व्यावसायिक अर्थशास्त्र के आधारभूत आर्थिक सिद्धान्त (Basic Economic Principles of Business Economics)
(1) अवसर लागत का सिद्धान्त (Principle of Opportunity Cost) – किसी वस्तु या सेवा की अवसर लागत से तात्पर्य उस वस्तु या सेवा के अन्य वैकल्पिक प्रयोगों से अर्जित किए जा सकने वाले आगम से होता है अर्थात् उस वस्तु या सेवा को किसी अन्य स्थान पर प्रयुक्त करने से जो आगम प्राप्त हो सकता था, वह उसकी अवसर लागत होगी। उदाहरण के लिए; किसी व्यवसायी के द्वारा अपने व्यवसाय में किए गए परिश्रम की अवसर लागत वह राशि होगी जिसे वह किसी अन्य स्थान पर प्रयुक्त करके प्राप्त कर सकता था।
(2) वृद्धिशील लागत का सिद्धान्त (Principle of Incremental Cost ) – व्यावसायिक क्रिया अथवा उसके स्तर में होने वाले परिवर्तन के परिणामस्वरूप वर्तमान लागत में होने वाली वृद्धि ही वृद्धिशील लागत कहलाती है। दूसरे शब्दों में, वर्तमान व्यावसायिक क्रिया अथवा उसके स्तर में होने वाले किसी भी प्रकार के परिवर्तन के कारण जो अतिरिक्त लागत आती है, उसे वृद्धिशील लागत कहा जाता है। उदाहरण के लिए यदि किसी कपड़ा मिल में पुरानी तथा हाथ से चलने वाली मशीनों के स्थान पर आधुनिक तथा स्वचालित मशीनों की स्थापना की जाती है तो पुरानी व्यवस्था को नई व्यवस्था से प्रतिस्थापित करने में जो अतिरिक्त लागत आएगी, वह वृद्धिशील लागत होगी।
(3) समय आधार का सिद्धान्त (Principle of Time Perspective) – समय आंधार का सिद्धान्त अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन लागत के अध्ययन पर बल देता है। ऐसी लागतें जो कि संयंत्र एवं मशीनरी की वर्तमान व्यवस्था पूर्ववत् रहने की स्थिति में उत्पादन की मात्रा बढ़ने के साथ बढ़ती हैं तथा कम होने के साथ घटती हैं, अल्पकालीन लागतें कहलाती हैं। इसके विपरीत, ऐसी लागतें जो कि संयन्त्र एवं मशीनरी की वर्तमान व्यवस्था में परिवर्तन के साथ बदलती हैं, दीर्घकालीन लागतें कहलाती हैं। उदाहरण के लिए; वर्तमान संयन्त्र की उत्पादन क्षमता 8,000 इकाइयाँ प्रति माह हैं तथा उपक्रम की वर्तमान विक्रय क्षमता केवल 6,000 इकाइयाँ प्रति माह है। यदि इस विक्रय क्षमता में वर्तमान उत्पादन क्षमता तक ही वृद्धि होती है तो आने वाली अतिरिक्त लागत अल्पकालीन लागत कहलाएगी; परन्तु यदि उपक्रम को नया बाजार उपलब्ध हो जाने के कारण उसकी विक्रय क्षमता बढ़कर 10,000 इकाइयाँ हो जाती है, जिसके कारण एक नया संयन्त्र लगाने की आवश्यकता होती है तो इस प्रकार जो लागत आएगी वह दीर्घकालीन लागत होगी।
(4) कटौती का सिद्धान्त (Principle of discounting) – इस सिद्धान्त के अनुसार विभिन्न समयों में मिलने वाली धनराशियाँ चाहे मौद्रिक रूप से बराबर हों, परन्तु वर्तमान में प्राप्त होने वाली राशि का वास्तविक मूल्य भविष्य में मिलने वाली समान धनराशि की अपेक्षा अधिक होगा। व्यावसायिक अर्थशास्त्र का सिद्धान्त इस बात पर बल देता है कि प्राप्त होने वाले भुगतान से समय की कटौती इसके मूल्य को बढ़ाती है।
(5) समसीमान्त सिद्धान्त (Principle of Equi-Marginal) – इस सिद्धान्त के अनुसार उत्पादन के किसी भी साधन की उपलब्ध इकाइयों को विभिन्न गतिविधियों में इस प्रकार बाँटा जाना चाहिये ताकि प्रत्येक गतिविधि से उत्पादित होने वाली अन्तिम इकाई का मूल्य एक समान रहे।
इस प्रकार व्यावसायिक अर्थशास्त्र के उपर्युक्त आधारभूत सिद्धान्त व्यावसायिक क्षेत्र की विभिन्न लागत एवं लाभ सम्बन्धी समस्याओं के समाधान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
व्यावसायिक अर्थशास्त्र एवं परम्परागत अर्थशास्त्र में अन्तर (Difference between Business Economics and Traditional Economics)
आधार
व्यावसायिक अर्थशास्त्र
परम्परागत अर्थशास्त्र
(1) प्रकृति
व्यावसायिक अर्थशास्त्र सूक्ष्म प्रकृति का है।
परम्परागत अर्थशास्त्र सूक्ष्म एवं व्यापक दोनों प्रकृति का होता है।
(2) क्षेत्र
इसका क्षेत्र परम्परागत अर्थशास्त्र की तुलना में सीमित होता है।
इसका क्षेत्र अधिक विस्तृत एवं व्यापक होता है।
(3) विज्ञान
यह आदर्श विज्ञान है।
यह आदर्श एवं वास्तविक विज्ञान दोनों हैं।
(4) मान्यता
इसके अन्तर्गत परम्परागत अर्थशास्त्र की मान्यताओं की व्यावहारिक जाँच की जाती है।
यह अनेक मान्यताओं पर आधारित है। कई मान्यताएँ तो वास्तविकता से सम्बन्ध नहीं रखतीं ।
(5) आर्थिक एवं अनार्थिक पहलू
इसमें आर्थिक एवं अनार्थिक दोनों पहलुओं का अध्ययन किया जाता है।
इसमें केवल आर्थिक पहलुओं का अध्ययन किया जाता है।
(6) विकास काल
यह परम्परागत अर्थशास्त्र की नवीन शाखा है।
यह एक प्राचीन विषय है।
(7) कार्यक्षमता का आधार
व्यावसायिक अर्थशास्त्र में कार्यक्षमता का मापदण्ड आधार लाभ-दर होती है।
इसमें कार्यक्षमता का आधार अधिकतम सन्तुष्टि व मानव कल्याण होता है।
Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com
इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..