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प्रकृतिवाद का अर्थ, परिभाषा एंव सिद्धान्त | Meaning, Definition and Principles of Naturalism in Hindi

प्रकृतिवाद का अर्थ, परिभाषा एंव सिद्धान्त | Meaning, Definition and Principles of Naturalism in Hindi
प्रकृतिवाद का अर्थ, परिभाषा एंव सिद्धान्त | Meaning, Definition and Principles of Naturalism in Hindi

प्रकृतिवाद से आप क्या समझते हैं ? प्रकृतिवाद के सिद्धान्तों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।

प्रकृतिवाद का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Naturalism)

प्रकृतिवाद का प्रादुर्भाव आदर्शवाद की प्रतिक्रियास्वरूप हुआ। यूरोप में अट्ठारहवीं शताब्दी धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक तथा शैक्षिक जगत् में उथल-पुथल, क्रान्ति तथा परिवर्तन का इतिहास है। इस क्रान्ति के मुख्य नायक वाल्टेयर तथा रूसो थे। इस उथल-पुथल का चरम सोपान फ्रांस की क्रान्ति के रूप में प्रस्फुटित हुआ। रूसो के इस विचार ने कि, “मनुष्य स्वतन्त्र पैदा हुआ, परन्तु चारों ओर उसे परतन्त्रता ने जकड़ रखा है” लोगों के हृदय में क्रान्ति की ज्वाला को भड़का दिया। यह क्रान्ति धार्मिक जगत् में व्याप्त प्रभुतावाद, अन्धविश्वास, नैतिकता की ओट में भ्रष्टाचार, वैचारिक दमन तथा एकतन्त्रवाद के विरोधस्वरूप हुई। रूसो राजनीतिक स्वतन्त्रता के विरुद्ध प्रमुख नायक था। फ्रांस की क्रान्ति रक्तिम क्रान्ति थी।

असंख लोगों का बलिदान हुआ। रूसो ने सड़कों पर पड़ी रक्त-रंजित असंख्य लाशों को अपनी आँख से चूहों की तरह सड़ते देखा था। उसका हृदय द्रवित हो गया। उसके मन में पीड़ित मानवता के प्रति सहानुभूति उमड़ पड़ी। फलस्वरूप उसने एक ऐसी विचारधारा का प्रतिपादन किया जो स्वतन्त्रता, भ्रातृत्व तथा समानता पर आधारित हो । फ्रांस की क्रान्ति में उन तीनों ने जान फूँक दी थी। इसी सहानुभूति तथा समानता के विचार ने प्रकृतिवाद को जन्म दिया। प्रकृतिवाद के तात्पर्य को भली-भाँति समझने के लिए विद्वानों द्वारा प्रस्तुत परिभाषाएँ अधोलिखित हैं-

(1) थामस और लैंग- “प्रकृतिवाद आदर्शवाद के विपरीत मन को पदार्थ के अधीन मानता और यह विश्वास करता है कि अन्तिम वास्तविकता भौतिक है, आध्यात्मिक नहीं।”

(2) ज्वायसे- “प्रकृतिवाद वह विचारधारा है जिसकी प्रमुख विशेषता प्रकृति एवं मनुष्य के दर्शन से उन समस्त चीजों को पृथक करना है जो कि आध्यात्मिक या अनुभव के परे हैं।”

(3) वार्ड- “प्रकृतिवाद वह मत है, जो कि प्रकृति को ईश्वर से पृथक करता है, आत्मा को भौतिक पदार्थ के अधीन कर देता है तथा अपरिवर्तनीय नियमों को सर्वोच्च स्थान प्रदान करता है।”

(4) राफ बर्टन पेरी- “प्रकृतिवाद विज्ञान नहीं है वरन् विज्ञान सम्बन्धी सुदृढ़ कथन है। विशेष से यह दृढ़ अभिमत है कि वैज्ञानिक ज्ञान ही अन्तिम है तथा उसके बाद विज्ञानेत्तर या दार्शनिक ज्ञान के लिए स्थान नहीं रहता।”

(5) हाकिंग- “प्रकृतिवाद वह तत्त्व-ज्ञान है जो प्रकृति को सम्पूर्ण वास्तविकता मानता है।”

उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि प्रकृतिवाद एक प्रकार से आध्यात्मिक या आदर्शवाद के विरोध में प्रचलित विचारधारा है। प्रकृति ही सब कुछ है तथा पदार्थ ही सत्य है। प्रकृतिवाद के अनुसार ज्ञान का केवल एक क्षेत्र और एक साधन है भौतिक विज्ञान । प्रकृतिवाद के समर्थकों में अरस्तू, कॉम्टे, बेकन, डार्विन, लेमार्क, हक्सले, स्पेन्सर, बर्नाडशा, बटलर तथा रूसो के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।

प्रकृतिवाद के सिद्धान्त (Principles of Naturalism)

प्रकृतिवाद के प्रमुख सिद्धान्त निम्नलिखित हैं-

(1) प्रकृति ही सत्य और शाश्वत है- प्रकृतिवाद की मान्यता है कि संसार केवल भौतिक तत्त्वों से निर्मित है। इसमें आध्यात्मिक तत्त्व या ईश्वर या आत्मा कुछ नहीं है। प्राकृतिक तत्त्व ही शाश्वत और अमर है और संसार में सभी तत्त्व प्राकृतिक नियमों की रचना हैं।

(2) सभी जीव प्रकृति से उत्पन्न हैं- मनुष्य तथा सभी जीव प्रकृति की रचना हैं। भौतिकवादी मनुष्य को भौतिक तत्त्व, यन्त्रवादी यन्त्ररूप तथा वैज्ञानिक पशु रूप में समझते हैं तथा व्याख्या भी करते हैं। बट्रेण्ड रसेल ने मनुष्य को रचना की दृष्टि से अन्य पशुओं के समान माना है।

(3) मन-मस्तिष्क की अप्रधान उपज है- मन (Mind), मस्तिष्क (Brain) की क्रिया या गुण है। मस्तिष्क पदार्थ का रूप है। मस्तिष्क का प्रगतिशील रूप ही मन है। प्रकृतिवादी आदर्शवादियों की तरह मन को आधिभौतिक सत्ता स्वीकार नहीं करते।

(4) प्राकृतिक नियम अपरिवर्तनशील हैं- प्रकृतिवाद के अनुसार प्रकृति के नियम हैं और वे सभी परिवर्तित नहीं होते, वे शाश्वत हैं-

(5) ज्ञान का आधार विज्ञान है- प्रकृतिवाद के अनुसार ज्ञान का केवल एक क्षेत्र और एकमात्र साधन विज्ञान है। प्रकृति के रहस्य को समझना ही ज्ञान है और सभी प्रकार के ज्ञान का स्रोत विज्ञान है।

(6) इन्द्रिय अनुभवजन्य ज्ञान प्रमुख है- प्रकृतिवादियों के अनुसार इन्द्रिय ज्ञान ही प्रमुख ज्ञान है। इन्द्रिय ज्ञान से परे कुछ नहीं है। पदार्थ इन्द्रियों के क्रिया-क्षेत्र से बाहर नहीं है। अतः इन्द्रिय ज्ञान के आधार पर समस्त ज्ञान व सत्य का पता लग सकता है।

(7) वर्तमान जीवन ही वास्तविक जीवन है- प्रकृतिवादी वर्तमान जीवन को ही वास्तविक जीवन मानते हैं। इसके पश्चात् कोई दूसरा विश्व नहीं है। प्रकृतिवादी आदर्शवादियों के समान परमात्मा, चमत्कार, दैवीय प्रेरणा, दूसरी दुनिया (स्वर्ग-नरक), भाग्य, आत्मा आदि में विश्वास नहीं करते।

(8) प्रकृति निर्भरशील है- प्रकृतिवादी कहते हैं- प्रकृति अच्छी है, प्रकृति के निकट रहकर ही मानव सुखी रह सकता है। मनुष्य प्रकृति से जितना ही दूर कृत्रिमतापूर्ण सभ्यता की तरफ जायेगा, वह उतना ही दुःखी रहेगा ।

(9) प्रकृतिवाद आदर्शवाद का विरोधी है- प्रकृतिवादी आदर्शवाद के विरोधी हैं। आदर्शवाद का विरोध करके ही प्रकृतिवाद ने अपना वर्तमान स्वरूप प्राप्त किया है।

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Anjali Yadav

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