कम्प्यूटर की सहायता द्वारा अनुदेशन को समझाइयें ।
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कम्प्यूटर की सहायता द्वारा अनुदेशन
कम्प्यूटर को शैक्षिक तकनीकी प्रथम या हार्डवेयर उपागम में ही सम्मिलित किया जाता है। यह स्वतः अनुदेशनात्मक पद्धति का एक उपकरण है जिसका प्रयोग व्यक्तिगत अनुदेशन के लिये किया जाता है। कम्प्यूटर ने व्यापार, उद्योग, तथा शासन प्रणाली को अधिक प्रभावित किया है परन्तु इसका प्रभाव विद्यालय तथा शिक्षा प्रणाली पर भी स्पष्ट दिखाई देता है। शिक्षण के क्षेत्र में अनुदेशन पद्धति, शोध कार्यों तथा परीक्षा प्रणाली को कम्प्यूटर ने अधिक प्रभावित किया है।
कम्प्यूटर को विद्युत मस्तिष्क भी कहते हैं। यद्यपि अन्य शिक्षण-मशीनों में पाठ्यवस्तु में को छोटे-छोटे पदों में क्रमबद्ध रूप में प्रस्तुत किया जाता है परन्तु इन मशीनों को कोई निर्णय नहीं लेना पड़ता जबकि कम्प्यूटर को पूर्वव्यवहारों के आधार पर अनुकूल अनुदेशनों का चयन करना पड़ता है। यह निर्णय कम्प्यूटर द्वारा ही लिया जाता है। इसलिये इसे विद्युत मस्तिष्क कहते हैं।
कम्प्यूटर के प्रमुख कार्य
कम्प्यूटर अनुदेशन तथा शिक्षण में निम्नलिखित कार्य करता है :-
- कार्डो पर सूचनाओं को संचित करता है । चुम्बकीय टेप तथा टेप पर सूचनाओं को संचित करता है।
- अनुदेशन सामग्री को भी संचित करता है। एक ही प्रकरण पर 32 प्रकार की अनुदेशन सामग्री रखता है। जिससे 32 तरह की व्यक्तिगत सुविधा प्रदान की जाती है।
- संचित सूचनाओं में से अपेक्षित प्रदत्तों का चयन करता है।
- विद्युत टंकण मशीन की सहायता से सूचनाओं का सम्प्रेषण करता है।
कम्प्यूटर तथा शिक्षण प्रक्रिया
लॉरेंस स्टोलुरो तथा डेनियल डेविज ने सबसे जटिल शिक्षण प्रतिमान का विकास किया जिसमें शिक्षक के स्थान पर कम्प्यूटर का अनुदेशन के प्रस्तुतीकरण के लिये प्रयोग किया गया है। स्टोलुरो तथा डेविज ने कम्प्यूटर की शिक्षण प्रक्रिया को दो पक्षों में विभाजित किया है।
- पूर्व अनुवर्ग शिक्षण अवस्था तथा
- अनुवर्ग शिक्षण
प्रथम पक्ष में कम्प्यूटर अनुदेशन विशिष्ट उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये विशिष्ट छात्र को उसके पूर्वज्ञान के आधार पर करता है। द्वितीय अवस्था में कम्प्यूटर उसके अनुरूप अनुदेशन सामग्री प्रस्तुत करता है। कम्प्यूटर अनुदेशन के प्रस्तुतीकरण के बाद उसका नियन्त्रण भी करता है तथा छात्रों को पुनर्बलन भी प्रदान करता है।
कम्प्यूटर का उपयोग
कम्प्यूटर का उपयोग आधुनिक समय में अधिक व्यापक हो गया है, उद्योग, व्यापार, सेना तथा शिक्षा में किया जाने लगा है। शिक्षा के क्षेत्र में कम्प्यूटर का उपयोग चार क्षेत्र में अधिक व्यापक रूप से किया जाने लगा है।
- शिक्षण तथा अनुदेशन प्रक्रिया में छात्रों के निदान के आधार पर सुधारात्मक शिक्षण भी किया जाता है।
- शिक्षा के शोंध कार्यों में प्रदत्तों के विश्लेषण में सभी अनुसंधानकर्त्ता करने लगे हैं।
- कम्प्यूटर का उपयोग शैक्षिक निर्देशन तथा परामर्श में भी किया जाने लगा है।
- परीक्षा प्रणाली में छात्रों के परीक्षाफल तैयार करने, अंकशीट तैयार करने तथा प्रमाण-पत्र भी तैयार करने में किया जाता है।
भारतवर्ष में परीक्षा प्रणाली तथा शोंध कार्यों का उपयोग सामान्य रूप से किया जाने लगा है। शिक्षा बोड़ों, विश्वविद्यालयों में तो इसका प्रयोग किया ही जाता है। हरियाणां सरकार ने तो सभी स्कूलों में भी इसकी शिक्षा को अनिवार्य करने के लिए सभी स्कूलों में इसके द्वारा शिक्षा प्रदान करने की तथा इसका उपयोग करने की सरकारी स्तर पर अधिसूचना जारी कर दी है। कम्प्यूटर द्वारा अभ्यास करवाया जा सकता है। खेल खेल में पढ़ाया जा सकता है। छोटे समूहों में जानकारी दी जा सकती है नई खोज व शोंध कार्य किया जा सकता है। अनुरूपण के लिये भी यह उपयोगी साधन है।
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