व्यावसायिक अर्थशास्त्र / BUSINESS ECONOMICS

वास्तविक मजदूरी को निर्धारित करने वाले तत्व | Factors Determining Real Wages in Hindi

वास्तविक मजदूरी को निर्धारित करने वाले तत्व | Factors Determining Real Wages in Hindi
वास्तविक मजदूरी को निर्धारित करने वाले तत्व | Factors Determining Real Wages in Hindi

वास्तविक मजदूरी को निर्धारित करने वाले तत्व (Factors Determining Real Wages)

(1) अतिरिक्त आय (Extra Earnings) – जैसे अध्यापक को पुस्तक लिखने से रायल्टी प्राप्त होना, टाइपिस्ट को फैक्ट्री के बाद अतिरिक्त समय में कार्य मिल जाना, फैक्ट्री श्रमिक के आश्रितों को काम मिल जाना आदि।

(2) मुद्रा की क्रय शक्ति (Purchasing Power of Money) – वास्तविक मजदूरी पर मुद्रा की क्रय-शक्ति का बहुत प्रभाव पड़ता है। मुद्रा की क्रय शक्ति का आशय सामान्य मूल्य-स्तर से होता है। जिस स्थान पर वस्तुओं के मूल्य कम होंगे, वहाँ पर मुद्रा की क्रय-शक्ति अधिक होगी और इसीलिये वहाँ के मजदूरों की वास्तविक मजदूरी अधिक होगी। इसके विपरीत मूल्य-स्तर ऊँचा होने पर वास्तविक मजदूरी कम होगी।

(3) कार्य की दशायें (Working Conditions) – कार्य की सुधरी दशायें, दिन का कार्य, समुचित अवकाश तथा मालिक का अच्छा व्यवहार होने पर वास्तविक मजदूरी अपेक्षाकृत अधिक समझी जाती है।

(4) व्यावसायिक व्यय (Job Expenses ) – कुछ व्यवसायों में श्रमिक को अपनी कार्यकुशलता का अच्छा स्तर बनाये रखने के लिये कुछ व्यय करने पड़ते हैं; जैसे एक प्रोफेसर को अपने विषय से सम्बन्धित नवीनतम जानकारी प्राप्त करने के लिये नवीनतम पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं में कुछ व्यय करना पड़ता है। अतः उसकी वास्तविक मजदूरी ज्ञात करने के लिये इस प्रकार के व्यावसायिक व्ययों को उसकी नकद मजदूरी से घटाना आवश्यक है।

(5) भावी तरक्की की आशा (Future Prospects of Promotion) – जिन व्यवसायों में पदोन्नति के अच्छे अवसर होते हैं उनमें आरम्भ में नकद मजदूरी कम होने पर भी वास्तविक मजदूरी अधिक मानी जाती है।

(6) अतिरिक्त सुविधायें (Extra Facilities) – जैसे निःशुल्क डॉक्टरी सहायता, सस्ता मकान, निःशुल्क या सस्ती बिजली, बच्चों की निःशुल्क शिक्षा आदि ।

(7) कार्य की नियमितता (Regularity of Work ) — नियमित व स्थायी कार्य में अस्थायी कार्यों की तुलना में वास्तविक मजदूरी अधिक मानी जाती है।

(8) सामाजिक सम्मान (Social Status) – समाज की दृष्टि में सम्मानजनक व प्रतिष्ठा प्राप्त व्यवसायों में नकद मजदूरी कम होने पर भी वास्तविक मजदूरी अधिक समझी जाती है।

(9) कार्य का स्वभाव (Nature of Work ) – यदि कार्य कठिन, अरुचिकर, गन्दा अथवा जोखिमपूर्ण है तो नकद मजदूरी अधिक होने पर भी वास्तविक मजदूरी कम समझी जाती है।

(10) प्रशिक्षण का समय और लागत (Training Period and its Cost) – कुछ व्यवसायों में कार्य करने के लिये प्रशिक्षण आवश्यक होता है; जैसे डॉक्टरी अथवा इन्जीनियरिंग का कार्य। ऐसे व्यवसायों में वास्तविक मजदूरी उन व्यवसायों की तुलना में कम मानी जायेगी जिन्हें करने के लिये किसी प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती।

IMPORTANT LINK

Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com

About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment