वैश्वीकरण अथवा भूमण्डलीकरण से आप क्या समझते हैं ? शिक्षा द्वारा भूमण्डलीकरण की विवेचना कीजिए।
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वैश्वीकरण अथवा भूमण्डलीकरण (Globalization)
भारत में प्राचीनकाल से ही ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ अर्थात् सारा विश्व परिवार के समान है की अवधारणा को स्वीकार किया गया है। इसी अवधारणा के आधार पर ही संचार के साधन, सूचना, तकनीक और आवागमन के साधन अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों को जोड़ने का काम कर रहे हैं। ये समस्त प्रक्रियायें विश्व के समस्त सम्बन्धों को घनिष्ठता प्रदान कर रहे हैं। भूमण्डलीकरण वैश्वीकरण के विचार को निम्न प्रकार से अनेक विद्वानों ने व्यक्त किया है-
1. पी. रॉबर्टसन के अनुसार- “वैश्वीकरण, आधुनिकीकरण और उत्तर आधुनिकीकरण का अंग है।”
2. लैचनर के अनुसार- “वैश्वीकरण का अर्थ है- वैश्विक सम्बन्धों का विस्तार, सामाजिक जीवन का विश्व स्तर पर संगठन तथा विश्व चेतनता का विकास।”
3. अर्थशास्त्र शब्दकोष के अनुसार- “वैश्वीकरण का अर्थ है कि विश्व अर्थव्यवस्था में बढ़ते हुए आर्थिक एकीकरण और राष्ट्रों के बीच बढ़ती आपसी निर्भरता की प्रक्रिया । यह केवल वस्तुओं, सीमाओं, पूँजी, तकनीकी व लोगों की सीमा पार बढ़ती हुए गतिशीलता से ही नहीं वरन् उस आर्थिक संगठन से भी जुड़ा है जो राष्ट्रीय सीमाओं को पार कर देता है।”
भूमण्डलीकरण और शिक्षा (Globalization and Education)
आधुनिक युग में भूमण्डलीकरण की अत्यधिक चर्चा हो रही है और सभी क्षेत्रों में भूमण्डलीकरण को विशेष महत्त्व दिया जा रहा है। ज्ञान-विज्ञान के विभिन्न साधनों ने सभी देशों में एक-सी व्यवस्था लागू करने पर बल दिया है। ज्ञान-विज्ञान की विभिन्न शाखाएँ भूमण्डलीकरण के विकास में योगदान दे रही हैं। शिक्षा भूमण्डलीकरण के विकास का प्रमुख साधन बन चुकी है। यदि शिक्षा के क्षेत्र में क्रान्तिकारी परिवर्तन न हुए होते तो भूमण्डलीकरण की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
अनुसार शिक्षा का भूमण्डलीकरण में क्या योगदान है, इसकी चर्चा करने से पूर्व हमारे लिए यह आवश्यक होगा कि हम भूमण्डलीकरण के अर्थ को स्पष्ट कर दें। राइस के “भूमण्डलीकरण एक ऐसी व्यवस्था है जिससे समस्त विश्व समान रूप से प्रभावित होता है।”
इतना होने पर भी हम अभी उस स्थिति तक नहीं पहुँच सके हैं जब अखिल विश्व में एक समान सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था की स्थापना की जा सके और समस्त मानव जाति का उत्थान हो सके। यदि विश्व इतिहास पर एक विहंगम दृ ष्टि डाली जाय तो प्रतीत होगा कि बीसवीं शताब्दी ने भूमण्डलीकरण की दिशा में महती योगदान किया। ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में हुए विस्फोट ने जितना अधिक इस शताब्दी में भूमण्डलीकरण के मार्ग को प्रशस्त किया है।
शिक्षा द्वारा ही भूमण्डलीकरण (Globalization by the Education)
शिक्षा के द्वारा ही भूमण्डलीकरण के समस्त लाभों को प्राप्त किया जा सकता है। 21वीं शताब्दी में विश्व समाज की अवधारणा और वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना आज समस्त भूमण्डल के लिए आवश्यक है, शिक्षा के द्वारा ही सम्भव है। शिक्षा विकसित और विकासशील देशों में जनसंख्या, भाषा आदि की समस्याओं से छुटकारा दिला सकती है। मिली-जुली संस्कृति का आदान विश्व समाज की स्थापना का सबसे उत्तम साधन है। सतत् और जीवनपर्यन्त शिक्षा भूमण्डलीकरण और व्यापक दृष्टिकोण के विकास में सहायक है। 21वीं शताब्दी में शिक्षा की माँग में अप्रत्याशित वृद्धि होगी। आर्थिक कारकों के साथ ही राजनीतिक, सामाजिक और जनांकिकी कारक भी शिक्षा की माँग में योगदान देंगे। शिक्षा भूमण्डलीकरण के विकास में और अधिक योगदान देगी। आज विश्व शान्ति की माँग निरन्तर बढ़ती जा रही है और इस शान्ति स्थापना में शिक्षा का योगदान उपयोगी होगा। शिक्षा की ऐसी प्रक्रिया को अपनाया जायेगा जो लोगों में सहिष्णुता, सहयोग, आत्म-नियन्त्रण और सहनशीलता तथा आपसी मतभेदों को सुलझाने में सहायता करेगी। विश्व के सभी देशों को शान्ति स्थापना की दिशा में प्रयास करना होगा। पूँजीवाद, भौतिकवाद, राष्ट्रवाद, जातिवाद, सम्प्रदायवाद का परित्याग करना होगा। इन सबके लिए शिक्षा का भूमण्डलीकरण अत्यन्त आवश्यक है। आधुनिक भौतिकवादी जगत में कोरे आदर्शों और सिद्धान्तों पर आधारित शैक्षिक विषयवस्तु से काम चलने वाला नहीं है। आज ऐसे मानव की आवश्यकता है जो अपनी रोजी-रोटी की व्यवस्था तो करे ही, साथ ही समाज के आर्थिक विकास में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दे । भविष्य में कुशल कार्मिकों की आवश्यकता और अधिक बढ़ेगी और इसके लिए सबको मिलकर प्रयास करना होगा। इसके हेतु भी शिक्षा का भूमण्डलीकरण आवश्यक होगा। आधुनिक विश्व में तीव्रता के साथ अन्तर्राष्ट्रीय दुर्भावना और विश्वव्यापी अशान्ति बढ़ रही है। सह-अस्तित्व की भावना के स्थान पर पृथक् अस्तित्व की भावना का विकास हो रहा है। जिओ और जीने दो की भावना का स्थान जिओ और जीने न दो की भावना ले रही है। अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना और विश्वशान्ति के लिए शिक्षा का भूमण्डलीकरण आवश्यक है। आज मानव मूल्यों की स्थापना की आवश्यकता है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम सभी पृथ्वी ग्रह के नागरिक हैं, मानव जाति एक व्यापक परिवार है। जाति, धर्म, राष्ट्रीयता, विचार पद्धति, आर्थिक और सामाजिक प्रतिष्ठा को विश्वव्यापी एकता के सन्दर्भ में देखना चाहिए। यह समस्त कार्य शिक्षा के भूमण्डलीकरण द्वारा ही सम्भव है।
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