राजस्थान बोर्ड के माध्यमिक स्तर पर प्रचलित राजनीति विज्ञान पाठ्यक्रम की समालोचनात्मक व्याख्या कीजिए तथा सुधार हेतु अपने सुझाव दीजिए।
Contents
राजनीति विज्ञान के वर्तमान पाठ्यक्रम के गुण
- समेकित रूप
- उद्देश्यपूर्ण आधारित बनानें।
- इकाईयाँ समस्याओं पर केन्द्रित की गई है।
- मानसिक एवं कक्षा स्तर का पूरा
- मनौवेज्ञानिक सिद्धान्तों को ध्यान
- जीवन से संदर्भित करने का पूरा प्रयास
- उपलब्ध समय का पूरा ध्यान
- दृश्य श्रव्य सामग्री का प्रयोग करने हेतु
- अवकाश के सदूपयोग के सिद्धान्त के अनुरूप है।
- नवीनतम जानकारी एवं उसके उपयोग की परिस्थितियों की पूर्ण जानकारी देने का प्रयास किया गया है।
- विषय वस्तु को स्थानीय पर्यायवरण से सम्बन्धित करने का प्रयास किया गया है।
राजनीति विज्ञान के वर्तमान पाठ्यक्रम के दोष
- विषयों में सह सम्बन्ध का अभाव राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम में भी सह-सम्बन्ध का अभाव है।
- पुस्तकीय ज्ञान पर अधिक बल सैद्धान्तिक एवं पुस्तकीय ज्ञान पर अधिक बल देता है।
- विविधता की कमी बालक और बालिकों की व्यक्तिगत विभिन्नताओं की ओर ध्यान नही दिया जाता है।
- लचीलेपन की कमी नम्यता के सिद्धान्त को लेकर तैयार नही किया गया है।
- क्रिया का सिद्धान्त वर्तमान पाठ्यक्रम को स्व-अनुभव तथा करके सीखने क्रिया द्वारा नही सीख सकता है।
- जीवन में असम्बन्धित छात्र यर्थाथ जीवन के समस्याओं के साथ समायोजन में असमर्थ है।
- संकुचित दृष्टिकोण – यह परीक्षाओं के दृष्टिकोण से बनाया गया है।
- उद्देश्यों को दृष्टिकोण रखने का सिद्धान्त विषय से सम्बन्धी प्राप्त व्यवहारगत् परिवर्ततन के रूप उद्देश्यों को परिभाषित नही किया गया है।
- अनुभवों की सम्पूर्णता का सिद्धान्त समग्र अनुभवों व क्रियाकलापों राजनीति विज्ञान क्लब रोचक कार्य आदि को स्थान नही दिया गया है।
- विषय वस्तु को संगठित नही किया गया है। संकेन्द्रीय विधि की ओर भी ध्यान नहीं दिया गया है।
- विस्तृत वस्तु निर्धारित विस्तृत विषय-वस्तु को छात्रों से निर्धारित अवधि में पूर्ण नहीं करा सकते है।
- आवश्यकताओं के अनुकूल का सिद्धान्त वर्तमान पाठयक्रम छात्र एवं यह दैनिक जीवन की वास्तविक परिस्थितियों से दूर है।
अन्य दोष
- सामाजिक तथा सामाजिक मूल्यों को ध्यान में रखकर तैयार नहीं किया गया है।
- विषय केन्द्रित तथा प्रकरण को ध्यान में
- सृजनात्मक कार्य की कमी है।
- निरर्थक नीरस व अनुपर्युक्त है।
- परीक्षाओं पर अधिक बल देता है।
- प्रकरणों अथवा उपविषयों के विस्तार तथा कठिनाई स्तर के सम्बन्ध में कई विशेष जानकारी नहीं मिलती है।
- अभ्यास व दोहराने पर अधिक बल दिया जाता है।
- शिक्षक के उद्देश्यों तथा सीखने के अनुभवों का विस्तृत वर्णन नही किया गया है।
- वर्तमान पाठयक्रम पुस्तकीय सैद्धान्तिक अमनोवैज्ञानिक तथा बोझिल है बाल केन्द्रित क्रियाय केन्द्रित तथा बालकों के लिये उपयोगी हो सकें।
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