व्यायाम से आप क्या समझते हैं ? व्यायाम के उद्देश्य एवं विभिन्न अंगों पर इसके प्रभाव को स्पष्ट कीजिये। व्यायाम के लाभ बताइये।
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व्यायाम का अर्थ
शरीर के अंगों को सुदृढ़, क्रियाशील एवं शक्तिशाली बनाने के लिए तथा माँसपेशियों को विकसित एवं नियन्त्रित करने के लिए व्यक्ति को कुछ दैनिक क्रियाकलापों को करना आवश्यक होता है, इन क्रियाकलापों को ही व्यायाम कहते हैं।
व्यायाम की परिभाषा- बी० एल० शर्मा के अनुसार, “स्वास्थ्य के लिये आवश्यक दैनिक एवं नियमित शारीरिक क्रियाकलाप ही व्यायाम है।”
व्यायाम के उद्देश्य
व्यायाम के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
- शारीरिक सुयोग्यता का विकास
- नाड़ी-पेशीय (Nuero-Muscular) कौशलों का विकास
- व्यक्तित्व एवं चरित्र का विकास
व्यायाम के विभिन्न अंगों पर प्रभाव-व्यायाम के अंगों पर प्रभाव को निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है :-
1. परिसंचरण-तन्त्र पर प्रभाव – तीव्र व्यायाम हृदय की क्रिया को तेज कर देता है, हृदय के स्पंदन की आवृत्तियों को बढ़ा देता है तथा रक्त का संचालन तीव्र गति से होने लगता है। व्यायाम के द्वारा हृदय की पेशीगति भी बढ़ जाती है।
2. श्वसन-तन्त्र पर प्रभाव – व्यायाम में रक्त प्रवाह में वेग आ जाने के परिणामस्वरूप शरीर के समस्त तन्तुओं को ऑक्सीजन पर मधुजन (glycogen) अधिक मात्रा में प्राप्त होने लगता है तथा शरीर के व्यर्थ के तत्व कार्बन-डाइ-ऑक्साइड के रूप में तेजी से बाहर निकलने लगते हैं।
3. पाचन तन्त्र पर प्रभाव – यह स्पष्ट है कि व्यायाम में शरीर को भोजन की अधिक आवश्यकता होने लगती है। क्योंकि उसके परिणामस्वरूप पेट ठीक रहता है, पाचन शक्ति में वृद्धि होती हैं तथा कुपच की शिकायत दूर हो जाती है।
4. त्वचीय-तन्त्र पर प्रभाव – व्यायाम के मध्य में त्वचा में रक्त के संचालन में वृद्धि हो जाती है। इससे शरीर में अधिक मात्रा में स्वेदन होने लगता है; परिणामस्वरूप स्वेद के माध्यम से शरीर के व्यर्थ के पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।
5. उत्सर्जन-तन्त्र पर प्रभाव – व्यायाम में मूत्र-त्याग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है किन्तु त्वचा की क्रियाशीलता बढ़ जाने से यूरिक एसिड में वृद्धि हो जाती है। मूत्र में क्लोराइड तथा पानी के भाग में कमी आ जाती है।
6. पेशीय-तन्त्र पर प्रभाव – मांसपेशियों के पूर्ण विकास के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। और वह कार्बन डाइऑक्साइड विस्थापित करती है। इसमें श्वसन की गति तेज हो जाती है। परिणामस्वरूप वक्ष फूलता है और वक्ष रोगी की सम्भावना कम हो जाती है। शरीर की शक्ति में वृद्धि एवं विकास होता है।
निरन्तर नियमित व्यायाम करने के मांसपेशियों के आकार तथा शक्ति का विकास होता है। व्यायाम के द्वारा माँसपेशियों पर इच्छाशक्ति का नियन्त्रण बढ़ जाता है और यह मस्तिष्क तथा माँसपेशियों में प्रबन्ध स्थापित करना सीख जाता है।
7. तन्त्रिका तन्त्र पर प्रभाव – जो व्यक्ति मानसिक कार्य करते हैं, उनका व्यायाम से मनोरंजन होता है तथा उनकी मानसिक कार्यक्षमता में वृद्धि हो जाती है। यह कुशलताओं का विकास करती है अर्थात् खेल-कूद में कुशलता तथा गति में सुन्दरता प्रदान करती है।
व्यायाम से लाभ
प्रतिदिन व्यायाम करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं:-
- शरीर का गठन नियमित सुदृढ़ और शक्तिशाली बनता है।
- स्नायु दुर्बलता दूर होती है।
- अनिद्रा, अपच तथा कब्ज आदि दूर हो जाते हैं।
- मानसिक असन्तुलन दूर होता है|
- पाचन क्रिया तीव्र होती है तथा भूख बढ़ती है।
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