः समाज की उपेक्षा कर अपने ही सुख-दुःख को प्रमुखता देते हैं अर्थात् छायावादी कवि प्रायः अपना ही रोना रोते हैं ‘प्रसाद’ के ‘ऑसू’ ने अपने ही आँसू बहाये हैं तो पन्त ने ‘ग्रन्थों’ में अपनी ही गाँठ खोली है। इसी प्रकार निराला के काव्य में भी वैयक्तिकता को देखा जा सकता है-

“धिक जीवन को पाता ही आया है विरोध,
धिक साधन जिनके लिए सदा ही किया शोध।”

5. नारी चित्रण- प्रायः सभी छायावादी कवियों ने नारी को नवीन रूपों में चित्रित किया है। वे केवल नारी के बाह्य सौन्दर्य का ही चित्रण नहीं करते वरन् उसके आन्तरिक सौन्दर्य का भी उद्घाटन करते हैं। कृषक बाला की आँखों का सौन्दर्य निराला के शब्दों में देखिए-

“ज्यों हरीतिमा में बैठे हो, विहग बंद कर पाँखें।”

6. रहस्य भावना— छायावाद के अन्य कवियों की भाँति निराला ने अपनी रहस्य भावना के जिज्ञासा तथा कौतूहल रूप में प्रकट किया है। ‘तुम’ और ‘मैं’ में यमुना के प्रति अपनी कविताओं में निराला जी का रहस्य भावना स्पष्टतः अभिव्यक्त है।

7. प्रकृति प्रेम – समस्त छायावादी कवियों ने प्रायः समस्त प्रचलित शैलियों पर प्रकृति के मनोरम वर्णन लिखे हैं। निराला ने प्रकृति पर सर्वत्र चेतना का आरोप किया है। उनकी दृष्टि में बादल प्रपात, यमुना सभी कुछ चेतना हैं। वह यमुना से पूछते हैं-

‘तू किस विस्तृत की वीणा से, उठ उठ कर कातर संकार।
उत्सुकता से उकता उकता, खेल रही स्मृति के दृढ़ द्वार।।”

8. सामाजिक चेतना- निराला की सामाजिक चेतना महत्त्वपूर्ण हैं उनकी इच्छा है कि देश के लोगों में शक्ति का आविर्भाव हो ताकि वे अपने कर्त्तव्यों का ठीक ढंग से पालन कर सकें। उनका सदैव यह प्रयास रहा है कि सम्पूर्ण विश्व में शक्ति का मन्त्र फूंक दें।

IMPORTANT LINK

Disclaimer

Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com

About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment