हण्टर कमीशन की सिफारिशों के गुण एवं दोष लिखिए।
हण्टर कमीशन का मूल्यांकन करने के लिए इस कमीशन द्वारा दिये गये सुझावों के गुण एवं दोषों का अध्ययन करना आवश्यक है। इसके गुण एवं दोष इस प्रकार है-
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हण्टर आयोग के गुण
(1) आयोग ने भारतीय शिक्षा में ईसाई मिशनरियों को प्रमुख स्थान न देने के कारण भारतीयों के साथ काफी उदारता दिखायी क्योंकि वे अब शिक्षा की आड़ में ईसाई धर्म का प्रचार नहीं कर सकते थे।
(2) प्राथमिक शिक्षा पाठ्यक्रम में कृषि, भौतिक शास्त्र, चिकित्सा, बहीखाता आदि को स्थान देकर शिक्षा को व्यावसायिक व उपयोगी बना दिया।
(3) आयोग ने शिक्षा की पुस्तकीयता को समाप्त करके व्यावसायिक विषयों का समावेश किया जिससे छात्रों को आत्मनिर्भर बनने में बड़ी मदद मिली।
(4) आयोग ने स्त्री-शिक्षा, मुस्लिम शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा, हरिजनों, पिछड़ी जातियों व आदिवासियों की शिक्षा के सम्बन्ध में जो सिफारिशें कीं उनसे इनके विकास में बड़ी मदद मिली।
हण्टर आयोग के दोष
(1) सरकार के शिक्षा के उत्तरदायित्व से मुक्त होने की जो सिफारिश की गयी वह भारतीय शिक्षा के विकास में बाधक होने की बात थी।
(2) व्यक्तिगत विद्यालयों को सरकारी विद्यालयों की अपेक्षा कम शुल्क लेने की जो सिफारिश की गयी उससे शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिद्वन्द्विता का जन्म हुआ।
(3) आयोग ने प्राथमिक शिक्षा का उत्तरदायित्व स्थानीय संस्थाओं पर डाल देने की जो सिफारिश की वह अनुपयुक्त थी क्योंकि उनके साधन सीमित और कार्य कुशलता निम्न थी। इससे जन साधारण की शिक्षा की उन्नति नहीं हुई।
(4) आयोग ने प्राथमिक विद्यालयों के लिए वार्षिक सहायता का आधार परीक्षाफल बनाने की सिफारिश प्रस्तुत कर प्राथमिक शिक्षा का बड़ा अहित किया। ऐसा करने से शिक्षा में परीक्षा ही मुख्य हो गयी।
(5) मुसलमानों की प्राथमिक शिक्षा पृथक करने की सिफारिश थी इससे सम्प्रदायवाद को उत्साह मिला।
(6) आयोग ने माध्यमिक शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी को रखा और मिडिल स्कूलों के लिए शिक्षा का कोई माध्यम नहीं रखा इससे मातृभाषाओं की उपेक्षा हुई।
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